उत्तर प्रदेश में अब स्कूलों में देर से आने और जल्दी जाने वाले शिक्षकों पर मुख्यमंत्री की सीधी निगरानी रहेगी। बेसिक स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति, उनकी अनुपस्थिति और स्कूल में पहुंचने का समय आदि से संबंधित आंकड़े एकत्रित किए जा रहे हैं। किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इस दिशा में कड़े निर्देश दिए जाएंगे और समीक्षा की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
Prayagraj: बेसिक स्कूलों में देर से आने वाले और जल्दी जाने वाले शिक्षकों पर अब सख्त कार्रवाई होने वाली है। जो शिक्षक बिना किसी सूचना के अनुपस्थित रहते हैं, उन्हें भी अब सचेत रहने की आवश्यकता है। किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मुख्यमंत्री इस स्थिति पर सीधे तौर पर निगरानी रखेंगे। उनके समीक्षा बिंदुओं में यह विषय प्रमुखता से शामिल रहेगा।
दीपावली के बाद इस दिशा में कड़े निर्देश और समीक्षाओं का दौर शुरू होगा। स्कूलों में अब तक की उपस्थिति के आंकड़ों की भी जांच की जाएगी। खास बात यह है कि इस मामले में स्थानीय शिक्षा विभाग के कार्यालय की भूमिका केवल ऊपर से मिलने वाले आदेशों का पालन कराने तक सीमित रहेगी।
मुख्यमंत्री डैशबोर्ड में जुड़े 4 नए विभाग
मुख्यमंत्री डैशबोर्ड ने योजनाओं और परियोजनाओं की निगरानी एवं मूल्यांकन के लिए चार नए विभागों को जोड़ा है। इनमें सामाजिक कल्याण और सरकारी मंत्रालयों द्वारा संचालित दसवीं कक्षा से पहले और दसवीं कक्षा के बाद दी जाने
वाली छात्रवृत्तियों, बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों की उपस्थिति, खाद्य आपूर्ति विभाग, और पिछड़ा वर्ग कल्याण से संबंधित धान खरीद की प्रक्रिया शामिल है।
शिक्षकों की उपस्थिति पर फिर सख्ती
यह ध्यान देने योग्य है कि पहले शिक्षकों की उपस्थिति का रजिस्टर ऑनलाइन किया जाने वाला था। इस मुद्दे को लेकर प्रदेशभर में आंदोलन हुआ। उसके बाद, इस निर्देश को तीन महीने के लिए स्थगित कर दिया गया था। अब, शासन ने शिक्षकों की कार्यप्रणाली में सुधार लाने और उनके स्कूलों में योगदान से बच्चों को मिलने वाले लाभ का मूल्यांकन करने का निर्णय लिया है।
प्रवीण कुमार तिवारी का बयान
बीएसए प्रवीण कुमार तिवारी ने बताया कि जनपद में नियमित रूप से स्कूलों का निरीक्षण किया जा रहा है, जिसके लिए समन्वयकों और खंड शिक्षाधिकारियों की एक सक्रिय टीम कार्यरत है। हालांकि, मुख्यमंत्री डैशबोर्ड के तहत समीक्षा और मूल्यांकन की प्रक्रिया अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन शासन का जोर शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने और स्कूलों में समय का पालन कराने पर है।
तिवारी ने यह भी कहा कि अनुपस्थिति या समय का पालन न करने जैसे मामलों में कठोर कार्रवाई की जाएगी। इस कदम का उद्देश्य न केवल शिक्षकों की कार्यप्रणाली में सुधार लाना है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का लाभ मिल सके।