वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में नया इनकम टैक्स बिल 2025 पेश किया। यह बिल पुराने 1961 के टैक्स एक्ट को बदलने के लिए तैयार किया गया है और इसमें कंपनियों व पेशेवरों के लिए कई नई छूट और सुविधाएं शामिल हैं। इसमें टैक्स नियमों को आसान बनाने के साथ-साथ कुछ पुराने प्रावधानों में सुधार किया गया है।
Income Tax Bill 2025: सोमवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में इनकम टैक्स बिल 2025 पेश किया। यह बिल 1961 के पुराने टैक्स एक्ट को बदलने के लिए बनाया गया है। बिल में कंपनियों, प्रोफेशनल्स और नॉन-प्रॉफिट संगठनों के लिए नई छूट और सुधार किए गए हैं। इस बिल से टैक्स नियमों को आसान और ज्यादा पारदर्शी बनाने की कोशिश की गई है।
प्रमुख संशोधन और नई सुविधाएं
इनकम टैक्स बिल 2025 के तहत अब 80M के अंतर्गत मिलने वाली डिडक्शन उन कंपनियों को भी उपलब्ध होगी, जिन्होंने नई टैक्स रिजीम चुनी है। इसके अलावा, परिवार के सदस्यों के लिए कम्यूटेड पेंशन और ग्रेच्युटी डिडक्शन भी बिल में जोड़ी गई हैं।
मिनिमम अल्टरनेट टैक्स (MAT) और अल्टरनेट मिनिमम टैक्स (AMT) के प्रावधानों को अलग-अलग सेक्शन में बांटा गया है। AMT केवल उन्हीं नॉन-कार्पोरेट संस्थाओं पर लागू होगा जिन्होंने डिडक्शन का क्लेम किया हो, जबकि कुछ LLP जिन्हें केवल कैपिटल गेन से आय होती है और जो डिडक्शन क्लेम नहीं करते, वे AMT के अंतर्गत नहीं आएंगे।
पेशेवरों के लिए ई-पेमेंट में छूट और रिफंड नियमों में बदलाव
बिल की क्लॉज 187 में बिजनेस के बाद ‘प्रोफेशन’ शब्द जोड़ा गया है। इसका मतलब यह है कि वे पेशेवर जिनकी वार्षिक आमदनी ₹50 करोड़ से अधिक है, वे अब ई-लेनदेन के लिए निर्धारित इलेक्ट्रॉनिक भुगतान मोड का उपयोग कर सकते हैं।
क्लॉज 263(1)(ix) को हटाकर अब उन मामलों में भी रिफंड क्लेम की अनुमति दी गई है, जहां आयकर रिटर्न नियत समय पर दाखिल नहीं हुआ हो। इससे करदाताओं को बड़ी राहत मिलेगी और अनावश्यक कानूनी उलझनों से बचा जा सकेगा।
लॉस कैरी फॉरवर्ड, टैक्सेशन और डिडक्शन में सुधार
नए बिल में लॉस कैरी फॉरवर्ड और सेट-ऑफ से जुड़े प्रावधानों को बेहतर स्पष्टता के लिए दोबारा लिखा गया है, लेकिन उनका मूल उद्देश्य पहले जैसा ही है। साथ ही, ‘रेसीट का कॉन्सेप्ट’ बदलकर ‘इनकम का कॉन्सेप्ट’ कर दिया गया है, जैसा कि पुराने 1961 के एक्ट में था।
रजिस्टर्ड नॉन-प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन को नए कैपिटल एसेट के अधिग्रहण पर कैपिटल गेन के उपयोग की अनुमति दी गई है, और गुमनाम दान के टैक्सेशन को भी पुराने एक्ट के अनुरूप अपडेट किया गया है।
TDS करेक्शन और अन्य तकनीकी बदलाव
टैक्स कटौती (TDS) से जुड़ी गलतियों को सुधारने के लिए डिटेल दाखिल करने की अवधि को 6 साल से घटाकर 2 साल कर दिया गया है। इससे करदाताओं की शिकायतों में कमी आने की उम्मीद है और टैक्स प्रशासन और बेहतर होगा।
फाइनेंस एक्ट 2025 और टैक्सेशन लॉज (संशोधन) बिल, 2025 के सभी जरूरी संशोधन इस नए बिल में शामिल कर दिए गए हैं, जिससे कर प्रणाली अधिक समेकित और प्रभावी बनेगी।