बीजेपी सांसद संजय जायसवाल ने प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज को मिले बड़े डोनेशन पर सवाल उठाए। घाटे में चल रही कंपनियों के चंदे पर विवाद खड़ा हुआ। किशोर ने पलटवार कर डोनेशन की वैधता स्पष्ट की।
नई दिल्ली। जनसुराज के संस्थापक और राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर की पार्टी को मिले डोनेशन को लेकर बीजेपी सांसद संजय जायसवाल ने विवाद खड़ा किया है। उन्होंने सवाल उठाया कि घाटे में चल रही कंपनियां आखिरकार इतने बड़े चंदे का स्रोत कैसे बन सकती हैं। इस विवाद ने सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है।
संजय जायसवाल ने उठाए वित्तीय सवाल
बीजेपी सांसद संजय जायसवाल ने कहा कि जनसुराज को मिली फंडिंग को लेकर कई प्रश्न हैं। उन्होंने रामसेतु इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड का उदाहरण दिया, जो 19 करोड़ रुपए के घाटे में चल रही थी और उसने 14 करोड़ रुपए का डोनेशन जनसुराज को दिया। इसके अलावा उन्होंने स्क्वायर स्पेस कंपनी का जिक्र किया, जिसकी कुल संपत्ति 10 करोड़ और घाटा भी 10 करोड़ है, बावजूद इसके उसने 10 करोड़ रुपए का चंदा दिया।
संजय जायसवाल ने सोशल मीडिया पर लिखा कि बिहार की जनता लालू प्रसाद के द्वारा लिए गए डोनेशन को जानती है, लेकिन प्रशांत किशोर इससे भी बड़े डोनेशन लेने वाले व्यक्ति के रूप में उभर रहे हैं।
प्रशांत किशोर का पलटवार
संजय जायसवाल के आरोपों के बाद प्रशांत किशोर ने पलटवार किया और YSRCP सांसद अयोध्या रामी रेड्डी की कंपनी से डोनेशन मिलने की बात स्वीकार की। उन्होंने कहा कि अयोध्या रामी रेड्डी मौजूदा संसद में सबसे धनी सांसद हैं और उनके पास 750 करोड़ रुपए की संपत्ति है।
प्रशांत किशोर ने स्पष्ट किया कि उन्हें डोनेशन उन्हीं लोगों से मिला है जिनकी मदद उन्होंने पहले की थी। उन्होंने कहा कि अयोध्या रामी रेड्डी सांसद बनने से पहले ही उनके काम में शामिल थे और उनकी कंपनी ने जनसुराज को डोनेट किया।
वित्तीय वर्ष 2023-24 का ऑडिट रिपोर्ट
संजय जायसवाल ने सवाल को आगे बढ़ाते हुए जनसुराज के ऑडिट रिपोर्ट का हवाला दिया, जो इलेक्शन कमीशन की वेबसाइट पर उपलब्ध है। उन्होंने पूछा कि अगर एक कंपनी से 14 करोड़ रुपए का डोनेशन मिला, तो वित्तीय वर्ष 2023-24 में इलेक्शन कमीशन को पार्टी ने केवल 35,000 रुपए का खर्चा क्यों दिखाया।
इस ऑडिट रिपोर्ट के माध्यम से संजय जायसवाल ने वित्तीय पारदर्शिता और डोनेशन के स्रोत पर सवाल उठाए। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि पार्टी के खर्च और डोनेशन के आंकड़ों में अंतर है, जिसे साफ़ करना जरूरी है।