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बिहार में SIR के खिलाफ संसद के बाहर बड़ा प्रदर्शन, राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने संभाली कमान

बिहार में SIR के खिलाफ संसद के बाहर बड़ा प्रदर्शन, राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने संभाली कमान

बिहार में जारी विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर संसद में जबरदस्त हंगामा देखने को मिला। मॉनसून सत्र के दूसरे दिन विपक्ष ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया, जिसके चलते सदन में नारेबाजी और शोर-शराबा शुरू हो गया।

नई दिल्ली: बिहार में जारी विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) को लेकर देश की राजनीति में घमासान मचा हुआ है। संसद के मॉनसून सत्र के दूसरे दिन इस मुद्दे को लेकर विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया, जिसके चलते लोकसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। इसके बाद विपक्षी दलों ने संसद के बाहर जमकर विरोध-प्रदर्शन किया। 

इस प्रदर्शन में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव समेत तमाम विपक्षी नेता शामिल हुए। विपक्षी सांसदों ने संसद के मकर द्वार पर बैनर और तख्तियों के साथ प्रदर्शन किया। इन पर लिखा था, लोकतंत्र में मतदाता के अधिकार के साथ छेड़छाड़ नहीं चलेगी।

लोकतंत्र पर संकट, विपक्ष ने लगाए आरोप

प्रदर्शन के दौरान राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने केंद्र सरकार और बिहार प्रशासन पर सीधा निशाना साधा। उन्होंने कहा, अगर लोकतंत्र में मतदाता सुरक्षित नहीं है, तो लोकतंत्र सुरक्षित नहीं है। बिहार में SIR के नाम पर मतदाता सूची में गड़बड़ी की जा रही है। मुख्य चुनाव आयुक्त को इस पूरे मामले की गंभीरता से जांच करनी चाहिए। यह जनता के अधिकारों पर सीधा हमला है।

प्रदर्शन के दौरान तृणमूल कांग्रेस (TMC) की राज्यसभा सांसद सागरिका घोष ने कहा कि बंगाली भाषी लोगों के साथ बीजेपी शासित राज्यों में भेदभाव और अत्याचार हो रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि, बंगाली भाषा बोलने वालों को बांग्लादेशी और रोहिंग्या बताकर अपमानित किया जा रहा है। यह सीधा भाषाई और सामाजिक हमला है, जिसे हम संसद और सड़क दोनों पर चुनौती देंगे।

क्या है SIR विवाद का पूरा मामला?

बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के तहत मतदाता सूची को अपडेट किया जा रहा है। विपक्षी दलों का आरोप है कि इस प्रक्रिया के जरिए सरकार पिछले साल दिसंबर में बनी मतदाता सूची में छेड़छाड़ कर रही है। विपक्ष का दावा है कि हजारों लोगों के नाम बिना कारण हटाए जा रहे हैं या फिर धार्मिक और जातिगत आधार पर सूची में बदलाव किया जा रहा है।

विपक्ष चाहता है कि बिहार में आगामी चुनाव पुरानी मतदाता सूची (दिसंबर 2024 वाली लिस्ट) के आधार पर ही कराए जाएं। उन्होंने आरोप लगाया कि SIR के जरिए कुछ खास वर्गों और समुदायों को सुनियोजित तरीके से वोटिंग से वंचित करने की कोशिश हो रही है।

सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंचा मामला

यह विवाद अब सिर्फ संसद या सड़कों तक सीमित नहीं है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। बिहार के कुछ नागरिकों, 11 विपक्षी दलों और कई गैर-सरकारी संगठनों (NGO) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर SIR को अवैध ठहराने की मांग की है। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से अपील की है कि बिहार में दिसंबर 2024 की मतदाता सूची के आधार पर ही चुनाव कराए जाएं।

हालांकि, चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका को खारिज करने की मांग की है। चुनाव आयोग का कहना है कि SIR जैसी प्रक्रिया भारत के हर राज्य में होती है और यह मतदाता सूची को अद्यतन करने की नियमित प्रक्रिया का हिस्सा है।

बिहार में SIR को लेकर शुरू हुआ विवाद अब संसद, सड़क और सुप्रीम कोर्ट तीनों मोर्चों पर जारी है। विपक्ष इसे लोकतंत्र पर हमला बता रहा है तो वहीं चुनाव आयोग इसे कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा करार दे रहा है।

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