Delhi University news: दिल्ली यूनिवर्सिटी में मुस्लिम आरक्षण पर विवाद, क्या एमएससी कोर्स से हटेगा धार्मिक आधार पर आरक्षण

Delhi University news: दिल्ली यूनिवर्सिटी में मुस्लिम आरक्षण पर विवाद, क्या एमएससी कोर्स से हटेगा धार्मिक आधार पर आरक्षण
Last Updated: 2 दिन पहले

दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) के क्लस्टर इनोवेशन सेंटर (सीआईसी) ने अपने मास्टर ऑफ साइंस (एमएससी) इन मैथमेटिक्स एजुकेशन प्रोग्राम से मुस्लिम आरक्षण हटाने का प्रस्ताव रखा है। यह कोर्स डीयू और जामिया मिलिया इस्लामिया के संयुक्त प्रयास से मेटा यूनिवर्सिटी कॉन्सेप्ट के तहत संचालित किया जाता हैं।

सीआईसी की गवर्निंग बॉडी में इस प्रस्ताव पर जल्द चर्चा होगी। यह मुद्दा उच्च शिक्षा में धर्म के आधार पर आरक्षण की भूमिका और सीमाओं पर एक बार फिर से बहस को तेज कर सकता हैं।

क्या है एमएससी प्रोग्राम का मौजूदा आरक्षण ढांचा?

• वर्तमान में, एमएससी इन मैथमेटिक्स एजुकेशन प्रोग्राम में कुल 30 सीटें हैं।
• अनारक्षित श्रेणी: 12 सीटें
• ओबीसी (गैर-क्रीमी लेयर): 6 सीटें
• मुस्लिम सामान्य श्रेणी: 4 सीटें
• ईडब्ल्यूएस: 3 सीटें
• अनुसूचित जाति: 2 सीटें
• अनुसूचित जनजाति, मुस्लिम ओबीसी और मुस्लिम महिला: शेष सीटें
• यह आरक्षण ढांचा वर्तमान में धर्म और जाति दोनों के आधार पर संरचित हैं।

डीयू के अधिकारी 'धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होना चाहिए'

डीयू के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "विश्वविद्यालय की नीतियों के अनुसार, धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होना चाहिए। जब हम जातिगत आरक्षण की बात करते हैं, तो हमारा उद्देश्य वंचित वर्गों को लाभ देना होता है। लेकिन धर्म के आधार पर आरक्षण को उचित नहीं ठहराया जा सकता।"

मेटा यूनिवर्सिटी कॉन्सेप्ट सहयोग का प्रतीक या आरक्षण पर टकराव?

2013 में शुरू हुआ यह प्रोग्राम मेटा यूनिवर्सिटी कॉन्सेप्ट के तहत डीयू और जामिया मिलिया इस्लामिया के सहयोग का प्रतीक है। शुरुआती समझौते के अनुसार, 50% छात्रों को डीयू और 50% को जामिया से प्रवेश देना तय हुआ था।

हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में प्रवेश प्रक्रिया पूरी तरह से डिजिटल हो गई है। अब सभी छात्रों को कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET-PG) के माध्यम से डीयू द्वारा ही प्रवेश दिया जाता हैं।

गवर्निंग बॉडी में प्रस्ताव क्या होगा फैसला?

सीआईसी के एक अधिकारी ने बताया, "अब सवाल यह उठता है कि चूंकि छात्रों को डीयू के माध्यम से प्रवेश मिल रहा है, तो स्वाभाविक रूप से उन्हें डीयू की रिजर्वेशन नीति का पालन करना चाहिए।"

यह प्रस्ताव गवर्निंग बॉडी के पास है और चर्चा के बाद इसे कुलपति के सामने पेश किया जाएगा। अगर यह प्रस्ताव पारित होता है, तो यह कोर्स में मुस्लिम आरक्षण समाप्त कर सकता हैं।

आरक्षण पर बहस शिक्षा प्रणाली में धर्म की भूमिका

यह प्रस्ताव भारतीय उच्च शिक्षा में आरक्षण की सीमाओं और धर्म की भूमिका पर एक व्यापक चर्चा को जन्म दे सकता है। मुस्लिम समुदाय के लिए यह आरक्षण जामिया मिलिया इस्लामिया के प्रभाव का प्रतीक है। अगर यह प्रस्ताव लागू होता है, तो इसका प्रभाव जामिया और डीयू के इस संयुक्त प्रयास पर भी पड़ेगा।

क्या है मेटा यूनिवर्सिटी कॉन्सेप्ट?

मेटा यूनिवर्सिटी कॉन्सेप्ट भारत में उच्च शिक्षा का एक नया मॉडल है, जिसमें दो या अधिक विश्वविद्यालय आपसी सहयोग से कोर्स चलाते हैं। यह छात्रों को विभिन्न विश्वविद्यालयों के संसाधनों का लाभ उठाने का अवसर देता है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि धर्म आधारित आरक्षण को हटाने से समाज में विभाजनकारी संदेश जा सकता है। वहीं, कुछ लोग इसे समानता की ओर बढ़ा कदम मानते हैं।

 क्या बदलेगा आरक्षण का स्वरूप?

दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रस्तावित यह बदलाव उच्च शिक्षा में आरक्षण पर नए सवाल खड़े कर रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि गवर्निंग बॉडी और कुलपति इस मुद्दे पर क्या फैसला लेते हैं। क्या यह निर्णय आरक्षण प्रणाली को पुनर्परिभाषित करेगा, या यह एक और विवाद का कारण बनेगा?

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