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Trump Tariffs विवाद: पीटर नवारो के बयान पर हरदीप पुरी का जवाब, कहा- 'भारत ने रूसी तेल से कोई लाभ नहीं कमाया'

Trump Tariffs विवाद: पीटर नवारो के बयान पर हरदीप पुरी का जवाब, कहा- 'भारत ने रूसी तेल से कोई लाभ नहीं कमाया'

केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने हाल ही में व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो की टिप्पणी पर कड़ा पलटवार किया। नवारो ने भारत को रूसी तेल से लाभ कमाने और ‘लॉन्ड्रोमैट’ बनने का आरोप लगाया था। 

नई दिल्ली: केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो की ‘लॉन्ड्रोमैट’ वाली टिप्पणी को पूरी तरह खारिज किया है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि भारत ने यूक्रेन युद्ध के बाद रूसी तेल खरीदने में कोई नियम नहीं तोड़ा है और देश की ऊर्जा व्यापार नीति ने वैश्विक बाजार को स्थिर रखने और कीमतों को नियंत्रित करने में मदद की है।

यहां लॉन्ड्रोमैट का मतलब संदिग्ध चीज़ों को वैध दिखाने की प्रक्रिया या जगह है। पुरी ने एक अंग्रेजी अखबार में लेख लिखते हुए कहा कि भारत ने कोई मुनाफाखोरी नहीं की है। उन्होंने बताया कि रूस द्वारा फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमला करने से पहले भी भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा पेट्रोलियम उत्पाद निर्यातक था और युद्ध के बाद भी भारत का निर्यात और मुनाफा लगभग समान बना हुआ है।

नवारो का आरोप 

पीटर नवारो ने सोशल मीडिया पर कई पोस्ट में यूक्रेन युद्ध को ‘मोदी का युद्ध’ बताया और दावा किया कि भारत रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की युद्ध मशीन को फंड कर रहा है। उन्होंने भारत को एक ‘तेल लॉबी के हाथों में पड़ी लोकतांत्रिक लॉन्ड्री’ बताया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भगवा वस्त्रों में तस्वीर भी शेयर की। नवारो ने यह भी आरोप लगाया कि भारत रूसी तेल को रिफाइन करके यूरोप में निर्यात कर रहा है और इस प्रक्रिया में मुनाफा कमा रहा है।

हरदीप पुरी का कड़ा जवाब

पुरी ने इसे पूरी तरह से खारिज किया और कहा कि भारत ने किसी भी तरह का नियम नहीं तोड़ा। उन्होंने लिखा कि भारत ने रूस से तेल के वैध आयात के जरिए वैश्विक बाजार को स्थिर किया और कीमतों में उछाल को रोका। पुरी ने आगे कहा: भारत दशकों से पेट्रोलियम उत्पादों का बड़ा निर्यातक रहा है। रूस से तेल खरीदना और उसे रिफाइन करना वैध व्यापार है। किसी भी मुनाफाखोरी का सवाल ही नहीं उठता। हमारी नीति ने वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति में संतुलन बनाए रखा।

पुरी ने बताया कि यूक्रेन युद्ध के बाद रूस से तेल आयात में भारत की हिस्सेदारी एक फीसदी से बढ़कर लगभग 40 फीसदी तक पहुंच गई। इसका कारण यह था कि पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए और भारत को छूट पर तेल मिल रहा था। पुरी ने स्पष्ट किया कि भारत ने सभी नियमों का पालन किया। उन्होंने कहा कि शिपिंग, बीमा और प्रमाणित व्यापारियों के जरिए व्यापार किया गया। यदि भारत रूस से तेल खरीदना बंद कर देता, तो कच्चे तेल की कीमतें 90 से 100 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकती थीं।

पुरी ने यह भी बताया कि भारत ने अपने नागरिकों को राहत देने के लिए कई कदम उठाए। सरकारी तेल कंपनियों ने डीजल पर 10 रुपये प्रति लीटर तक का नुकसान झेला, केंद्र और राज्य सरकारों ने टैक्स कम किया और नियम लागू किया कि रिफाइनर पेट्रोल-डीजल निर्यात करते समय घरेलू आपूर्ति भी सुनिश्चित करें।

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