CM गहलोत पर केंद्रीय मंत्री ने किया मानहानि का दावा:गहलोत बोले- घपलेबाज को मिनिस्टर बनाया,

CM गहलोत पर केंद्रीय मंत्री ने किया मानहानि का दावा:गहलोत बोले- घपलेबाज को मिनिस्टर बनाया,
Last Updated: 09 मई 2023

केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ मानहानि का दावा किया है। शेखावत ने दोपहर दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट पहुंचे और दावा पत्र पेश किया। सिंह ने संजीवनी घोटाले में उनके परिवार के बारे में की गई बयानबाजी को केस का आधार बनाया है।

दरअसल, गहलोत ने 21 फरवरी को सचिवालय में बजट की समीक्षा बैठक के बाद कहा था कि संजीवनी घोटाले में गजेंद्र सिंह के मां-बाप, पत्नी सहित पूरा परिवार शामिल है।वहीं, इस मामले में गहलोत ने भी गजेंद्र सिंह पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा- अफसोस ऐसे घपलेबाज को सरकार ने मंत्री बना रखा है।, यह कैसे मंत्री रह सकता है?

संजीवनी घोटाले में गजेंद्र सिंह पर गहलोत लंबे समय से आरोप लगा रहे हैं। गहलोत गजेंद्र सिंह पर सरकार गिराने के षड़यंत्र के मुख्य किरदार होने के आरोप भी लगाते रहे हैं। सीएम गहलोत के खिलाफ मानहानि केस को राजस्थान की सियासत में विवाद की प्रमुख कड़ी के तौर पर देखा जा रहा है। गजेंद्र सिंह शेखावत संजीवनी घोटाले में खुद को बेकसूर बताते हुए सीएम गहलोत पर राजनीतिक दुश्मनी जैसे बयान देने के आरोप लगाते रहे हैं।

गहलोत बोले- मानहानि केस का स्वागत है, यह घोटाला तो चर्चा में आएगा

मानहानि केस को लेकर सीएम अशोक गहलोत ने भी केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि- ऐसे घपलेबाज को आप अपने मंत्रिमंडल में कैसे रख सकते हैं। यह तो सब कागजों में है कि घपला हुआ है। केंद्र सरकार ने लिक्विडेटर बैठा रखा है। इस आदमी को शर्म भी नहीं आती। संजीवनी घोटाले में पीड़ितों से बात तक नहीं करता।

गजेंद्र सिंह खुद गुनहगार
गहलोत ने कहा- गजेंद्र सिंह के मानहानि केस का स्वागत है। कम से कम इस बहाने केस आगे बढ़ेगा। संजीवनी घोटाले में लाखों डूबा चुके गरीबों का भला होगा। वो पैसा कहां गया है। इथोपिया में गया है। गबन हुआ है। उनके खुद के लोग जेल में बैठे हुए हैं।

वो गजेंद्र सिंह खुद गुनहगार है, उनकी पत्नी, साले, उनके पिताजी का नाम है। उनकी माताजी का देहातं हो गया, उनका नाम है। यह हकीकत है। इन्हें शर्म आनी चाहिए कि मंत्री बनने के बाद जिम्मेदारी बढ़ जाती है, तो आगे बढ़कर बात करते। संजीवनी के लोग जेलों में बैठे हैं। ईडी ही संजीवनी की प्रोपर्टी जब्त कर सकती है, अगर हमें अधिकार होता तो कब की प्रोपर्टी जब्त करके पीड़ितों का चुका देते।

सीएम गहलोत ने सवाल उठाया कि संजीवनी मामले में ईडी छापे क्यों नहीं डाल रही।

 

गहलोत ने कहा- मानहानि केस के बहाने अब कम से कम राष्ट्रीय स्तर पर यह घोटाला चर्चा में आएगा। प्रधानमंत्री और अमित शाह के मामला ध्यान में आएगा। ईडी छापे के लिए संजीवनी केस परफेक्ट है। देश भर में ईडी छापे डाल रही है, संजीवनी पर क्यों नही डाल रही। अमित शाह के पास कॉपरेटिव मंत्रालय है, उन्हें एक्शन लेना चाहिए।

संजीवनी घोटाले में सीएम अशोक गहलोत के आरोपों पर गजेंद्र सिंह ने कहा था कि उनका कहीं कोई रोल नहीं है। संजीवनी की एसओजी जांच में उन्हें और उनके परिवार के किसी मेंबर का एफआईआर में जिक्र नहीं है। एसओजी बुलाए तो जाने को तैयार हूं। वॉयस टेस्ट के लिए ​एसीबी ने कभी नहीं बुलाया।

21 फरवरी को गहलोत ने आरोप लगाए

21 फरवरी को गहलोत ने कहा था कि संजीवनी घोटाले में गजेंद्र सिंह के परिवार के लोग शामिल हैं। गजेंद्र सिंह के पिता, माता जी, पत्नी, इनके साले पांचों लोग उसमें शामिल हैं। इनकी माता जी का निधन हो गया है। इस मामले में लगभग 50 आरोपी हैं। 21 फरवरी के इस बयान के 11 दिन बाद अब केंद्रीय मंत्री शेखावत ने दिल्ली कोर्ट में मानहानि का केस दायर करने का फैसला किया है।

मुख्यमंत्री के ओएसडी लोकेश शर्मा पुलिस अफसरों के खिलाफ फोन टैपिंग मामले में गजेंद्र सिंह पहले भी केस दर्ज करवा चुके।

फोन टैपिंग का मुकदमा भी दिल्ली पुलिस में

गजेंद्र सिंह शेखावत ने सियासी संकट के वक्त फोन टैपिंग का आरोप लगाते ​हुए मुख्यमंत्री के ओएसडी सहित पुलिस अफसरों के खिलाफ दिल्ली पुलिस में मार्च 2021 में केस दर्ज करवाया था। दिल्ली क्राइम ब्रांच में दो साल से जांच पैंडिंग है। अब तक जांच में कोई खास प्रोग्रेस नहीं है।

सीएम के ओएसडी लोकेश शर्मा की गिरफ्तारी पर दिल्ली हाईकोर्ट ने रोक लगा रखी है। दिल्ली में फोन टैपिंग केस के बाद अब सीएम के खिलाफ मानहानि का केस भी वहीं दायर करने की सियासी हलकों में चर्चा शुरू हो गई है।

मानहानि के केस लंबे चलते हैं, लेकिन चुनावी साल में ​सियासी मायने

राजनीतिक आरोप प्रत्यारोपों के आधार पर मानहानि को साबित करना आसान नहीं है। इसके केस लंबे चलते हैं। चुनावी साल में मुख्यमंत्री के खिलाफ मानहानि के केस सियासी चर्चा के हिसाब से काफी अहम माना जा रहा है। इसका फैसला भले ही देरी से आए लेकिन सियासी बयानबाजी के लिए मुद्दा जरूर मिल जाएगा।

 

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