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ट्रंप का टैरिफ फॉर्मूला: भारत और चीन पर कैसे तय होते हैं टैक्स रेट?

ट्रंप का टैरिफ फॉर्मूला: भारत और चीन पर कैसे तय होते हैं टैक्स रेट?

डोनाल्ड ट्रंप का विदेशी टैरिफ मॉडल व्यापार घाटा और मुल्क से आयात कुल पर आधारित है। उदाहरण: चीन के साथ 67% घाटा → 34% टैरिफ। इसी मैथ से भारत पर 25% टैरिफ तय हुआ है।

Trump Tariffs: डोनाल्ड ट्रंप जब से अमेरिका के राष्ट्रपति बने, तब से उन्होंने टैरिफ (Tariff) को अमेरिकी विदेश व्यापार की मुख्य रणनीति बना लिया है। चाहे चीन हो या भारत, ट्रंप प्रशासन ने कई देशों पर भारी टैरिफ लगाने के फैसले लिए हैं। लेकिन क्या ये फैसले मनमाने होते हैं या इनका कोई ठोस आधार होता है? इस सवाल का जवाब व्हाइट हाउस की एक रिपोर्ट में मिलता है, जिसमें टैरिफ तय करने का एक स्पष्ट गणितीय फॉर्मूला बताया गया है।

क्या है ट्रंप का टैरिफ फॉर्मूला?

व्हाइट हाउस की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप सरकार किसी देश पर टैरिफ लगाने से पहले एक विशिष्ट फॉर्मूला अपनाती है। ये फॉर्मूला व्यापार घाटा और कुल आयात पर आधारित होता है। इसका उद्देश्य है – उन देशों पर शुल्क लगाना जिनके साथ अमेरिका का व्यापार घाटा अधिक है।

आसान भाषा में समझिए फॉर्मूला

  • पहले उस देश के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा निकाला जाता है।
  • फिर यह घाटा उस देश से अमेरिका द्वारा किए गए कुल आयात से विभाजित किया जाता है।
  • इसके बाद जो प्रतिशत आता है, उसे दो से डिवाइड किया जाता है।

इसे एक उदाहरण से समझें:

  • मान लीजिए अमेरिका का चीन के साथ व्यापार घाटा 295 अरब डॉलर है।
  • अमेरिका चीन से कुल 440 अरब डॉलर का आयात करता है।
  • 295 ÷ 440 = 0.67 यानी 67%
  • अब 67 ÷ 2 = 33.5%
  • तो चीन पर ट्रंप सरकार 34% टैरिफ लगा देती है।
  • यह वही गणना है, जिसके जरिए भारत पर भी 25% टैरिफ तय किया गया।

व्यापार घाटा क्या होता है?

व्यापार घाटा (Trade Deficit) वह स्थिति होती है जब कोई देश जितना निर्यात करता है, उससे अधिक आयात करता है। यदि कोई देश आयात पर निर्भर होता है और उसका निर्यात कम होता है, तो वह घाटे में होता है। अमेरिका इसी आधार पर उन देशों को चिह्नित करता है जिनके साथ उसका घाटा सबसे अधिक है।

भारत पर क्यों लगा 25% टैरिफ?

हाल ही में ट्रंप सरकार ने भारत पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की। इसका मुख्य कारण यही व्यापार घाटा है। साथ ही अमेरिका यह भी चाहता है कि भारत अपने कृषि (agriculture) और डेयरी सेक्टर में अमेरिकी उत्पादों के लिए टैरिफ कम करे। इसके तहत अमेरिकी पक्ष का तर्क है कि भारत का बाजार विदेशी उत्पादों के लिए अपेक्षाकृत बंद है।

टैरिफ लागू करने की पहली तारीख 1 अगस्त थी, लेकिन अब इसे एक सप्ताह के लिए टालकर 7 अगस्त कर दिया गया है।

रूस से खरीदारी पर भी सज़ा

अमेरिका ने भारत को रूस से तेल और रक्षा उपकरण खरीदने के कारण दंडात्मक टैरिफ देने की चेतावनी दी है। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि यह खरीदारी अमेरिका की विदेश नीति के खिलाफ जाती है। हालांकि भारत ने इसपर कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन संकेत साफ हैं कि वह अपने रणनीतिक हितों से समझौता नहीं करेगा।

भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता कहां तक पहुंची?

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार को लेकर 5 दौर की वार्ताएं हो चुकी हैं। अब छठे दौर की बातचीत 25 अगस्त तक संभावित है। मगर ट्रंप के ताज़ा टैरिफ ऐलान के बाद यह वार्ता प्रभावित हो सकती है।

अमेरिका लगातार भारत पर दबाव बना रहा है कि वह अमेरिकी कृषि और डेयरी उत्पादों के लिए अपने टैरिफ कम करे। भारत का रुख हालांकि अब तक स्पष्ट रहा है – "देशहित सर्वोपरि है, समझौता नहीं होगा।"

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