महाराष्ट्र में पवार परिवार में दरार, शरद और अजित ने अलग-अलग मनाया 'पड़वा' समारोह, जानें पूरी जानकारी

महाराष्ट्र में पवार परिवार में दरार, शरद और अजित ने अलग-अलग मनाया 'पड़वा' समारोह, जानें पूरी जानकारी
Last Updated: 02 नवंबर 2024

महाराष्ट्र में पहली बार पवार परिवार ने दीवाली 'पड़वा' समारोह को अलग-अलग मनाने का निर्णय लिया है। शरद पवार ने अपने पोते और बारामती से एनसीपी उम्मीदवार युगेंद्र पवार के प्रचार के दौरान गोविंद बाग में त्योहार मनाया, जबकि उपमुख्यमंत्री और एनसीपी प्रमुख अजित पवार ने अपनी पत्नी सांसद सुनेत्रा पवार और बेटों पार्थ और जय के साथ कटयाची वाड़ी में जश्न मनाया।

बारामती: Maharashtra Politics में चाचा शरद पवार और भतीजे अजित पवार के बीच राजनीतिक विभाजन के बाद अब पारिवारिक स्तर पर भी दरार सामने आई है। दोनों परिवारों ने पहली बार दीवाली 'पड़वा' अलग-अलग मनाने का फैसला किया, जिससे इस परिवार में हालात और भी तनावपूर्ण हो गए हैं।

अलग-अलग मनाया पवार परिवार ने दीवाली पड़वा

चाचा शरद पवार ने अपने पोते और बारामती से एनसीपी (SCP) उम्मीदवार युगेंद्र पवार का प्रचार करते हुए गोविंद बाग में दीवाली पड़वा मनाया। वहीं, उपमुख्यमंत्री और एनसीपी प्रमुख अजित पवार अपनी पत्नी, सांसद सुनेत्रा पवार, और दो बेटों पार्थ और जय के साथ कटयाची वाड़ी में जश्न मनाने पहुंचे।

बारामती के निवासियों को भी आई कठिनाई

परंपरागत रूप से, शरद पवार और अजित पवार दीवाली पड़वा के अवसर पर गोविंद बाग में लोगों से मिलते थे। बारामती के लोगों के लिए यह समय कठिन था, क्योंकि उन्हें शरद पवार और अजित पवार में से किसी एक का चयन करना था। हालांकि, कुछ लोगों ने दोनों नेताओं से मिलने और उन्हें बधाई देने को प्राथमिकता दी।

एक-दूसरे की आलोचना

पवार परिवार में विभिन्न त्योहारों का मनाना यह संकेत देता है कि शरद पवार और अजित पवार के बीच रिश्ते ठीक नहीं हैं। दोनों ने एक-दूसरे की आलोचना करते हुए अपने चुनावी अभियान की शुरुआत की। अजित पवार के बेटे पार्थ पवार ने यह स्पष्ट किया कि दीवाली और पड़वा अब अलग-अलग मनाए जाएंगे।

भविष्य में भी अलग मनाएंगे: पार्थ पवार

पार्थ पवार ने बताया कि कार्यकर्ताओं ने यह महसूस किया कि हमें दीवाली पड़वा को अलग से मनाने की आवश्यकता है, और अजित दादा ने उसी के अनुसार निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि भविष्य में भी इस परंपरा को जारी रखा जाएगा। यदि दीवाली पड़वा एक साथ मनाई जाती, तो यह चल रहे विधानसभा चुनाव अभियान के दौरान लोगों के लिए भ्रम उत्पन्न कर सकता था।

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