साक्षी महाराज की नाराजगी के बीच अखिलेश यादव ने बिना नाम लिए BJP नेताओं को PDA में शामिल होने का न्योता दिया। लोधी समाज की उपेक्षा के आरोपों से यूपी की सियासत गरमा गई है।
UP Politics: बीजेपी सांसद साक्षी महाराज की नाराजगी और लोधी समाज को लेकर उठाए गए सवालों ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में नई बहस को जन्म दिया है। समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने बिना नाम लिए इशारों में साक्षी महाराज को पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) का 'स्थायी पड़ाव' बताया है। इससे यूपी में 2027 चुनाव से पहले ओबीसी वोट बैंक को साधने की कोशिशें और तेज होती दिख रही हैं।
साक्षी महाराज की नाराजगी ने बढ़ाई हलचल
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और उन्नाव से सांसद साक्षी महाराज ने हाल ही में लोधी समाज को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने साफ कहा कि लोधी समाज को सत्ता और संगठन में उचित भागीदारी नहीं मिल रही। उनका यह बयान उस वक्त आया जब वो एटा में पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की प्रतिमा के अनावरण कार्यक्रम में पहुंचे थे।
उन्होंने कहा कि राम मंदिर आंदोलन में कल्याण सिंह की भूमिका के बिना मंदिर का निर्माण संभव नहीं होता। साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि कल्याण सिंह के निधन और उमा भारती के पार्टी छोड़ने के बाद लोधी समाज को दरकिनार कर दिया गया है।
अखिलेश यादव का सधा हुआ बयान
साक्षी महाराज के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए अखिलेश यादव ने एक राजनीतिक संकेत दिया। उन्होंने सीधे नाम नहीं लिया लेकिन एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट कर कहा कि बीजेपी में जिन लोगों को अपने समाज के साथ उपेक्षित महसूस होता है, वे जानते हैं कि उनका अंतिम और स्थायी पड़ाव पीडीए है।
अखिलेश ने लिखा, "जो लोग अपने समाज को केवल वोट बैंक की तरह इस्तेमाल होते हुए देख चुके हैं, और अब खुद को हाशिए पर पा रहे हैं, वो जब सच्चे मन से बोलते हैं तो सच ही बोलते हैं।"
क्या है पीडीए और क्यों है चर्चा में?
पीडीए यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक। अखिलेश यादव इस सामाजिक गठजोड़ को आगामी विधानसभा चुनावों के लिए प्रमुख रणनीति के रूप में पेश कर रहे हैं। उनका कहना है कि यही वर्ग असली वोट बैंक है, जिन्हें बराबरी और प्रतिनिधित्व नहीं मिला है।
साक्षी महाराज जैसे वरिष्ठ ओबीसी नेता की नाराजगी इस रणनीति को मजबूती देने का मौका बन सकती है। खासकर तब जब सपा इस समय भाजपा के सामाजिक गठजोड़ में सेंध लगाने की कोशिश में जुटी है।
लोधी समाज की राजनीतिक ताकत
उत्तर प्रदेश की राजनीति में लोधी समाज की भूमिका अहम रही है। राज्य की करीब 70 विधानसभा और 12 लोकसभा सीटों पर इनका प्रभाव माना जाता है। जनसंख्या के लिहाज से यूपी में इनकी हिस्सेदारी लगभग 5.10% है। कल्याण सिंह और उमा भारती जैसे कद्दावर नेता इसी समाज से आते हैं।