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बाल्टिक सागर में बढ़ा तनाव, रूस ने एस्टोनिया एयरस्पेस उल्लंघन के आरोप को किया खारिज

बाल्टिक सागर में बढ़ा तनाव, रूस ने एस्टोनिया एयरस्पेस उल्लंघन के आरोप को किया खारिज

एस्टोनिया ने रूस के तीन लड़ाकू विमानों पर एयरस्पेस उल्लंघन का आरोप लगाया, जो 12 मिनट तक वहां रहे। रूस ने इन आरोपों को खारिज किया। नाटो और यूरोपीय देशों में तनाव बढ़ा और सुरक्षा बढ़ा दी गई।

Russia: यूरोप में तनाव बढ़ता नजर आ रहा है, क्योंकि एस्टोनिया ने दावा किया है कि रूस ने उसके एयरस्पेस का उल्लंघन किया और लड़ाकू विमान भेजे। एस्टोनिया के अनुसार, रूसी लड़ाकू विमान लगभग 12 मिनट तक उनके एयरस्पेस में रहे। इस घटना को लेकर नाटो और यूरोपीय देशों में चिंता बढ़ गई। वहीं, रूस ने इन आरोपों का पूरी तरह खंडन किया है और कहा कि उनके विमान अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत उड़ान भर रहे थे।

रूस ने आरोपों को किया खारिज

रूसी रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि एस्टोनिया के एयरस्पेस का उल्लंघन नहीं हुआ है। मंत्रालय ने कहा कि लड़ाकू विमान बाल्टिक सागर के न्यूट्रल वॉटर पर उड़ान भर रहे थे और किसी भी देश की सीमा का उल्लंघन नहीं किया गया। मंत्रालय के बयान में कहा गया कि उड़ान के दौरान सभी विमान अपने तय मार्ग पर ही रहे और अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन किया गया।

एस्टोनिया का दावा

एस्टोनिया ने कहा कि रूसी सेना के तीन लड़ाकू विमानों ने उनके एयरस्पेस में प्रवेश किया। ये विमान 12 मिनट तक एस्टोनिया के इलाके में मंडराते रहे। इस घटना को पोलैंड के एयरस्पेस में 20 रूसी ड्रोन की एंट्री के कुछ हफ्तों बाद देखा गया। एस्टोनिया के अधिकारियों का कहना है कि यह सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकता है और यूरोप में तनाव को बढ़ावा दे सकता है।

रूस की सफाई

रूस का कहना है कि लड़ाकू विमानों ने कैलिनिनग्राद के उत्तरी-पश्चिमी इलाके से उड़ान भरी थी। ये विमान बाल्टिक सागर में एस्टोनिया के आईलैंड वैंडलू की सीमा से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर थे, जो न्यूट्रल वॉटर माना जाता है। रूस ने जोर देकर कहा कि विमान अंतरराष्ट्रीय जल सीमा में उड़ान भर रहे थे और किसी भी प्रकार की सीमा उल्लंघन की बात सही नहीं है।

अंतरराष्ट्रीय नियमों पर रूस का जोर

रूसी रक्षा मंत्रालय ने बताया कि उनके विमान अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार उड़ान भर रहे थे। मंत्रालय ने कहा कि एयरस्पेस उल्लंघन के दावे वास्तविकता पर आधारित नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की घटनाएं अक्सर देशों के बीच राजनीतिक तनाव को बढ़ाती हैं और गलतफहमी पैदा करती हैं।

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