Bihar Politics News: बिहार में दो दिवसीय दौरे पर आए JP नड्डा, विधानसभा उपचुनाव को लेकर किया प्रचार, पढ़ें इस दौरे की कुछ खास बातें

Bihar Politics News: बिहार में दो दिवसीय दौरे पर आए JP नड्डा, विधानसभा उपचुनाव को लेकर किया प्रचार, पढ़ें इस दौरे की कुछ खास बातें
Last Updated: 08 सितंबर 2024

 

बिहार में राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) की जीत सुनिश्चित करने के लिए भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने चार विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए जोरदार प्रचार किया। उन्होंने अपने भाषण में विपक्ष, विशेषकर राजद (राष्ट्रीय जनता दल) पर तीखा हमला करते हुए कहा कि राजद के शासनकाल में अति पिछड़ों और दलितों का शोषण हुआ था।

पटना: बिहार में राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) का राज कायम रखने के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने शनिवार को चार विधानसभा सीटों (रामगढ़, तरारी, बेलागंज, इमामगंज) पर होने वाले उपचुनाव के लिए मतदाताओं को रिझाने का प्रयास किया। अपने दौरे के दौरान नड्डा ने पटना और मुजफ्फरपुर में आयोजित कार्यक्रमों के माध्यम से विपक्ष, विशेषकर राजद (राष्ट्रीय जनता दल) के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाया और मतदाताओं को विपक्ष की नीतियों से सावधान किया।

नड्डा ने अपने भाषण में राजद के शासनकाल की आलोचना करते हुए बताया कि उस समय बिहार में विकास कार्य ठप हो गए थे और अराजकता का माहौल था। उन्होंने जोर देकर कहा कि राजग सरकार ने राज्य में स्थिरता, विकास और सुशासन को बढ़ावा दिया है। उनके दौरे का उद्देश्य राजग के आधार मतदाताओं के बीच यह संदेश देना था कि केवल भाजपा और राजग ही बिहार को आगे ले जा सकते हैं।

नड्डा ने राजद को किया सावधान

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बिहार में चार विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के प्रचार के दौरान विपक्षी दलों पर तीखा हमला बोला। उन्होंने "हरा गमछा और हरी टोपी" से राजद (राष्ट्रीय जनता दल) के शासन की ओर इशारा करते हुए अति पिछड़े वर्गों और दलितों के साथ हुए शोषण और अत्याचार को याद दिलाया। नड्डा ने इस बात पर जोर दिया कि राजद के शासन के दौरान जातिगत संघर्ष और असमानता का माहौल था, जिससे मतदाताओं को भविष्य में सतर्क रहने की नसीहत दी।

इसके साथ ही नड्डा ने राजग सरकार के तहत बिहार में हुए विकास कार्यों और उपलब्धियों को गिनाकर राज्य के भविष्य को सुनहरे सपनों से जोड़ने का प्रयास किया। उन्होंने आरक्षण और संविधान से जुड़े मुद्दों पर विपक्ष, खासकर आईएनडीआईए गठबंधन द्वारा फैलाए जा रहे भ्रम का जवाब देते हुए सामाजिक समीकरण को स्पष्ट किया।

नड्डा ने भाजपा और अन्य पार्टियों के बीच बताया अंतर

जेपी नड्डा ने बिहार में अपने संबोधन में भाजपा और अन्य दलों के बीच स्पष्ट अंतर बताने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में विभिन्न सामाजिक समूहों का उचित प्रतिनिधित्व है, जिसमें 71 मंत्रियों में से 10 अनुसूचित जाति, 27 पिछड़ा वर्ग और 5 आदिवासी मंत्री शामिल हैं। नड्डा ने यह दावा किया कि भाजपा में कार्यकर्ताओं को समान अवसर दिए जाते हैं, जिससे एक साधारण कार्यकर्ता भी उच्च पदों तक पहुंच सकता है, जैसे प्रधानमंत्री, राष्ट्रीय अध्यक्ष, और प्रदेश अध्यक्ष।

इसके विपरीत, नड्डा ने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस, राजद, सपा और एनसी जैसी पार्टियों में केवल खास परिवारों या विशेष जाति से जुड़े लोग ही पार्टी के शीर्ष पदों पर पहुंच सकते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि इन दलों में आरक्षण की बजाय अपने परिवारों को अवसर दिया जाता है। भाजपा के मंच पर उपस्थित नेताओं की ओर इशारा करते हुए नड्डा ने यह भी कहा कि उनके संगठन में बूथ स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक कार्यकर्ताओं को पद मिलते हैं

"भाजपा दलित समाज की शुभ चिंतक" - जेपी नड्डा

जेपी नड्डा ने भाजपा की उपलब्धियों और इसके सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता को उजागर करते हुए विपक्षी दलों की आलोचना की। उन्होंने कहा कि भाजपा में अवसरों की समानता है और पार्टी में कोई बड़ा या छोटा नहीं होता। उनके अनुसार, भाजपा में एक गरीब परिवार से आए नरेन्द्र मोदी जैसे व्यक्ति भी उच्च पदों तक पहुंच सकते हैं, जबकि अन्य दलों में यह अवसर केवल विशिष्ट परिवारों, खानदानों या जातियों तक सीमित होता हैं।

नड्डा ने आरोप लगाया कि आइएनडीआइए के दलों ने दलितों के साथ राजनीति की और उनके अधिकारों की रक्षा नहीं की। उन्होंने कांग्रेस पर भी आरोप लगाया कि उसने डॉ. भीमराव अंबेडकर को लोकसभा में जाने से रोकने की कोशिश की, जबकि भाजपा ने उनके योगदान को मान्यता दी। उन्होंने वीपी सिंह की सरकार द्वारा अंबेडकर को भारत रत्न देने और मोदी द्वारा संविधान दिवस मनाने की घोषणा की सराहना भी की हैं।

नड्डा ने यह भी बताया कि भाजपा ने अंबेडकर की जन्मभूमि और शिक्षा भूमि पर महत्वपूर्ण मेमोरियल और स्मारक बनाए हैं, और उनकी योगदान को मान्यता देने के लिए विशेष प्रयास किए हैं। उनका तर्क था कि कांग्रेस ने दलितों के मुद्दों पर सिर्फ राजनीति की, जबकि भाजपा ने वास्तविक और ठोस कदम उठाए हैं।

 

 

 

 

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