Delhi: काले खां से बिरसा मुंडा चौक, एक ऐतिहासिक बदलाव, जानें कौन थे काले खां जिनके नाम पर रखा गया था नाम

Delhi: काले खां से बिरसा मुंडा चौक, एक ऐतिहासिक बदलाव, जानें कौन थे काले खां जिनके नाम पर रखा गया था नाम
Last Updated: 2 घंटा पहले

दिल्ली के सराय काले खां का नाम अब बदलकर भगवान बिरसा मुंडा चौक रखा गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिरसा मुंडा की जयंती पर काले खां बांसेरा पार्क में उनकी प्रतिमा का अनावरण किया।

Bhagwan Birsa Munda Chowk: दिल्ली के प्रसिद्ध सराय काले खां चौक का नाम अब बदलकर 'भगवान बिरसा मुंडा चौक' कर दिया गया है। यह बदलाव केंद्र सरकार ने बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर किया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस अवसर पर ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में बिरसा मुंडा की जयंती मनाते हुए काले खां बांसेरा पार्क में उनकी भव्य प्रतिमा का अनावरण किया।

गृहमंत्री अमित शाह का बयान 

गृहमंत्री अमित शाह ने इस अवसर पर बिरसा मुंडा की जयंती पर बोलते हुए कहा कि बिरसा मुंडा ने जल, जंगल और जमीन के संस्कार को पुनर्जीवित किया और आदिवासी समुदाय के लिए यह सब कुछ था। उन्होंने समाज में जागरूकता लाने का भी कार्य किया। अमित शाह ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2021 में बिरसा मुंडा की जयंती को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की थी।

‘आदिवासी गौरव वर्ष’ मनाने का ऐलान

गृहमंत्री अमित शाह ने घोषणा की कि बिरसा मुंडा की जयंती के उपलक्ष्य में आगामी एक साल यानी 15 नवंबर 2025 तक ‘आदिवासी गौरव वर्ष’ के रूप में मनाया जाएगा। इस वर्ष के दौरान आदिवासी समाज की असली संस्कृति और उनके योगदान को सम्मानित किया जाएगा।

सराय काले खां चौक का बदला नाम

बिरसा मुंडा की जयंती के मौके पर केंद्र सरकार ने सराय काले खां चौक का नाम बदलने का ऐलान किया। इस परिवर्तन को सरकार ने बिरसा मुंडा के योगदान और उनकी भूमिका को सम्मान देने के रूप में देखा।

देश में आदिवासी नायकों के संग्रहालय बनाने का फैसला

अमित शाह ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आदिवासी महानायकों को सम्मान देने के लिए 200 करोड़ रुपये की लागत से 20 आदिवासी महानायकों के संग्रहालय बनाने का निर्णय लिया है। रांची, जबलपुर और छिंदवाड़ा में पहले ही कुछ संग्रहालय स्थापित किए जा चुके हैं, और बाकी संग्रहालय वर्ष 2026 तक तैयार हो जाएंगे।

काले खां कौन थे?

काले खां 14वीं शताब्दी के एक महान सूफी संत थे, जिनका नाम शेरशाह सूरी के समय में दिल्ली स्थित आश्रय स्थल से जुड़ा था। उनके योगदान के कारण ही सराय का नाम काले खां के नाम पर पड़ा। दिल्ली में काले खां की मजार भी स्थित है, जो उनके धार्मिक महत्व को दर्शाता है।

आदिवासी क्षेत्रों में विकास और नक्सलवाद पर सरकार की पहल

अमित शाह ने यह भी बताया कि पिछले 10 वर्षों में सरकार ने आदिवासी क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा दिया और नक्सलवाद पर काबू पाया। मोदी सरकार ने आदिवासियों के विकास के लिए 1,33,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है, जो पिछले बजट से कहीं अधिक है।

 

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