Columbus

कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने विदेश मामलों के अध्यक्ष पद से दिया इस्तीफा, पुनर्गठन की उठाई मांग

कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने विदेश मामलों के अध्यक्ष पद से दिया इस्तीफा, पुनर्गठन की उठाई मांग

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने 10 अगस्त 2025 को पार्टी के विदेश मामलों विभाग (डीएफए) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। करीब एक दशक तक इस पद पर रहने वाले आनंद शर्मा ने इस्तीफे के पीछे विभाग के पुनर्गठन की जरूरत बताई है।

नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने 10 अगस्त को पार्टी के विदेश मामलों के विभाग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। अपने इस्तीफे में उन्होंने कहा कि समिति का पुनर्गठन आवश्यक है ताकि इसमें सक्षम और प्रतिभाशाली युवा नेताओं को शामिल किया जा सके, जिससे विभाग के कामकाज में निरंतरता बनी रहे।

अनंद शर्मा, जो केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं, ने लगभग दस वर्षों तक इस विभाग का नेतृत्व किया। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को लिखे अपने इस्तीफे में पार्टी नेतृत्व का आभार जताते हुए कहा कि वे इस्तीफा इसलिए दे रहे हैं ताकि विभाग का पुनर्गठन संभव हो सके।

कांग्रेस नेता आनंद शर्मा का इस्तीफा: क्या कहा उन्होंने?

कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्य और लंबे समय तक विदेश मामलों के प्रमुख चेहरे रहे आनंद शर्मा ने अपने इस्तीफे में लिखा कि उन्होंने इस जिम्मेदारी के लिए पार्टी नेतृत्व का आभार जताया है, लेकिन अब समय आ गया है कि विभाग का पुनर्गठन हो। उनका मानना है कि नई पीढ़ी के सक्षम और प्रतिभाशाली नेताओं को विदेश मामलों के विभाग में शामिल करना आवश्यक है ताकि कांग्रेस की अंतरराष्ट्रीय नीतियों और रिश्तों में मजबूती बनी रहे।

हिमाचल प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले आनंद शर्मा 1984 से 1990 और फिर 2004 से 2022 तक राज्यसभा सांसद रहे। उन्होंने कांग्रेस के विदेश मामलों विभाग को लगभग दस वर्षों तक नेतृत्व दिया। विदेश नीति और अंतरराष्ट्रीय रिश्तों के जानकार आनंद शर्मा ने कांग्रेस की वैश्विक छवि को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई है। डीएफए के तहत, उन्होंने समान विचारधारा वाले राजनीतिक दलों के साथ भारत के संबंधों को मज़बूत किया, जो लोकतंत्र, समानता और मानवाधिकारों जैसे मूल्यों को साझा करते हैं।

इस्तीफे के पीछे क्या थी वजह? कोई विवाद या असहमति?

हालांकि आनंद शर्मा का पार्टी नेतृत्व के साथ कोई बड़ा विवाद सामने नहीं आया है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्हें विदेश मामलों पर पार्टी में उचित परामर्श न मिलने से असहजता थी। वे हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत का प्रतिनिधिमंडल लेकर विदेश गए थे। हालांकि, इस्तीफे के पत्र में उन्होंने इस बात का कहीं उल्लेख नहीं किया है।

आनंद शर्मा के इस्तीफे को राजनीतिक विशेषज्ञ पार्टी के अंदर नए नेतृत्व और युवा चेहरों को मौका देने की दिशा में कदम माना जा रहा है। इस कदम से कांग्रेस के विदेश नीति विभाग में बदलाव की उम्मीद जताई जा रही है। आनंद शर्मा के इस्तीफे के बाद कांग्रेस के विदेश मामलों विभाग में पुनर्गठन की प्रक्रिया तेज हो सकती है।

Leave a comment