उत्तर प्रदेश की सियासत एक बार फिर गर्म होती नजर आ रही है। पूर्व बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह और उनके बेटे की लगातार दो प्रमुख नेताओं से मुलाकातों ने राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया है। पहले खुद बृजभूषण सिंह ने करीब 31 महीने बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से 5 कालीदास मार्ग पर मुलाकात की, और उसके ठीक अगले दिन उनके बेटे एवं गोंडा से बीजेपी विधायक प्रतीक भूषण सिंह डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से मिलने 7 कालीदास मार्ग पहुंचे।
हालांकि प्रतीक भूषण ने इसे महज क्षेत्रीय विकास से जुड़ी मुलाकात बताया, लेकिन इन दो अहम नेताओं से समयबद्ध ढंग से हुई बैठकों ने सियासी समीकरणों को लेकर कयासों को हवा दे दी है।
बृजभूषण ने खुद को बताया चौराहे पर खड़ा
मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद बृजभूषण शरण सिंह ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि सीएम योगी बड़े पद पर हैं और उनके सामने झुकना स्वाभाविक है। उन्होंने खुद की तुलना चौराहे पर खड़े व्यक्ति से करते हुए कबीर का दोहा भी सुनाया — कबिरा खड़ा बाजार में, मांगे सबकी खैर, न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर।
बृजभूषण ने बताया कि 29 दिसंबर 2022 को उन्होंने मुख्यमंत्री से आखिरी बार मुलाकात की थी और नंदिनीनगर में एक कार्यक्रम के लिए छह जनवरी को उनका दौरा भी तय किया गया था। लेकिन बाद में एक अधिकारी से सूचना मिली कि सीएम नहीं आ पाएंगे, जिससे उन्हें निराशा हुई। उन्होंने कहा कि तैयारियों के बाद कार्यक्रम रद्द होना राजनीतिक रूप से अच्छा संदेश नहीं देता।
बेटे के मंत्री बनने पर बोले बृजभूषण
बृजभूषण शरण सिंह से जब उनके बेटे प्रतीक भूषण को मंत्री बनाए जाने की संभावनाओं पर सवाल किया गया तो उन्होंने साफ कहा कि यह निर्णय पार्टी और मुख्यमंत्री को लेना है। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि आज ऐसे लोग भी मंत्री बने हुए हैं जिन्हें जनता देखना नहीं चाहती। अगर वे निर्दलीय चुनाव लड़ें तो पांच हजार वोट भी न मिलें, लेकिन उनका भाग्य उन्हें आगे ले गया।
अपने बेटे को लेकर उन्होंने कहा कि अगर प्रतीक मेहनत करेंगे तो भविष्य में मंत्री बन सकते हैं, हालांकि अभी उनमें वह गंभीरता नहीं दिख रही जो होनी चाहिए।
इन बयानों और मुलाकातों से साफ है कि यूपी की राजनीति में कुछ न कुछ पक रहा है, जिसकी आंच आने वाले समय में और तेज हो सकती है।