इनकम टैक्स अधिकारी देबाशीष विश्वास ने 57 दिनों में माउंट एवरेस्ट की चोटी पर तिरंगा फहरा दिया। देबाशीष विश्वास वर्तमान में आयकर विभाग में संयुक्त सचिव हैं। प्रारंभ में, उन्होंने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई के लिए तिब्बत का रास्ता चुना था, लेकिन वहां से अनुमति नहीं मिलने के बाद, उन्होंने नेपाल के रास्ते जाने का निर्णय लिया।
धनबाद: इनकम टैक्स अधिकारी देबाशीष विश्वास ने घने जंगलों और पर्वतों में पैदल घूमने के अपने शौक को अपनाया और उसे एक महान साहसिक यात्रा में बदल दिया। पढ़ाई के दौरान भी, जब उन्हें समय मिलता, वे कॉलेज के दोस्तों के साथ बाहर निकल जाते थे। यही शौक उन्हें पर्वतारोही बना गया। उन्होंने दुनिया की 42 चोटियों पर विजय प्राप्त की और 1997 में गढ़वाल के माउंट कामेट की ऊंचाई भी नापी।
उनका सपना हमेशा से माउंट एवरेस्ट की चोटी पर विजय प्राप्त करने का था। अपने साथियों के साथ, उन्होंने इस चुनौती को स्वीकार किया और 57 दिनों में माउंट एवरेस्ट की चोटी पर तिरंगा फहराया। यह उनकी लगन, मेहनत और साहस का प्रतीक है और इस उपलब्धि ने उन्हें पर्वतारोही के रूप में एक विशेष स्थान दिलाया।
संयुक्त सचिव देबाशीष विश्वास ने रचा इतिहास
आयकर विभाग धनबाद के संयुक्त सचिव देबाशीष विश्वास ने पर्वतारोहण के क्षेत्र में अद्वितीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं। उन्होंने दुर्गम मानी जाने वाली पर्वत चोटी कंचनजंगा पर भी विजय पताका फहराई। इसके अतिरिक्त, इस माह उन्होंने सेंट्रल एशिया की 5000 मीटर ऊंची काकेशस पर्वत की चोटी को भी मात दी। यह पर्वतीय चोटी सेंट्रल एशिया के जॉर्जिया और अजरबैजान में स्थित है। इस अभियान में उनके साथ चार अन्य भारतीय पर्वतारोही भी थे। यात्रा 20 जुलाई को शुरू हुई और 19 अगस्त को टीम वापस लौटी।
देबाशीष विश्वास ने बताया कि उनका पर्वतारोहण का सफर बदस्तूर आगे भी जारी रहेगा। उन्होंने माउंट एवरेस्ट और कंचनजंगा के साथ-साथ अन्नपूर्णा, मकालु, मानसलु, ल्होत्से, धौलागिरि, कामेट, शिव, शिवलिंग, पनवालीदार, इंद्रासन, आमा देबलाम, पामीर जैसे दुरूह शिखरों समेत विश्व की 42 सबसे ऊंची पर्वत चोटियों पर चढ़ाई की है। वे मानते हैं कि यदि हौसला कायम रहे, तो कदम दर कदम पर्वतों पर जीत का सिलसिला लगातार चलता रहेगा। देबाशीष विश्वास की यह यात्रा उनके असाधारण साहस और परिश्रम का प्रतीक हैं।
देबाशीष नेपाल के रास्ते पहुंचे माउंट एवरेस्ट
देबाशीष विश्वास का माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई का सफर न केवल रोमांचक बल्कि प्रेरणादायक भी है। 1 अप्रैल 2010 को उन्होंने इस कठिन और साहसिक यात्रा की शुरुआत की। तिब्बत के रास्ते से चढ़ाई बजट फ्रेंडली थी, लेकिन अनुमति न मिलने के कारण उन्होंने नेपाल के रास्ते से यात्रा करने का निर्णय लिया।
काठमांडू से लुकला के लिए प्लेन से यात्रा करने के बाद, उन्होंने वहां से ट्रैकिंग शुरू की। बर्फ और चट्टानों से जूझते हुए, वे 14 अप्रैल को 5400 मीटर ऊंचे बेस कैंप पहुंचे। इसके बाद, उन्होंने क्रमशः 6100 मीटर पर कैंप-एक, 6400 मीटर पर कैंप-2, 7300 मीटर पर कैंप-3 और 7955 मीटर ऊंचाई पर कैंप-4 स्थापित किया। कैंप-4 के बाद, उन्होंने माउंट एवरेस्ट पर विजय पताका लहराई और 27 मई को अभियान पूरा कर लौटे।
देबाशीष विश्वास बहुचर्चित टेलीविजन शो दादागीरी के है विजेता
देबाशीष विश्वास भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली के बहुचर्चित टेलीविजन शो "दादागीरी" के विजेता भी रहे हैं। देबाशीष ने पर्वतारोहण पर 11 पुस्तकें लिखी हैं और हिंदी में भी उनकी एक पुस्तक जल्द प्रकाशित होने वाली है। उन्होंने पर्वतारोहण पर 11 फिल्में भी शूट की हैं, जो कोलकाता फिल्म फेस्टिवल और एडवेंचर फिल्म फेस्टिवल में प्रमुखता से प्रदर्शित की गईं। देबाशीष को मिले सम्मान और पुरस्कार:
* तेंजिंग नार्गे नेशनल एडवेंचर अवार्ड
* सेंट्रल रेवेन्यू स्पोर्ट्स एंड कल्चरल बोर्ड विशिष्ट अवार्ड
* इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन गोल्ड मेडल
* रदोनाथ सिकदार तेंजिंग नार्गे अवार्ड
* बंगाल कोलकाता कारपोरेशन की ओर से कोलकाता श्री
* मदर टेरेसा इंटरनेशनल अवार्ड
देबाशीष का धनबाद से गहरा संबंध
धनबाद में 2015-16 के दौरान देबाशीष विश्वास आयकर विभाग में सहायक आयुक्त के पद पर थे और कुछ महीनों पहले संयुक्त आयुक्त के रूप में पदोन्नत हुए। वे केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड की साहसिक समिति के अखिल भारतीय सहायक समन्वयक, बंगाल पर्वतारोहण और साहसिक खेल फाउंडेशन के शासी निकाय के सदस्य और पर्वत बचाव के समन्वयक भी हैं।
उनका कहना है कि चट्टानों के बीच से गुजरना, घने जंगलों और हिम आच्छादित पहाड़ियों में यात्रा करना काफी थकाने वाला होता है, लेकिन जीत की भावना और उत्साह उन्हें नए सिरे से काम करने के लिए प्रेरित करता है। देबाशीष विश्वास का यह समर्पण और परिश्रम उनके पेशेवर और साहसिक करियर में स्पष्ट रूप से दिखाई देता हैं।