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'जम्मू-कश्मीर को मिले पूर्ण राज्य का दर्जा', उमर अब्दुल्ला ने प्रमुख दलों को लिखी चिट्ठी

'जम्मू-कश्मीर को मिले पूर्ण राज्य का दर्जा', उमर अब्दुल्ला ने प्रमुख दलों को लिखी चिट्ठी

जम्मू-कश्मीर को दोबारा पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की मांग एक बार फिर से सुर्खियों में है। इस मुद्दे को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बड़ा कदम उठाया है।

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ती नजर आ रही है। इस मुद्दे को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को एक बड़ा राजनीतिक कदम उठाया। उन्होंने सभी प्रमुख राष्ट्रीय राजनीतिक दलों को एक चिट्ठी लिखकर संसद में इस मुद्दे को गंभीरता से उठाने की अपील की है।

'लोगों से किया गया वादा अब पूरा हो' – उमर अब्दुल्ला

श्रीनगर में मीडिया से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा,

'मैंने उन तमाम पार्टियों को चिट्ठी लिखी है, जिनके संसद में कई सांसद हैं। मेरी गुजारिश है कि जम्मू-कश्मीर के साथ जो पूर्ण राज्य का वादा किया गया है, उसे पूरा करने में हमारी मदद करें। संसद में इस विषय को पूरी ताकत से उठाएं ताकि इसी सत्र में इस पर कोई ठोस निर्णय हो और जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस मिले।'

उमर अब्दुल्ला ने स्पष्ट किया कि यह मांग किसी एक पार्टी या सरकार की नहीं है, बल्कि यह जम्मू-कश्मीर के सवा करोड़ नागरिकों की भावना है। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि पूर्ण राज्य का वादा न केवल चुनावी रैलियों में, बल्कि संसद और सुप्रीम कोर्ट के समक्ष भी किया गया था।

अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर नजर

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 370 के संबंध में 8 अगस्त को होने वाली सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई का हवाला देते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय ने अपने 5 अगस्त 2023 के निर्णय में केंद्र सरकार से कहा था कि जम्मू-कश्मीर को जल्द से जल्द पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए। जल्द से जल्द’ को अब कई साल हो गए हैं। अगर सुप्रीम कोर्ट ने चुनावों को लेकर समयसीमा तय नहीं की होती, तो आज शायद मैं मुख्यमंत्री नहीं होता। हमें लगता है कि अब समय आ गया है जब उस वादे को व्यवहार में लाया जाए। – उमर अब्दुल्ला

यह बयान सुप्रीम कोर्ट के उस निर्देश की पृष्ठभूमि में आया है, जिसमें कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया की बहाली की आवश्यकता पर बल दिया था।

कश्मीर में सुरक्षा और पर्यटन पर सरकार का फोकस

मुख्यमंत्री ने 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र करते हुए बताया कि उस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद भी राज्य में सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ़ हुई है। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि अमरनाथ यात्रा में इस वर्ष अब तक 4 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने भाग लिया है, जो राज्य की स्थिरता और विकास की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।

पर्यटक अब यहां आकर कश्मीरियों की मेहमाननवाजी का लुत्फ उठा रहे हैं। यह दिखाता है कि लोग अब कश्मीर को एक सुरक्षित और स्वागतपूर्ण स्थान मानने लगे हैं। – उमर अब्दुल्ला

धराली आपदा पर संवेदना, पर्यावरण पर चिंता

उत्तराखंड के धराली क्षेत्र में आई भीषण आपदा पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यह एक प्राकृतिक चेतावनी है, जिसे सभी पर्वतीय राज्यों को गंभीरता से लेना चाहिए। हम जंगल काट रहे हैं, पहाड़ों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसका दुष्परिणाम अब हमारे सामने आ रहा है। जम्मू-कश्मीर भी इस खतरे से अछूता नहीं है। हमें विकास के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण पर भी ध्यान देना होगा। – उमर अब्दुल्ला

मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड के प्रभावित परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना और सहानुभूति प्रकट की। उमर अब्दुल्ला का यह कदम न केवल राजनीतिक रूप से साहसिक है, बल्कि यह राष्ट्रीय दलों को जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर संवैधानिक जवाबदेही की याद भी दिलाता है।

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