Delhi Crime News: 1993 के हत्या मामले में 51 वर्षीय व्यक्ति गिरफ्तार, दिल्ली क्राइम ब्रांच ने अपनी पहचान छुपा कर आरोपी को दबोचा

Delhi Crime News: 1993 के हत्या मामले में 51 वर्षीय व्यक्ति गिरफ्तार, दिल्ली क्राइम ब्रांच ने अपनी पहचान छुपा कर आरोपी को दबोचा
Last Updated: 28 जुलाई 2024

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 31 साल से फरार आरोपी को कानपूर में गिरफ्तार किया है। हत्यारे को पकड़ने के लिए दिल्ली पुलिस ने कैटरर और बिल्डर का रूप अपनाया। पुलिस ने बताया आरोपी ने 1993 में दिल्ली के नरेला में एक व्यक्ति की हत्या की थी।

Crime News: दिल्ली के नरेला इलाके में करीब 31 साल पहले हुई हत्या के मामले में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने हाल ही में एक हत्यारे को गिरफ्तारी किया है। बता दें कि इस गिरफ्तारी की प्रक्रिया में, दिल्ली पुलिस की टीम ने कई अजीबोगरीब तरीकों का सहारा लिया, जैसे बिल्डर बनना और पुलिस केटरर के रूप में काम करना, ताकि आरोपी को ट्रैक किया जा सके। इस दौरान आरोपी को कानपुर से गिरफ्तार किया गया। यह गिरफ्तारी कई महीने या सालों की मेहनत और पुलिस की निरंतरता का परिणाम है।

31 साल से फरार आरोपी गिरफ्तार

मिली जानकारी के अनुसार दिल्ली पुलिस की क्रम ब्रांच ने 31 साल से फरार हत्या के आरोपी को कानपुर से गिरफ्तार किया। पुलिस ने बताया कि 51 साल के आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस टीम ने दिल्ली में कैटरर और फिर कानपुर में बिल्डर बनकर आरोपी पर नजर रखी। आरोपी की पहचान प्रेम नारायण के रूप में बताई गई है। इसके अलावा आरोपी के पिता और चाचा भी 1993 के इस हत्या मामले में शामिल थे। पुलिस ने बताया कि इन्होने दिल्ली के नरेला में शंभू दयाल नाम के एक शख्स को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया था।

क्या था 1993 की हत्या का मामला?

जानकारी के मुताबिक, नरेला थाना क्षेत्र में 18 सितंबर 1993 को शंभू दयाल नाम के एक शख्स का शव बरामद हुआ था। जांच के दौरान पुलिस ने बताया कि 17 सितंबर को बाबू लाल, चुन्नी लाल और प्रेम नारायण शंभू दयाल के घर गए थे। जहां तीनों ने मिलकर युवक को धमकी दी थी। बताया कि आरोपी शंभु की बेटी की शादी अपने गांव में कराना चाहते थे। लेकिन, शंभु ने उन्हें इस बात से इनकार कर दिया कर दिया था।

इस बात से नाराज होकर तीनों ने शंभू दयाल की हत्या कर दी। जांच में संदिग्धों के नाम सामने आए तब पता चला कि तीनों आरोपी घटना के बाद फरार हो गए हैं। इसी दौरान वर्ष 1994 में कोर्ट ने उन्हें भगोड़ा करार किया था। मामले की जाँच करने पर 1994 में दिल्ली कोर्ट ने प्रेम नारायण तथा उसके पिता और उसके चाचा को अपराधी घोषित किया था।

पुलिस की टीम कैटरिंग टीम में हुई शामिल

पुलिस ने बताया कि कुछ दिनों पहले पुलिस टीम को पता चला कि प्रेम नारायण 11 जुलाई को अपने भतीजे की शादी में शामिल होगा। इस दौरान आरोपी को पकड़ने के लिए पुलिस की टीम कैटरिंग टीम के रूप में शादी समारोह में शामिल हुई। लेकिन वहां आरोपी की पत्नी और बच्चे तो दिखाई दे गए, परन्तु आरोपी कहीं नहीं दिखा। पुलिस ने आरोपी के परिवार पर नजर रखी और पता लगाया कि नारायण कानपुर में मजदूरी का काम करता हैं।

पुलिस से बचने के लिए आरोपी ने गाँव वालो से किये संपर्क बंद

पुलिस और उनकी टीम कानपुर पहुंची और आरोपी की तलाश में लगी। लेकिन आरोपी का पता नहीं लगा, पुलिस स्थानीय लोगों से इलाके में काम करने वाले मजदूरों और ठेकेदारों से संपर्क किया, फिर भी प्रेम नारायण नहीं मिला। प्रेम नारायण को उसके बेटे की मदद के जरिये बुलाया। जब प्रेम नारायण बिल्डर के दफ्तर पहुंचा तो पुलिस टीम ने उसे गिरफ्तार कर लिया।

 

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