Ahoi Ashtami 2024: संतान सुख के लिए अष्टमी व्रत की विशेष पूजा विधि और शुभ मुहूर्त की जानकारी

Ahoi Ashtami 2024: संतान सुख के लिए अष्टमी व्रत की विशेष पूजा विधि और शुभ मुहूर्त की जानकारी
Last Updated: 23 अक्टूबर 2024

सनातन धर्म में संतान की लंबी उम्र और सुखमय भविष्य के लिए अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami 2024) का व्रत विशेष महत्व रखता है। यह व्रत हर साल कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन, महिलाएं अहोई माता की विधिपूर्वक पूजा करती हैं, जिसमें विशेष रूप से व्रत कथा का पाठ किया जाता है। इस पूजा के माध्यम से वे संतान के स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं।

अहोई अष्टमी व्रत का आयोजन संतान की कल्याण और दीर्घायु के लिए किया जाता है।

व्रत का पारण तारे को अर्घ्य देने के बाद किया जाता है।

इस दिन अहोई माता की पूजा और अर्चना विधिपूर्वक की जाती है।

होई अष्टमी का पर्व दिवाली से पूर्व मनाया जाने वाला एक विशेष अवसर है, जिसे अहोई आठे के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन की धार्मिक मान्यता है कि विधिपूर्वक पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। व्रत का पारण तारों को अर्घ्य देने के बाद किया जाता है, जिससे संतान को सफलता और समृद्धि मिलती है।

ऐसा माना जाता है कि यदि अहोई माता की पूजा में कोई लापरवाही बरती जाती है, तो साधक को इच्छित फल की प्राप्ति नहीं होती। इसलिए, इस दिन विधि-विधान से उपासना करना अत्यंत आवश्यक है। यदि आप इस व्रत का पालन करने की योजना बना रही हैं, तो इस लेख में दी गई अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami 2024) का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में जानकारी प्राप्त करना भूलें।

कब है अहोई अष्टमी: अहोई अष्टमी 2024 में 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि रात 01:18 बजे शुरू होगी और 25 अक्टूबर को रात 01:58 बजे समाप्त होगी। इसलिए, अहोई अष्टमी का पर्व 24 अक्टूबर को धूमधाम से मनाया जाएगा।

अहोई अष्टमी 2024 शुभ मुहूर्त: अहोई अष्टमी 2024 का शुभ मुहर्त 24 अक्टूबर को निर्धारित किया गया है, जो शाम 05:42 बजे से 06:59 बजे तक रहेगा। इस विशेष समय के दौरान महिलाएं विधिपूर्वक अहोई माता और भगवान गणेश की पूजा-अर्चना कर सकती हैं। इस दिन की पूजा संतान सुख और लंबी उम्र के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है, इसलिए इस मुहर्त का ध्यान रखना आवश्यक है।

अहोई अष्टमी पूजा विधि

प्रभात की शुरुआत: सुबह जल्दी उठें और दिन की शुरुआत देवी-देवता के ध्यान से करें।

स्नान: सुबह स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

सूर्य देव को जल अर्पित करें: पूजा करने से पहले सूर्य देव को जल अर्पित करें।

पूजा का संकल्प: अहोई माता की पूजा के लिए व्रत का संकल्प लें।

चित्र बनाएं: घर के साफ स्थान पर अहोई माता का चित्र या मिट्टी की आकृति बनाएं।

संध्याकाल में पूजा: संध्या के समय विधिपूर्वक अहोई माता की उपासना करें।

कुमकुम और फूल माला: माता को कुमकुम लगाएं और फूलों की माला अर्पित करें।

दीप जलाएं: देसी घी का दीपक जलाएं और अहोई माता की आरती करें।

भोग अर्पित करें: फल, मिठाई, पूरी और सब्जी समेत अन्य चीजों का भोग लगाएं।

व्रत कथा का पाठ: अहोई अष्टमी की कथा का पाठ करें।

तारों को अर्घ्य दें: रात में तारों को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें।

मंत्र का जप: पूजा के दौरान " पार्वतीप्रियनंदनाय नमः" का जप करें। यह मंत्र संतान से जुड़ी परेशानियों को दूर करने में मददगार माना जाता है।

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