Delhi: दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश, जामा मस्जिद और आसपास की जगहों का वक्फ बोर्ड के साथ हो सर्वे

Delhi: दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश, जामा मस्जिद और आसपास की जगहों का वक्फ बोर्ड के साथ हो सर्वे
Last Updated: 03 नवंबर 2024

दिल्ली हाई कोर्ट ने जामा मस्जिद को संरक्षित स्मारक घोषित करने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को निर्देश दिया है कि वह जामा मस्जिद और उसके आसपास के क्षेत्रों का सर्वेक्षण करे।

Delhi News: जामा मस्जिद को संरक्षित स्मारक घोषित करने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को जामा मस्जिद और इसके आसपास के क्षेत्रों का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया है। कहा कि जामा मस्जिद का कोई स्केच या टेबल रिकॉर्ड पेश करके यह स्पष्ट करे कि मस्जिद परिसर का उपयोग किन उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है। अदालत ने यह भी जानकारी मांगी है कि मस्जिद के लिए प्राप्त राजस्व और दान का उपयोग किस प्रकार से किया जा रहा है।

अदालत का निर्देश

न्यायमूर्ति प्रतिबा एम सिंह और न्यायमूर्ति अमित शर्मा की पीठ ने एएसआई को जामा मस्जिद का स्केच या टेबल रिकॉर्ड पेश करके यह बताने के लिए कहा कि मस्जिद परिसर का उपयोग किन उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है। इसके साथ ही अदालत ने यह भी जानना चाहा कि राजस्व और दान का उपयोग किस प्रकार से किया जा रहा है।

स्थिति रिपोर्ट और सुझावों की मांग

दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली वक्फ बोर्ड से यह पूछा है कि क्या जामा मस्जिद की प्रबंध समिति के संविधान में कोई संशोधन किया गया है। अदालत ने यह भी निर्देश दिया है कि बोर्ड जामा मस्जिद और इसके आसपास के संरक्षण या सुरक्षा के लिए सुझाव और प्रस्ताव पेश करे। मामले की सुनवाई को 11 दिसंबर तक के लिए स्थगित करते हुए, अदालत ने चार सप्ताह के भीतर स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।

वक्फ बोर्ड की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता

सुनवाई के दौरान वक्फ बोर्ड की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय घोष ने पीठ को सूचित किया कि 10 फरवरी 2015 को जारी आदेश के तहत मस्जिद की प्रबंध कमेटी में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव के अलावा छह सदस्य हैं। पीठ द्वारा पूछे जाने पर अधिवक्ता ने कहा कि कमेटी के सदस्यों की वर्तमान स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है और वह इस पर निर्देश लेकर जवाब देंगे।

संरक्षित स्मारक घोषित करने पर प्रभाव

केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए स्थायी अधिवक्ता मनीष मोहन और अनिल सोनी ने बताया कि एएसआई की महानिदेशक के साथ बैठक में जामा मस्जिद को संरक्षित स्मारक घोषित करने के संबंध में कोई कदम नहीं उठाया गया है। एएसआई ने अदालत में कहा कि जामा मस्जिद को संरक्षित स्मारक घोषित करने के कई प्रभाव होंगे, जिसमें निर्माण पर प्रतिबंध और सुरक्षा क्षेत्र का प्रविधान लागू होना शामिल है।

इमाम और अतिक्रमण हटाने की मांग

यह सुनवाई सुहैल अहमद खान और अजय गौतम द्वारा दायर जनहित याचिकाओं पर हो रही है। इनमें जामा मस्जिद के इमाम मौलाना सैयद अहमद बुखारी द्वारा शाही इमाम उपाधि के इस्तेमाल और उनके बेटे को नायब इमाम के रूप में नियुक्त करने पर आपत्ति जताई गई है। याचिकाओं में अधिकारियों से जामा मस्जिद को संरक्षित स्मारक घोषित करने और उसके आसपास सभी अतिक्रमण हटाने के निर्देश देने की मांग की गई थी।

जामा मस्जिद के संरक्षण पर खर्च

अधीक्षक पुरातत्वविद् ने हलफनामा दाखिल कर कहा कि एएसआई के अनुसार जामा मस्जिद के संरक्षण और पुनर्स्थापना में 2007-08 से 2021 तक कुल 61 लाख 82 हजार 816 रुपये खर्च किए गए हैं।

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