ईरान ने IAEA से सहयोग खत्म करने का विधेयक पास किया है। अब न्यूक्लियर साइट्स की अंतरराष्ट्रीय निगरानी नहीं होगी। अमेरिका-इजरायल के हमलों के बाद बढ़ा तनाव। वैश्विक स्तर पर चिंता गहराई।
Iran Parliament Approved Bill: ईरान की संसद ने IAEA यानी इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी से सहयोग रोकने से जुड़े एक अहम विधेयक को मंजूरी दी है। यह कदम इजरायल और अमेरिका द्वारा ईरानी न्यूक्लियर ठिकानों पर हमले के बाद उठाया गया है। अब सवाल यह है कि क्या अंतरराष्ट्रीय निगरानी के बिना ईरान का परमाणु कार्यक्रम नियंत्रण से बाहर हो जाएगा।
ईरानी संसद का बड़ा फैसला
इजरायल के साथ हालिया टकराव और अमेरिकी हमले के बाद ईरान की संसद ने बुधवार को एक अहम विधेयक पास किया, जिसमें IAEA के साथ सहयोग खत्म करने का प्रस्ताव है। इस कानून के लागू होने के बाद अंतरराष्ट्रीय एजेंसी को ईरान की न्यूक्लियर साइट्स पर निरीक्षण करने से पहले ईरान की सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल से अनुमति लेनी होगी।
IAEA की आलोचना और विश्वसनीयता पर सवाल
तेहरान लंबे समय से यह दावा करता आया है कि उसका न्यूक्लियर कार्यक्रम केवल शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है। लेकिन हाल ही में IAEA ने एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें ईरान को अप्रसार संधि (Non-Proliferation Treaty) के उल्लंघन का दोषी ठहराया गया। ईरानी संसद के अनुसार, IAEA ने ईरान की परमाणु साइट्स पर हुए इजरायली हमलों की निंदा नहीं की, जिससे उसकी अंतरराष्ट्रीय निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो गए हैं।
निगरानी तंत्र पर बंदिशें होंगी कड़ी
संसद में पास हुए विधेयक के अनुसार, अब IAEA न तो ईरानी न्यूक्लियर फैसिलिटी में कैमरे लगा पाएगी, न ही नियमित निरीक्षण कर पाएगी और न ही ईरान से रिपोर्ट की मांग कर सकेगी। ईरान का तर्क है कि जब तक न्यूक्लियर साइट्स की सुरक्षा की गारंटी नहीं दी जाती, तब तक एजेंसी के साथ सहयोग संभव नहीं है।
अमेरिका और इजरायल के हमले ने बढ़ाया तनाव
बीते हफ्तों में अमेरिका ने ईरान की प्रमुख न्यूक्लियर साइट्स - फोर्डो, इस्फहान और नतांज पर भीषण बमबारी की थी। अमेरिकी रक्षा विभाग ने दावा किया कि इन हमलों में ईरान की परमाणु क्षमताओं को भारी नुकसान हुआ है।
लेकिन ईरानी अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने पहले ही अपने अधिकतर न्यूक्लियर मैटेरियल को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया था, जिससे नुकसान सीमित रहा।
IAEA की स्थिति कमजोर, निरीक्षण पर संकट
IAEA के प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने कहा है कि वह चाहते हैं कि उनके निरीक्षक जल्द से जल्द ईरान के उन प्लांट्स में वापस जाएं जहां यूरेनियम एनरिचमेंट का कार्य चल रहा था। 13 जून को हुए इजरायली हमले से पहले इन साइट्स पर एनरिचमेंट हो रहा था और IAEA को वहां जाने की अनुमति थी। लेकिन अब हालात बदल गए हैं।
अगर ईरान IAEA से पूरी तरह सहयोग बंद कर देता है तो एजेंसी के पास इस बात की कोई जानकारी नहीं होगी कि ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम किस दिशा में बढ़ रहा है।
यूरेनियम एनरिचमेंट पर भी चिंता बढ़ी
रिपोर्ट्स के अनुसार, ईरान ने पहले ही 70 से 80 फीसदी तक यूरेनियम एनरिच कर लिया है। परमाणु बम बनाने के लिए 90 फीसदी शुद्धता का यूरेनियम जरूरी होता है। ऐसे में ईरान केवल एक कदम दूर दिखता है। हालांकि तेहरान लगातार कहता आया है कि उसका इरादा परमाणु हथियार बनाने का नहीं है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस पर भरोसा करने को तैयार नहीं है।