Ayodhya Ram Temple: अयोध्या राम मंदिर लगाई नए पुजारियों की ड्यूटी, स्मार्टफोन के इस्तेमाल पर पाबंदी के साथ ड्रेस कोड किया लागू

Ayodhya Ram Temple: अयोध्या राम मंदिर लगाई नए पुजारियों की ड्यूटी, स्मार्टफोन के इस्तेमाल पर पाबंदी के साथ ड्रेस कोड किया लागू
Last Updated: 2 दिन पहले

अयोध्या के राम मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए नए पुजारियों की नियुक्ति कर दी गई है। कुल 14 पुजारियों को जिम्मेदारी दी गई है, जिन्हें दो समूहों में बांटा गया है। हर समूह में सात पुजारी होंगे, और वे बारी-बारी से अपनी सेवाएं देंगे। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इन पुजारियों की ड्यूटी के साथ-साथ कई महत्वपूर्ण नियम भी निर्धारित किए हैं।

अयोध्या: राम मंदिर में पुजारियों की ड्यूटी के लिए नए नियम लागू किए गए हैं, जिनमें स्मार्टफोन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध और ड्रेस कोड का प्रावधान भी शामिल है। वर्तमान में राम मंदिर में 14 पुजारियों को ड्यूटी पर लगाया गया है, जिन्हें दो समूहों में बांटा गया है। इन पुजारियों को राम मंदिर, कुबेर टीला और हनुमान मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए काम सौंपा गया है। पुजारियों को दो पालियों में कार्य सौंपा गया है।

पुजारियों को गर्भगृह में और उसके बाहर अलग-अलग ड्यूटी दी गई है, जिसमें चार पुजारी गर्भगृह में पूजा करेंगे, जबकि तीन पुजारियों की ड्यूटी गर्भगृह के बाहर रहेगी। ट्रस्ट ने पुजारियों के लिए कुछ कड़े नियम तय किए हैं, जिनमें स्मार्टफोन का इस्तेमाल प्रतिबंधित किया गया है, ताकि वे पूरी निष्ठा और एकाग्रता से अपने काम में जुट सकें।

इसके अतिरिक्त, राम मंदिर में पुजारियों के लिए एक ड्रेस कोड भी निर्धारित किया गया है, जो उनकी भक्ति और सम्मान को दर्शाएगा। पुजारियों को पीले रंग की चौबंदी, धोती, कुर्ता और सिर पर पीले रंग की पगड़ी पहनने की आवश्यकता होगी, साथ ही भगवा रंग का वस्त्र भी ड्रेस कोड का हिस्सा होगा।

राम मंदिर नए पुजारियों की ड्यूटी

मेधा पाटकर ने राम मंदिर और अयोध्या के विकास के संबंध में अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं। उनका कहना है कि राम सभी के भीतर हैं, फिर क्यों उनके दर्शन के लिए इतनी पाबंदियां लगाई जा रही हैं? उन्होंने अयोध्या का दौरा किया और महसूस किया कि मंदिर अब होटल जैसा रूप ले रहे हैं, जहां जाने के लिए पैसे की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि यह विकास का किस प्रकार का रूप है, जहां दो वक्त की रोटी के लिए भी लोगों को दूसरों पर निर्भर होना पड़ रहा हैं।

पाटकर ने यह भी उल्लेख किया कि अयोध्या में जिन लोगों की जमीनें गईं, उन्हें उचित मुआवजा नहीं दिया गया। उनका यह भी मानना है कि धार्मिक यात्रा के दौरान दिन की बजाय रात में जाने की परंपरा ने बेवजह हिंसा को जन्म दिया है। उन्होंने युवाओं से इस न्याय की लड़ाई में भाग लेने की अपील की। साथ ही, उन्होंने काकोरी एक्शन शताब्दी वर्ष पर शहादत दिवस समारोह में काकोरी एक्शन के शहीदों के योगदान को याद किए बिना उनकी अनदेखी करने की आलोचना की।

उर्दू कवि और सामाजिक कार्यकर्ता गौहर रजा ने भी इस मौके पर अपनी बात रखी, जिसमें उन्होंने बेहतर समाज और देश के लिए संघर्ष की आवश्यकता की बात की। उनके विचार में, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां और रोशन सिंह जैसे शहीदों का योगदान आज भी अनदेखा किया जा रहा है, और उनकी प्रेरणा से ही समाज को बेहतर बनाने की दिशा में काम करना होगा।

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