शिखा शाह ऑल्टमैट की संस्थापक और सीईओ हैं, जो कृषि अपशिष्ट को पुनर्चक्रित करके पर्यावरण-अनुकूल फाइबर का उत्पादन करती हैं। इस फाइबर की मांग यूरोप और अमेरिका की फॉर्च्यून 500 कंपनियों में है, जहां इसे बेचा जाता है।
Shikha Shah: अहमदाबाद की शिखा शाह ने कचरे से कमाई का अनोखा तरीका खोज निकाला है। वह 'ऑल्टमैट' नामक कंपनी की संस्थापक और सीईओ हैं, जो कृषि कचरे से कपड़े के लिए पर्यावरण-अनुकूल फाइबर बनाती है। इस फाइबर का ब्रांड नाम 'ऑल्टैग' है। शिखा की कंपनी किसानों से खेती का कचरा खरीदती है, जिससे किसान कचरा जलाने और जहरीला धुआं फैलाने से बच जाते हैं। ऑल्टमैट की सालाना 30 करोड़ रुपये के ईको-फ्रेंडली फाइबर बनाने की क्षमता है, और इसके क्लाइंट्स में यूरोप और अमेरिका की कई फॉर्च्यून 500 कंपनियां शामिल हैं। आइए, शिखा शाह की इस सफलता की कहानी पर एक नजर डालते हैं।
शिखा शाह की ऑल्टमैट कंपनी का सफर
शिखा शाह ने बचपन से ही वेस्ट मैनेजमेंट की बातें सुनी थीं, क्योंकि उनके पिता विष्णु शाह ऑटोमोबाइल के कचरे से धातु बनाने का व्यवसाय करते थे। निरमा यूनिवर्सिटी से बिजनेस की पढ़ाई पूरी करने के बाद शिखा ने अमेरिका की बैब्सन यूनिवर्सिटी से आंत्रप्रेन्योरशिप और लीडरशिप में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। अपनी मां से प्रेरित होकर उन्होंने 19 साल की उम्र में एक एनजीओ से जुड़ने का निर्णय लिया। जल्द ही शिखा को यह समझ में आने लगा कि बड़े पैमाने पर बदलाव लाने के लिए व्यवसाय को उद्देश्य के साथ जोड़ना आवश्यक है।
2019 में ऑल्टमैट की नींव
शिखा शाह ने दिसंबर 2019 में ऑल्टमैट की स्थापना की, जिसमें उनके पिता उन्हें रणनीतिक मार्गदर्शन देते हैं। शिखा का उद्देश्य पर्यावरण पर हानिकारक प्रभाव को कम करना था, क्योंकि उन्होंने पाया कि लगभग 57% कपड़े पॉलिएस्टर से बनते हैं, जो हर धोने पर माइक्रोप्लास्टिक छोड़ता है और समुद्री तथा मानव जीवन के लिए नुकसानदेह है। कपास की खेती में भी भारी मात्रा में कीटनाशकों और पानी का उपयोग होता है। इसके समाधान के रूप में शिखा की कंपनी ऑल्टमैट हर साल 1,000 टन फाइबर का उत्पादन करती है, जो 40 लाख शर्ट या टी-शर्ट बनाने के लिए पर्याप्त है।
कचरे से कीमती चीजें बनाने का जुनून
शिखा शाह का वेंचर ऑल्टमैट पायलट प्रोजेक्ट से औद्योगिक स्तर तक विकसित हो चुका है और अब यह सालाना 30 करोड़ रुपये के फाइबर का उत्पादन कर रहा है। कंपनी का सहयोग 11 बड़े ब्रांड हाउस के साथ है और यह एम्स्टर्डम की 'फैशन फॉर गुड' एक्सेलरेटर पहल का हिस्सा भी है। किसान जो भोजन, दवाओं और सौंदर्य प्रसाधनों के लिए फसलें उगाते हैं, ऑल्टमैट उनसे कृषि अपशिष्ट खरीदता है। इस कचरे की संरचना को कपास जैसी संरचना में बदलकर सूत बनाया जाता है, जिससे कपड़े, बैग, जूते और घरेलू सजावट के सामान जैसे कालीन इत्यादि तैयार किए जाते हैं।
फाइबर की कीमत 330 - 650 रुपये तक
ऑल्टमैट द्वारा बनाए गए फाइबर की कीमत 330 रुपये से 650 रुपये प्रति किलो के बीच है। यह फाइबर कपास और लिनेन के समान दिखता है और किफायती भी है, जो इसे रेशम और ऊन का एक बेहतर विकल्प बनाता है। इसे फलों, तिलहनों और औषधीय फसलों के कचरे से तैयार किया जाता है—जैसे केले, भांग के बीज, और अनानास। ऑल्टमैट अन्य देशों से भी कृषि अवशेष मंगवाती है। इस प्रक्रिया से किसानों को अपने एग्री-वेस्ट के निपटान की समस्या का समाधान मिलता है। इस कचरे को जलाने से होने वाले प्रदूषण को रोककर ऑल्टमैट पर्यावरण की भी रक्षा करता है।