जर्मनी ने भारतीय पेशेवरों के लिए IT, विज्ञान और तकनीक क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाए हैं। जर्मन स्थिर नीतियां उच्च वेतन और सुरक्षित करियर सुनिश्चित करती हैं। राजदूत ने हाई स्किल्ड भारतीयों को अवसर लेने का आह्वान किया।
नई दिल्ली। अमेरिका में H-1B वीजा कार्यक्रम को लेकर चल रहे विवाद और ट्रंप प्रशासन की ओर से वीजा शुल्क को बढ़ाकर 1,00,000 डॉलर करने के फैसले ने भारतीय पेशेवरों के सामने नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। अमेरिकी नीति में इस तरह के बदलाव ने आईटी, विज्ञान और तकनीक क्षेत्रों में काम करने वाले भारतीयों को अनिश्चितता का सामना कराया है।
ऐसे समय में जर्मनी ने भारतीय पेशेवरों के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं। भारत में जर्मनी के राजदूत फिलिप एकरमैन ने भारतीय पेशेवरों से जर्मनी में नौकरी के अवसरों का लाभ उठाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि जर्मनी की आप्रवासन नीतियां स्थिर और भरोसेमंद हैं और आईटी, प्रबंधन, विज्ञान और तकनीक जैसे क्षेत्रों में पेशेवरों के लिए शानदार अवसर उपलब्ध हैं।
जर्मनी में भारतीय पेशेवरों के लिए अवसर
एकरमैन ने X पर लिखा, "मैं सभी हाई स्किल्ड भारतीयों से अपील करता हूं। जर्मनी अपनी स्थिर आप्रवासन नीतियों और आईटी, प्रबंधन, विज्ञान और तकनीक में भारतीयों के लिए शानदार नौकरी के अवसरों के साथ खड़ा है।"
उन्होंने यह भी बताया कि जर्मनी में काम करने वाले भारतीय औसत जर्मन से अधिक कमाते हैं। उन्होंने एक वीडियो में कहा, "जर्मनी में काम करने वाला औसत भारतीय, औसत जर्मन से ज्यादा कमाता है। हाई सैलरी इस बात का सबूत है कि भारतीय हमारे समाज और कल्याण में बड़ा योगदान दे रहे हैं।"
स्थिर और भरोसेमंद नीतियां
एकरमैन ने जर्मनी की आप्रवासन नीतियों की स्थिरता और विश्वसनीयता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "हमारी नीतियां विश्वसनीय, आधुनिक और भविष्यवाणी योग्य हैं। यह सीधी रेखा में काम करती हैं, बिना किसी अनिश्चितता के, और पेशेवरों को अचानक रुकावट का डर नहीं होता।"
उन्होंने बताया कि जर्मनी पेशेवरों को लगातार बदलाव का सामना नहीं करवाता, जिससे उनके करियर में स्थिरता बनी रहती है। उन्होंने इसे जर्मन कारों की विश्वसनीयता से तुलना करते हुए बताया कि जिस तरह जर्मन कारों पर भरोसा किया जाता है, वैसे ही जर्मनी की नीतियां पेशेवरों के लिए भरोसेमंद हैं।
अमेरिकी नीतियों पर तंज
जर्मन राजदूत ने अमेरिका की बदलती आप्रवासन नीतियों पर भी तंज कसा। उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन ने H-1B वीजा शुल्क बढ़ाकर पेशेवरों को मुश्किल में डाल दिया है। उन्होंने अमेरिकी नीतियों और जर्मनी की स्थिर नीतियों के बीच स्पष्ट अंतर दिखाया। जर्मनी में पेशेवर बिना किसी अचानक बदलाव के योजना बना सकते हैं और अपने करियर को सुरक्षित रूप से आगे बढ़ा सकते हैं।
आईटी, विज्ञान और तकनीक में विशेष अवसर
फिलिप एकरमैन ने विशेष रूप से आईटी, प्रबंधन, विज्ञान और तकनीक क्षेत्रों में भारतीय पेशेवरों के लिए अवसरों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जर्मनी में इन क्षेत्रों में पेशेवरों की मांग लगातार बढ़ रही है और भारतीय प्रतिभाओं की मौजूदगी उनके समाज और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।
उन्होंने कहा, "हाई स्किल्ड पेशेवरों के लिए जर्मनी में वेतन और करियर अवसर बहुत अच्छे हैं। यहाँ काम करने वाला हर व्यक्ति अपने योगदान के लिए सम्मान और उपयुक्त वेतन प्राप्त करता है।"
पेशेवरों के लिए स्थिरता का महत्व
जर्मनी की स्थिर नीतियों का मतलब है कि पेशेवरों को अचानक नियम या शुल्क में बदलाव से जूझना नहीं पड़ता। एकरमैन ने कहा कि स्थिरता पेशेवरों को मानसिक और आर्थिक सुरक्षा देती है। इससे वे लंबी अवधि की योजना बना सकते हैं और अपने कौशल का बेहतर उपयोग कर सकते हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि जर्मनी में काम करने वाले भारतीय समुदाय का योगदान समाज के विकास और कल्याण में महत्वपूर्ण है। उनकी मेहनत और विशेषज्ञता जर्मनी की अर्थव्यवस्था और विज्ञान व तकनीक के क्षेत्र में उच्च मानक स्थापित करने में मदद कर रही है।
भारत- जर्मनी संबंधों में पेशेवर सहयोग
फिलिप एकरमैन ने भारत और जर्मनी के बीच पेशेवर और तकनीकी सहयोग को भी महत्व दिया। उन्होंने कहा कि जर्मनी में भारतीय पेशेवरों का स्वागत सिर्फ नौकरियों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दोनों देशों के बीच ज्ञान और विशेषज्ञता के आदान-प्रदान को भी बढ़ावा देता है।
उनका कहना था कि जर्मनी में काम करने वाले भारतीय उच्च तकनीक परियोजनाओं में भाग लेकर विज्ञान, तकनीक और आईटी क्षेत्र में नई उपलब्धियां हासिल कर सकते हैं। इस प्रकार जर्मनी में करियर बनाने वाले भारतीय न केवल अपनी सफलता हासिल करते हैं, बल्कि जर्मनी की अर्थव्यवस्था और समाज में भी योगदान देते हैं।