बुधवार को भारतीय मुद्रा की शुरुआत कमजोर रही। इंटर बैंक फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 85.84 पर खुला और शुरुआती घंटे में ही गिरकर 85.90 पर पहुंच गया। यह एक दिन पहले के मुकाबले 17 पैसे की गिरावट है। विदेशी मुद्रा बाजार में डॉलर की मजबूती के चलते रुपये पर दबाव बना हुआ है।
मंगलवार को दिखी थी मजबूती, बुधवार को गिरावट
मंगलवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 21 पैसे मजबूत होकर 85.73 पर बंद हुआ था, लेकिन बुधवार को इसमें एक बार फिर गिरावट दर्ज की गई। ट्रेडर्स का कहना है कि रुपये में गिरावट का प्रमुख कारण ग्लोबल बाजार में डॉलर का मजबूत होना है।
डॉलर इंडेक्स, जो छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की ताकत को दर्शाता है, उसमें 0.17 प्रतिशत की तेजी रही और यह 97.68 पर पहुंच गया। इससे डॉलर की मजबूत स्थिति और भी साफ हो जाती है।
क्रूड ऑयल की कीमतों ने गिरावट को कुछ हद तक रोका
ट्रेडर्स के अनुसार, भले ही डॉलर मजबूत हुआ है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आई नरमी ने रुपये को अधिक टूटने से बचा लिया है।
अगर क्रूड ऑयल की कीमतों में यह नरमी न होती, तो रुपये में और ज्यादा गिरावट देखने को मिल सकती थी। हालांकि, फिलहाल रुपये की चाल अमेरिका की नीतियों और वैश्विक आर्थिक हालात पर निर्भर करती नजर आ रही है।
ट्रंप की टैरिफ नीति ने बढ़ाई बेचैनी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से विदेशी उत्पादों पर भारी-भरकम टैरिफ लगाने की चेतावनी के बाद बाजारों में खलबली मच गई है।
ट्रंप प्रशासन ने तांबा पर 50 प्रतिशत और फार्मास्युटिकल प्रोडक्ट्स पर 200 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने की बात कही है। इसके साथ ही ब्रिक्स देशों के उत्पादों पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क का भी प्रस्ताव सामने आया है।
इससे वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता बढ़ गई है, जिसका सीधा असर उभरती अर्थव्यवस्थाओं की करेंसी पर भी देखने को मिल रहा है।
आईटी और मेटल सेक्टर में दबाव
भारतीय शेयर बाजार में बुधवार की शुरुआत भी कमजोर रही। खासतौर पर आईटी और मेटल सेक्टर के शेयरों में गिरावट दर्ज की गई।
आईसीआईसीआई बैंक का शेयर 0.88 प्रतिशत और टाटा स्टील का शेयर 0.86 प्रतिशत नीचे गिरा। एचसीएल टेक्नोलॉजीज 0.76 प्रतिशत, लार्सन एंड टर्बो 0.68 प्रतिशत और इंफोसिस 0.55 प्रतिशत टूट गया।
इन गिरती कंपनियों के चलते निफ्टी और सेंसेक्स पर भी दबाव बना रहा।
कुछ स्टॉक्स में दिखी मजबूती
हालांकि बाजार में गिरावट के बीच कुछ शेयरों ने मजबूती भी दिखाई। टॉप 5 गेनर्स में एशियन पेंट्स 1.70 प्रतिशत चढ़ा, जबकि हिंदुस्तान यूनिलीवर 1.01 प्रतिशत ऊपर रहा। इसके अलावा मारुति सुजुकी 0.52 प्रतिशत, टाइटन 0.41 प्रतिशत और बजाज फाइनेंस 0.40 प्रतिशत की तेजी के साथ ट्रेड कर रहे थे।
ग्लोबल निवेशकों का रुख फिलहाल सतर्क
जियोजित इन्वेस्टमेंट सर्विसेज के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट डॉ वीके विजय कुमार का कहना है कि फिलहाल ग्लोबल निवेशक अमेरिकी टैरिफ को लेकर स्थिति स्पष्ट होने का इंतजार कर रहे हैं।
उनके अनुसार, इस समय बाजार में अनिश्चितता की स्थिति है और कोई भी बड़ा निवेशक जल्दबाजी में निर्णय नहीं लेना चाहता।
डॉलर की बढ़ती ताकत, अमेरिकी नीतियों में बदलाव और भू-राजनीतिक तनाव जैसे कारणों से निवेशकों की रणनीति सतर्क होती जा रही है।
डॉलर के मुकाबले एशियाई करेंसी पर दबाव
डॉलर की मजबूती का असर सिर्फ भारतीय रुपये पर ही नहीं, बल्कि अन्य एशियाई मुद्राओं पर भी पड़ता दिख रहा है। कई करेंसीज में कमजोरी दर्ज की गई है, जिससे यह साफ हो रहा है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था की मजबूती फिलहाल ग्लोबल बाजार के लिए चुनौती बनी हुई है।
बाजार में अगले कदम का इंतजार
इस समय वैश्विक आर्थिक मोर्चे पर जो हालात बने हैं, उनके चलते रुपया काफी हद तक दबाव में बना हुआ है। अमेरिका की ओर से टैरिफ को लेकर अगला कदम, फेडरल रिजर्व की नीति और ग्लोबल इकॉनमी के रुख से आने वाले दिनों में रुपये की दिशा तय होगी।