Land For Job Scam: ''भूमि के बदले नौकरी" स्कैम में फंसे लालू यादव, कार्रवाई के लिए CBI को केंद्रीय सरकार से लेनी पड़ी अनुमति

Land For Job Scam: ''भूमि के बदले नौकरी
Last Updated: 21 सितंबर 2024

जमीन के बदले नौकरी घोटाले (Land for jobs) में राजद अध्यक्ष लालू यादव के खिलाफ केस चलाने की मंजूरी सीबीआई (CBI) को प्राप्त हो गई है। लेकिन यह सवाल उठता है कि लैंड फॉर जॉब मामले की जांच तो पहले से ही सीबीआई कर रही थी। ऐसे में केंद्र सरकार से लालू यादव के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति लेने की जरूरत क्यों पड़ी?

 

Land for jobs: जमीन के बदले रेलवे में नौकरी घोटाले के मामले में सीबीआई ने राउज एवेन्यू स्थित विशेष न्यायालय को सूचित किया है कि पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में मुकदमा चलाने के लिए आवश्यक मंजूरी प्राप्त हो चुकी है। जांच एजेंसी ने अदालत में अनुमति पत्र पेश करते हुए कहा कि इस मामले में लगभग 30 अन्य आरोपित भी शामिल हैं, जिनके लिए अभियोजन मंजूरी की प्रतीक्षा की जा रही है।

 

इस प्रक्रिया के लिए 15 दिन का और समय मांगा गया है। विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने सीबीआई को अन्य आरोपितों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी प्राप्त करने की प्रक्रिया में तेजी लाने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को तय की गई है।

 

लालू-तेजस्वी को जमानत प्रदान की

अदालत ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव सहित 32 लोकसेवकों के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी पर निर्णय लें। इस वर्ष 7 जून को सीबीआई ने लालू और 77 अन्य आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था, जिसमें 38 उम्मीदवार भी शामिल हैं।

चार अक्टूबर, 2023 को अदालत ने लालू प्रसाद, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव और अन्य को नए आरोप पत्र के संबंध में जमानत प्रदान की थी। दूसरे आरोप पत्र में 17 आरोपित शामिल हैं, जिनमें लालू प्रसाद, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव, पश्चिम मध्य रेलवे के तत्कालीन महाप्रबंधक, दो मुख्य कार्मिक अधिकारी और अन्य शामिल हैं।

 

लालू के खिलाफ केस चलाने के लिए लेनी पड़ी इजाजत

यह जानना आवश्यक है कि किसी भी सरकारी अधिकारी या संसद के सदस्यों को बिना उचित प्रक्रिया के गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। लालू यादव उस समय रेल मंत्री थे। इसलिए किसी सांसद या मंत्री की गिरफ्तारी के लिए केंद्र सरकार की अनुमति जरूरी होती है। यदि कोई व्यक्ति सरकारी पद पर रहते हुए सरकारी कार्यों में अनियमितता करता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने से पहले उसके संबंधित विभाग से अनुमति प्राप्त करनी होती है।

केवल इसी स्थिति में उस संबंधित अधिकारी या सांसद के खिलाफ मुकदमा आगे बढ़ाया जा सकता है। जमीन के बदले नौकरी मामले में केंद्र ने अब लालू यादव के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति प्रदान कर दी है, और 15 अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति के लिए समय मांगा गया है।

 

क्या हैं पूरा मामला?

 

 

सीबीआई ने 18 मई, 2022 को तत्कालीन रेल मंत्री, उनकी पत्नी, दो बेटियों और अज्ञात लोक सेवकों तथा अन्य व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। आरोप है कि वर्ष 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्री के रूप में कार्य करते समय लालू प्रसाद ने विभिन्न रेलवे जोनों में ग्रुप-डी पदों पर उम्मीदवारों की नियुक्ति के बदले में अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर भूमि हस्तांतरण के माध्यम से लाभ उठाया।

पटना के निवासी उम्मीदवारों या उनके परिवार के सदस्यों ने अपनी ज़मीन मंत्री के परिवार के सदस्यों और उनके नियंत्रण वाली निजी कंपनी को बेची या उपहार में दी। इन नियुक्तियों के लिए कोई विज्ञापन या सार्वजनिक नोटिस जारी नहीं किया गया था।

 

ग्रुप डी के पदों पर भी की गई नियुक्ति

पटना के निवासियों को मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर समेत विभिन्न रेलवे क्षेत्रों में ग्रुप-डी पदों पर नियुक्त किया गया। आरोपितों ने अपने सहयोगियों के माध्यम से उम्मीदवारों से आवेदन पत्र और आवश्यक दस्तावेज एकत्रित किए और उन्हें पश्चिम मध्य रेलवे को भेज दिया। पश्चिम मध्य रेलवे के महाप्रबंधकों ने उन नियुक्तियों को मंजूरी दी। इस प्रक्रिया में अप्रत्यक्ष तरीके का उपयोग किया गया। प्रारंभ में, उम्मीदवारों को वैकल्पिक रूप से नियुक्त किया गया और बाद में उन्हें नियमित कर दिया गया।

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