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New Income Tax Bill 2025: संसद में पेश होने से पहले सिलेक्शन कमेटी ने दिए 10 अहम सुझाव

New Income Tax Bill 2025: संसद में पेश होने से पहले सिलेक्शन कमेटी ने दिए 10 अहम सुझाव

केंद्र सरकार 11 अगस्त 2025 को संसद में न्यू इनकम टैक्स बिल पेश करने जा रही है। इससे पहले 31 सदस्यीय सिलेक्शन कमेटी ने 4,584 पन्नों की रिपोर्ट में 566 सिफारिशें दी हैं, जिनमें परिभाषाओं को स्पष्ट करने, टैक्स नियमों को आसान बनाने और कुछ प्रावधानों में बदलाव के सुझाव शामिल हैं।

New Income Tax Bill 2025: केंद्र सरकार सोमवार, 11 अगस्त 2025 को संसद में नया आयकर विधेयक पेश करेगी। इससे पहले, शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विपक्ष के हंगामे के बीच पुराने विधेयक को वापस लेने का प्रस्ताव रखा, जिसे सदन ने मंजूरी दे दी। अब भाजपा सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली 31 सदस्यीय संसदीय प्रवर समिति ने इस नए बिल पर अपनी विस्तृत रिपोर्ट लोकसभा में पेश की है।

कमेटी के मुख्य सुझाव

कमेटी ने बिल में परिभाषाओं (Definitions) को और स्पष्ट करने, अस्पष्टताओं को खत्म करने और कानून को मौजूदा टैक्स फ्रेमवर्क के साथ बेहतर तालमेल में लाने का सुझाव दिया है। रिपोर्ट के अनुसार—

  • आईटीआर रिफंड नियम में बदलाव: देर से इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने पर रिफंड न मिलने का प्रावधान हटाने का सुझाव।
  • सेक्शन 80M में संशोधन: धारा 115BAA के तहत स्पेशल टैक्स रेट का लाभ लेने वाली कंपनियों के लिए इंटर-कॉर्पोरेट डिविडेंड पर डिडक्शन से संबंधित बदलाव।
  • जीरो TDS सर्टिफिकेट की अनुमति: टैक्सपेयर्स को जीरो टीडीएस सर्टिफिकेट लेने की सुविधा देने की सिफारिश।
  • MSME की परिभाषा में बदलाव: माइक्रो और स्मॉल एंटरप्राइजेज की डेफिनेशन को MSME एक्ट के अनुरूप बनाने का सुझाव।
  • कानूनी स्पष्टता के सुझाव: एडवांस रूलिंग फीस, प्रोविडेंट फंड पर टीडीएस, लो-टैक्स सर्टिफिकेट और पेनाल्टी पावर्स में स्पष्टता लाने के लिए बदलाव।

टैक्स दरों पर कोई बदलाव नहीं

रिपोर्ट में टैक्स दरों में किसी भी बदलाव की सिफारिश नहीं की गई है। हालांकि, मीडिया में कुछ टैक्सपेयर्स के लिए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स रेट बदलने की अटकलें थीं, जिन्हें इनकम टैक्स विभाग ने खारिज कर दिया है।

कुल 4,584 पन्नों की इस रिपोर्ट में 566 सिफारिशें दी गई हैं। इसका मकसद है— टैक्स कानून को सरल बनाना, करदाताओं के लिए नियमों को अधिक पारदर्शी और आसानी से समझने योग्य बनाना, और मौजूदा टैक्स ढांचे के साथ नए कानून को सुचारू रूप से जोड़ना।

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