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सपा सांसद ने RSS की नीतियों पर उठाया सवाल, बोले - 'धर्म के नाम पर देश को बांटना गलत'

सपा सांसद ने RSS की नीतियों पर उठाया सवाल, बोले - 'धर्म के नाम पर देश को बांटना गलत'

सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने आरएसएस की कथनी और करनी में अंतर को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि धर्म के नाम पर देश को बांटने वाले गलत हैं और सच्ची देशभक्ति सभी धर्मों के सम्मान में है।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की संभल सीट से समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने आरएसएस के सौ साल पूरे होने पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि संघ की कथनी और करनी में अंतर है। बर्क ने कहा कि कुछ लोग नफरत की भाषा बोलकर धर्म के नाम पर देश को बांटने का प्रयास कर रहे हैं, जबकि सच्ची देशभक्ति सभी धर्मों के सम्मान में निहित है। उन्होंने दशहरा के मौके पर यह भी कहा कि रावण का दहन केवल प्रतीकात्मक नहीं बल्कि अपने भीतर के बुरे विचारों के लिए होना चाहिए।

सपा सांसद ने RSS की नीतियों पर उठाया सवाल 

सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने आरएसएस की शताब्दी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि संगठन की कथनी और करनी में फर्क दिखाई देता है। उन्होंने कहा कि आरएसएस के प्रमुख कहते हैं कि हर धार्मिक स्थल के नीचे मंदिर नहीं खोजना चाहिए, लेकिन संगठन के कुछ लोग इसके विपरीत कार्य कर रहे हैं।

बर्क ने यह भी कहा कि यह अंतर यह संकेत देता है कि संगठन में अनुशासन की कमी हो सकती है या फिर उनके नीचे के लोग अपने प्रमुख की बात का पालन नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर एक संस्था और उसकी शाखा जैसे बीजेपी हैं, तो काम ऐसा होना चाहिए कि देश की तरक्की में योगदान मिले, न कि समाज और धर्म के बीच दरार पैदा हो।

धर्म और देश को बांटने की कोशिशों पर जताई आपत्ति

सांसद बर्क ने स्पष्ट किया कि कुछ लोग धर्म के नाम पर देश को बांटने का प्रयास कर रहे हैं। उनका कहना है कि ऐसे लोगों का बहिष्कार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सच्ची देशभक्ति और धर्म के प्रति वफादारी तभी है जब व्यक्ति सभी धर्मों के लिए काम करे और समाज में समानता और भाईचारे को बढ़ावा दे।

उन्होंने यह भी बताया कि समाज और धर्म के प्रति जिम्मेदारी तभी पूरी होती है जब पड़ोसी किसी भी धर्म का हो और यदि वह भूखा सो रहा है, तो हम आराम से नहीं सो सकते। यह संदेश उन्होंने सभी नागरिकों और धर्म के अनुयायियों के लिए साझा किया।

दशहरा पर दिल के रावण का दहन

जियाउर्रहमान बर्क ने दशहरा के अवसर पर कहा कि रावण का दहन केवल प्रतीकात्मक नहीं होना चाहिए, बल्कि लोगों को अपने अंदर के बुरे विचारों और नकारात्मक भावनाओं का भी दहन करना होगा। उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति सच में देशभक्त और धर्म के प्रति वफादार है, तो वह सभी धर्मों का सम्मान करेगा और समाज में भाईचारे को बढ़ावा देगा।

सांसद ने यह भी कहा कि दशहरा का संदेश केवल पर्व की खुशी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आत्ममूल्यांकन और अपने भीतर के दोषों को दूर करने का अवसर है। उन्होंने जनता से अपील की कि वे अपने व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में रावण के बुरे पहलुओं को समाप्त करने का प्रयास करें।

सच्ची देशभक्ति में धर्म और समाज की सेवा

बर्क ने कहा कि देशभक्ति का मतलब केवल झंडा फहराना या राष्ट्रगान गाना नहीं है। यह तब है जब व्यक्ति समाज और धर्म के लिए सकारात्मक योगदान करे। उन्होंने कहा कि हर धर्म के प्रति सम्मान और सेवा करना ही सच्ची देशभक्ति है।

सांसद ने निष्कर्ष में कहा कि यदि संगठन और लोग धर्म के नाम पर नफरत फैलाने के बजाय समाज और देश के विकास के लिए काम करें, तो आने वाली पीढ़ियां उनकी याद करेंगी। उनका संदेश साफ था कि समाज में भाईचारे और समानता बनाए रखना ही असली धर्म और देशभक्ति है।

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