Delhi: सभापति धनखड़ के खिलाफ विपक्ष का आरोप, अविश्वास प्रस्ताव को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने बताई खास वजह

Delhi: सभापति धनखड़ के खिलाफ विपक्ष का आरोप, अविश्वास प्रस्ताव को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने बताई खास वजह
Last Updated: 11 दिसंबर 2024

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि राज्यसभा के सभापति का आचरण पद की गरिमा के विपरीत है। वे विपक्षी नेताओं को निशाना बनाते हैं और अक्सर सरकार की प्रशंसा करते हैं, जिससे सरकार के प्रवक्ता की भूमिका निभा रहे हैं।

New Delhi: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बुधवार को कहा कि विपक्ष को राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिए मजबूर होना पड़ा, क्योंकि उनके आचरण ने राष्ट्र की गरिमा को नुकसान पहुंचाया है। खरगे ने कहा कि धनखड़ राजनीति से परे होते हुए भी आरएसएस की प्रशंसा करते हैं और उनकी अध्यक्षता में विपक्ष की आवाज दबाने का प्रयास होता है। उन्होंने कहा, "सभापति निष्पक्ष होना चाहिए, लेकिन वे हमें बोलने नहीं देते और सरकार के प्रवक्ता के रूप में काम कर रहे हैं।"

विपक्ष ने धनखड़ पर लगाए आरोप

खरगे ने कहा कि राज्यसभा के सभापति एक तरह से हेडमास्टर की भूमिका निभा रहे हैं, विपक्षी नेताओं को उपदेश दे रहे हैं और उन्हें बोलने से रोक रहे हैं। उन्होंने कहा, "राज्यसभा में व्यवधान का सबसे बड़ा कारण खुद सभापति हैं।" कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि विपक्ष ने जगदीप धनखड़ के व्यवहार और पक्षपात के कारण उन्हें हटाने के लिए नोटिस दिया है।

विपक्ष की एकजुटता

इस बीच, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के नोटिस को लेकर सत्तारूढ़ और विपक्षी सांसदों में बुधवार को तकरार हुई। एनडीए नेताओं ने इस कवायद को राजनीति से प्रेरित बताया, जबकि इंडी गठबंधन के सदस्यों ने धनखड़ पर पक्षपात का आरोप लगाया। केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने इसे राजनीतिक षड्यंत्र करार दिया और कहा कि विपक्ष के नेताओं की नाराजगी का यह कारण नहीं है। वहीं, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) सांसद तिरुचि शिवा ने कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा संसद में देश के लोकतंत्र पर खुला हमला किया जा रहा है।

कांग्रेस का रुख 

कांग्रेस ने कहा कि धनखड़ के आचरण ने देश की गरिमा को ठेस पहुंचाई है। खरगे ने कहा, "हम राज्यसभा अध्यक्ष के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन उन्होंने हमें उन्हें हटाने के लिए नोटिस देने के अलावा कोई विकल्प नहीं छोड़ा। हमें उनका पक्षपाती व्यवहार और उनके द्वारा विपक्ष की आवाज दबाने का तरीका नापसंद है।" उन्होंने यह भी कहा कि आगामी विधानसभा सत्र के बाद इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी और अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

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