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बलरामपुर में छापे के दौरान छांगुर बाबा के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का खुलासा, विदेशी फंडिंग और मैरीटाइम कंपनियों से संदिग्ध कनेक्शन

बलरामपुर में छापे के दौरान छांगुर बाबा के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का खुलासा, विदेशी फंडिंग और मैरीटाइम कंपनियों से संदिग्ध कनेक्शन

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले के उतरौला में स्थित बाबा ताजुद्दीन आशवी बुटीक पर पड़ी छापेमारी में एक चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है। इस छापे में यह बात उजागर हुई है कि लंबे समय से स्थानीय भूमि विवादों और धार्मिक गतिविधियों से जुड़े रहे छांगुर अब एक नए विवाद में फंस गए हैं।

बलरामपुर: धर्मांतरण मामले में आरोपी जलालुद्दीन उर्फ छांगुर को लेकर एक और बड़ा खुलासा हुआ है। बलरामपुर के उतरौला स्थित बाबा ताजुद्दीन आशवी बुटीक पर पड़े छापे के दौरान जांच एजेंसियों के हाथ कुछ ऐसे चौंकाने वाले दस्तावेज लगे हैं, जिनसे छांगुर के कथित अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क और संदिग्ध फंडिंग की परतें खुलती नजर आ रही हैं।

अब तक छांगुर का नाम स्थानीय भूमि विवाद, अवैध धर्मांतरण और धार्मिक गतिविधियों से जुड़ा माना जाता था, लेकिन ताजा खुलासे के बाद उसके तार सीधे विदेशी मैरीटाइम कंपनियों और अवैध अंतरराष्ट्रीय फंडिंग नेटवर्क से जुड़े पाए जा रहे हैं।

छापे के दौरान जब्त हुए चौंकाने वाले दस्तावेज

सूत्रों के अनुसार छापे के दौरान जब्त किए गए दस्तावेजों की प्रारंभिक जांच में कुछ ऐसे सबूत सामने आए हैं, जो छांगुर को विदेशी मैरीटाइम और शिपिंग कंपनियों से जोड़ते हैं। दस्तावेजों में संदिग्ध फंडिंग के लेन-देन, बैंक खातों की डीटेल्स, अपारदर्शी वित्तीय लेन-देन और विदेशी फंडिंग ट्रेल के सुराग मिले हैं।खास बात यह है कि इन दस्तावेजों से जुड़े फाइनेंशियल नेटवर्क में कुछ संदिग्ध समुद्री कंपनियों के माध्यम से धन के ट्रांसफर का उल्लेख है। यह फंडिंग भारत में धार्मिक संस्थानों और मदरसों के जरिए जमीन और अन्य गतिविधियों में निवेश किए जाने के संकेत देती है।

छांगुर के शिक्षा संस्थानों के जरिए फंड का खेल

सूत्र बताते हैं कि छांगुर का उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग से भी पुराना और गहरा संबंध रहा है। जांच में सामने आया है कि उसने मदरसा अहले सुन्नत नुरुल उलूम अत्तेकिया, महाराजगंज तराई (बलरामपुर) और आवासीय महिला संस्थान जामिया नूरिया फातिमा लिलबनात, श्रावस्ती जैसे संस्थानों के माध्यम से धन और प्रभाव का संचालन किया।

अब इन संस्थाओं की फंडिंग और गतिविधियों की भी गहन जांच की जा रही है। सूत्रों का दावा है कि इन संस्थानों के जरिए विदेशी फंडिंग को धर्मांतरण और अन्य संदिग्ध कार्यों में इस्तेमाल करने की आशंका जताई जा रही है।

तत्कालीन अधिकारियों की भूमिका भी जांच के घेरे में

छांगुर और उसके संस्थानों के साथ उत्तर प्रदेश के तत्कालीन अल्पसंख्यक विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत की आशंका भी गहराई से जांची जा रही है। जांच एजेंसियों का मानना है कि इन अधिकारियों की लापरवाही या मिलीभगत के कारण ही इतने वर्षों तक यह संदिग्ध नेटवर्क बेरोकटोक चलता रहा। अब इन अधिकारियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई के संकेत हैं। जल्द ही कुछ अधिकारियों से पूछताछ की जा सकती है।

जांच में मिले दस्तावेजों के बाद समुद्री सुरक्षा से जुड़ी राष्ट्रीय एजेंसियां भी सतर्क कर दी गई हैं। सूत्रों के मुताबिक छांगुर के विदेशी शिपिंग नेटवर्क और समुद्री कारोबार में गहरे संपर्क अब राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से खतरे का संकेत दे रहे हैं। माना जा रहा है कि छांगुर ने विदेशी फंडिंग के जरिए भारत के अंदर धार्मिक गतिविधियों, जमीन खरीद और अन्य रणनीतिक कार्यों में निवेश किया, जिसका कनेक्शन अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से जुड़ रहा है।

राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेशी फंडिंग के मामले में अब जांच का रुख सख्त

अब यह मामला केवल धर्मांतरण या अवैध संपत्ति तक सीमित नहीं रह गया है। छांगुर के तार अवैध विदेशी फंडिंग, मैरीटाइम सेक्टर की संदिग्ध गतिविधियों और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे गंभीर मामलों से जुड़ते दिख रहे हैं। जांच एजेंसियां इस पूरे प्रकरण को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील मानते हुए जल्द ही बड़े खुलासे कर सकती हैं। जांच में कई विदेशी फंडिंग चैनल, फर्जी कंपनियां और संदिग्ध खातों की परतें खुल सकती हैं।

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