बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल ही में अपनी प्रगति यात्रा को स्थगित किया, जिसके कारण उनके दिल्ली जाने की खबरें तेज़ हो गईं। हालांकि, उनके दिल्ली जाने के पीछे सिर्फ इस्तीफे की अटकलें नहीं हैं, बल्कि इसके पीछे एक बड़ा राजनीतिक और प्रशासनिक उद्देश्य हैं।
नई दिल्ली: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी दो दिनों की दिल्ली यात्रा पर निकल चुके हैं, और जैसे ही वह दिल्ली पहुंचे, उनके इस्तीफे की चर्चा एक बार फिर जोरों पर आ गई है। इस चर्चा को आगे बढ़ाने में प्रशांत किशोर और राष्ट्रीय जनता दल के नेताओं की भी भूमिका रही है। हालांकि, मुख्यमंत्री आवास के विश्वस्त सूत्रों से 'अमर उजाला' को मिली जानकारी के अनुसार, नीतीश कुमार दिल्ली में दो महत्वपूर्ण कार्यों के लिए गए हैं।
पहला, उन्होंने अपनी प्रगति यात्रा को पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन के बाद रोका था, और अब वह उनके परिवार से मिलकर उन्हें ढांढस बंधाने के लिए दिल्ली पहुंचे हैं। दूसरा, नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के साथ आगे की रणनीति पर चर्चा करने के लिए दिल्ली का रुख किया हैं।
क्या है सीएम नीतीश कुमार का प्लान?
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी दिल्ली यात्रा के दौरान राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के नेताओं से मुलाकात करेंगे। इस दौरान वह भारतीय जनता पार्टी (BJP) के शीर्ष नेताओं से भी बातचीत कर सकते हैं और इसके बाद एक साझा संवाददाता सम्मेलन या बयान जारी करने की संभावना भी जताई जा रही है। विशेष रूप से, खरमास के बाद बिहार में 15 जनवरी से एनडीए के नेताओं की अलग तैयारी की खबरें हैं, और मुख्यमंत्री इस बारे में दिल्ली में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दे सकते हैं।
इस यात्रा का खास महत्व इसलिए है, क्योंकि हाल ही में गृह मंत्री और भाजपा के रणनीतिकार अमित शाह ने मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर एक असमंजस भरा बयान दिया था, जिसने राजनीतिक हलकों में चर्चा का माहौल पैदा कर दिया। इस बयान के बाद से बार-बार यह सवाल उठता रहा है कि क्या मुख्यमंत्री का भाजपा से फिर मोहभंग हो सकता है, या फिर जैसे महाराष्ट्र में भाजपा ने अपने सहयोगी को धोखा दिया था, क्या वही बिहार में भी हो सकता हैं।
ऐसे में मुख्यमंत्री की दिल्ली यात्रा और आगामी बातचीत से बिहार की राजनीति में बड़ा मोड़ आ सकता है, जो आने वाले दिनों में एनडीए की रणनीति और गठबंधन की दिशा तय करेगा।