चीन ने तिब्बत के प्रतिष्ठित बौद्ध विद्वान गेशे राचुंग गेंडुन को लगभग साढ़े तीन साल बाद रिहा कर दिया है। गेंडुन की रिहाई उनकी मां के निधन के छह महीने बाद हुई है, जिनका 85 साल की उम्र में 10 जून को देहांत हो गया था। यह रिहाई उनके परिवार के लिए एक गहरे दुख के बीच हुई है क्योंकि उनकी मां अपनी जीवन के अंतिम क्षणों में अपने बेटे से मिलने की ख्वाहिश लेकर इस दुनिया से चली गईं।
गेशे राचुंग गेंडुन का कारावास और स्वास्थ्य
गेशे राचुंग गेंडुन को 1 अप्रैल 2021 की रात को गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तार करने के बाद महीनों तक उन्हें उनके परिवार से दूर रखा गया और उनके स्वास्थ्य के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई। जेल में उनकी सेहत गंभीर रूप से बिगड़ गई थी, लेकिन चीनी अधिकारियों ने उन्हें उचित चिकित्सा उपचार नहीं मुहैया कराया। इस दौरान उनकी मां के निधन के बावजूद उन्हें उनसे मिलने का मौका नहीं मिला।
गेंडुन की गिरफ्तारी और आरोप
चीन ने गेंडुन को दलाई लामा और भारत में कीर्ति मठ के मठाधीश कीर्ति रिनपोछे को भेंट के रूप में पैसे भेजने के आरोप में तीन साल की सजा सुनाई थी। यह गिरफ्तारी चीन के 'देशभक्ति शिक्षा अभियान' के खिलाफ उनके विरोध के इतिहास से जुड़ी हुई थी, जिसमें 1998 में उन्हें कीर्ति मठ में चीन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हिरासत में लिया गया था।
गेशे राचुंग गेंडुन एक परिचय
गेशे राचुंग गेंडुन तिब्बत के न्गाबा काउंटी में पैदा हुए थे। वे प्रतिष्ठित गेशे डिग्री की पढ़ाई कर रहे थे, जो तिब्बती बौद्ध धर्म में सबसे उच्चतम शैक्षणिक उपलब्धि मानी जाती है। उन्होंने दार्शनिक ग्रंथों का गहन अध्ययन किया और मठों में आयोजित चुनौतीपूर्ण वाद-विवादों में हिस्सा लिया। उनका शिक्षा जीवन हमेशा प्रेरणा देने वाला रहा, और उन्होंने कई प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरुओं से शिक्षा प्राप्त की थी।
गेशे राचुंग गेंडुन का संघर्ष
गेंडुन की रिहाई के बाद, तिब्बत के धार्मिक और राजनीतिक संघर्षों के बारे में चर्चा तेज हो गई है। गेंडुन और उनके जैसे कई बौद्ध विद्वानों और धार्मिक नेताओं को चीन की सख्त नीतियों और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है। उनकी रिहाई ने तिब्बत के मुद्दे को फिर से एक महत्वपूर्ण विषय बना दिया है, क्योंकि यह दर्शाता है कि चीन के भीतर धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की स्थिति कितनी कठिन हैं।
गेंडुन की रिहाई और तिब्बत का संघर्ष
गेंडुन की रिहाई को तिब्बत के लोगों और उनके समर्थकों द्वारा एक जीत के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन यह भी स्पष्ट है कि चीन में तिब्बतियों के लिए संघर्ष जारी रहेगा। गेंडुन जैसे धार्मिक नेता और विद्वान अब भी उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं, और उनके संघर्षों ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया हैं।
गेशे राचुंग गेंडुन की रिहाई एक महत्वपूर्ण घटना है, लेकिन यह दुखद है कि उनकी मां अपने बेटे से मिलने की ख्वाहिश पूरी नहीं कर सकी। यह घटना तिब्बत के धार्मिक और राजनीतिक संघर्षों की एक और मिसाल है, जहां चीन द्वारा लागू की गई कठोर नीतियां और उत्पीड़न की स्थिति लगातार बनी रहती है। गेंडुन की तरह हजारों तिब्बती नागरिक और धार्मिक नेता अपनी स्वतंत्रता और मानवाधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।