हर साल 29 जून को दुनियाभर में इंटरनेशनल मड डे मनाया जाता है। यह दिन दिखने में भले ही सिर्फ "गंदगी से खेलने" जैसा लगे, लेकिन इसके पीछे छिपे मकसद कहीं ज्यादा गहरे और फायदेमंद हैं। जब बारिश होती है और मिट्टी की भीनी खुशबू चारों ओर फैलती है, तो वो पल बच्चों और बड़ों दोनों के लिए एक यादगार अनुभव बन जाता है। इंटरनेशनल मड डे इसी अनुभव को सेलिब्रेट करने का मौका देता है।
क्यों खास है इंटरनेशनल मड डे?
आमतौर पर हम मिट्टी को गंदगी, बैक्टीरिया या बीमारियों का स्रोत समझते हैं, लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि मिट्टी से संपर्क करने से शरीर की इम्यूनिटी बढ़ती है। एक स्टरलाइज्ड यानी अत्यधिक साफ-सुथरे वातावरण में रहने वाले लोग अक्सर छोटी-छोटी बीमारियों से जल्दी ग्रसित हो जाते हैं, जबकि मिट्टी में खेलने वाले बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है।
सिर्फ इतना ही नहीं, मिट्टी में मिनरल्स की भरपूर मात्रा होती है, जो त्वचा के लिए भी फायदेमंद है। यही कारण है कि बड़े-बड़े स्पा और ब्यूटी क्लिनिक मड थेरेपी, मड मास्क और मड बाथ जैसी सेवाएं हजारों रुपये में देते हैं।
कैसे मनाएं इंटरनेशनल मड डे?
1. मिट्टी से बनाएं कुछ मजेदार
अपने बच्चों या दोस्तों के साथ मिलकर मिट्टी के केक, मूर्तियां या छोटे-छोटे घर बनाएं। यह न सिर्फ क्रिएटिविटी को बढ़ाता है बल्कि परिवार के साथ समय बिताने का शानदार तरीका भी है।
2. बनाएं मिट्टी का पूल
अगर आपके पास एक पुराना प्लास्टिक का पूल या टब है, तो उसमें पानी और मिट्टी मिलाकर एक मड पूल तैयार करें। इसमें बच्चे जमकर मस्ती कर सकते हैं। ध्यान रहे, ऐसे कपड़े पहनें जिन्हें खराब होने का डर न हो, क्योंकि एक बार जो मिट्टी में गया, वह फिर शायद ही साफ हो पाए।
3. सोशल मीडिया पर करें शेयर
आप इस दिन की मजेदार तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर कर सकते हैं। इससे दूसरों को भी इस दिन की जानकारी मिलेगी और शायद वो भी अगली बार इसका हिस्सा बनें।
मिट्टी के कुछ छुपे हुए फायद
- खनिजों से भरपूर: मिट्टी में ज़िंक, मैग्नीशियम, सिलिका जैसे मिनरल्स होते हैं जो त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद हैं।
- नेचुरल एक्सफोलिएटर: मिट्टी त्वचा से डेड स्किन हटाने का प्राकृतिक तरीका है।
- पैरों के लिए थेरेपी: गीली मिट्टी में चलना शरीर के एक्यूप्रेशर पॉइंट्स को एक्टिव करता है।
इंटरनेशनल मड डे का इतिहास
इस खास दिन की शुरुआत 2009 में हुई थी जब ऑस्ट्रेलिया की शिक्षाविद गिलियन मैकॉलिफ और नेपाल के सामाजिक कार्यकर्ता बिष्णु भट्ट ने बच्चों को प्रकृति से जोड़ने का तरीका खोजने के लिए बातचीत की। उनका उद्देश्य था कि दुनिया के हर कोने में बच्चे खुद को एक-दूसरे से जुड़ा महसूस करें—और मिट्टी से बेहतर कोई और माध्यम नहीं हो सकता।
इस विचार ने एक आंदोलन का रूप ले लिया, और आज अमेरिका, नीदरलैंड्स, नेपाल, भारत जैसे कई देशों में इंटरनेशनल मड डे धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन को मनाने की एक और खास बात यह है कि मिट्टी सबको एक जैसा बना देती है—ना कोई जात-पात, ना अमीरी-गरीबी, ना ही कोई भेदभाव।
बच्चों के लिए क्यों जरूरी है मिट्टी से खेलना?
मशहूर बॉटनिस्ट लूथर बर्बैंक ने कहा था— 'हर बच्चे को कीचड़, टिड्डे, मेंढक, कीड़े, पेड़, जंगली फल, और नदियों का अनुभव जरूर होना चाहिए। जिसने ये सब मिस कर दिया, उसने असल शिक्षा का एक हिस्सा मिस कर दिया।'
मिट्टी से खेलना बच्चों की इम्युनिटी, रचनात्मकता, मानसिक विकास और नेचर से जुड़ाव को बढ़ावा देता है। इससे बच्चे प्रकृति की अहमियत को समझते हैं और धरती के साथ एक भावनात्मक रिश्ता बनाते हैं।
एक छोटा कदम, बड़ी सीख
आज के डिजिटल युग में बच्चे मोबाइल और स्क्रीन तक सीमित हो चुके हैं। ऐसे में इंटरनेशनल मड डे एक बेहतरीन बहाना बन जाता है उन्हें बाहर निकालने का, मिट्टी में खेलने का, और असल जिंदगी से जुड़ने का। यह दिन हमें यह सिखाता है कि कभी-कभी गंदा होना भी जरूरी है—क्योंकि यहीं से शुरू होती है सच्ची खुशी और सीख।
इंटरनेशनल मड डे केवल मिट्टी से खेलने का दिन नहीं, बल्कि प्रकृति से जुड़ने, सेहत सुधारने और बचपन की असली खुशियों को फिर से जीने का एक खूबसूरत अवसर है। यह दिन हमें सिखाता है कि सादगी, खेल और प्रकृति में ही असली शिक्षा और जीवन का आनंद छिपा है।