CAG Report in Delhi Assembly: दिल्ली शराब नीति पर CAG की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा, 2000 करोड़ से अधिक के नुकसान का दावा

🎧 Listen in Audio
0:00

नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की ताज़ा रिपोर्ट में दिल्ली की आबकारी नीति 2024 में गंभीर खामियों का खुलासा हुआ है, जिससे सरकार को लगभग ₹2,026.91 करोड़ का नुकसान हुआ हैं।

नई दिल्ली: दिल्ली की आबकारी नीति को लेकर नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की ताजा रिपोर्ट में कई गंभीर खामियां उजागर हुई हैं। रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली सरकार को शराब नीति में अनियमितताओं और नियमों के उल्लंघन के कारण ₹2,026.91 करोड़ का नुकसान हुआ। यह रिपोर्ट दिल्ली विधानसभा में पेश की गई, जिसमें आबकारी विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए गए हैं।

कैसे हुआ नुकसान?

* CAG रिपोर्ट में शराब नीति के क्रियान्वयन में कई गड़बड़ियां पाई गईं, जिनकी वजह से सरकार को भारी आर्थिक नुकसान हुआ। प्रमुख खामियां इस प्रकार हैं:
* खुदरा दुकानों का संचालन नहीं होना: कई इलाकों में शराब की दुकानें नहीं खुलीं, जिससे सरकार को ₹941.53 करोड़ का नुकसान हुआ।
* लाइसेंस नीलामी में असफलता: कई व्यापारियों द्वारा लाइसेंस सरेंडर किए जाने के बाद दोबारा नीलामी नहीं कराई गई, जिससे ₹890 करोड़ का घाटा हुआ।
* अनुचित छूट: कोविड-19 के नाम पर शराब कारोबारियों को ₹144 करोड़ की छूट दी गई।
* सुरक्षा जमा राशि की अनदेखी: शराब कारोबारियों से उचित सुरक्षा जमा राशि नहीं ली गई, जिससे सरकार को ₹27 करोड़ का नुकसान हुआ।

नियमों का उल्लंघन और पारदर्शिता की कमी

CAG की रिपोर्ट में पाया गया कि आबकारी विभाग ने लाइसेंस जारी करने के दौरान नियमों का पालन नहीं किया। दिल्ली आबकारी नियम, 2010 के तहत एक ही कंपनी को अलग-अलग तरह के लाइसेंस (थोक, खुदरा, होटल-रेस्तरां) जारी नहीं किए जा सकते, लेकिन कुछ कंपनियों को नियमों के खिलाफ जाकर एक से अधिक प्रकार के लाइसेंस दिए गए।

इसके अलावा, कुछ कंपनियों ने प्रॉक्सी मालिकाना हक के माध्यम से लाइसेंस हासिल कर शराब कारोबार में कार्टेल बनाने की कोशिश की। वहीं, आबकारी विभाग ने आवेदकों की वित्तीय स्थिरता, बिक्री रिकॉर्ड, कीमत निर्धारण और आपराधिक पृष्ठभूमि की जांच नहीं की।

कीमत निर्धारण में गड़बड़ी

CAG रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि थोक विक्रेताओं को शराब की कीमतें तय करने की स्वतंत्रता दी गई, जिससे मनमाने ढंग से कीमतें निर्धारित की गईं। दिल्ली में बेची जाने वाली शराब की कीमतें अन्य राज्यों की तुलना में अलग-अलग थीं, जिससे सरकार को उत्पाद शुल्क के रूप में नुकसान उठाना पड़ा। रिपोर्ट में कहा गया कि दिल्ली में बिकने वाली शराब की गुणवत्ता सुनिश्चित करने में आबकारी विभाग असफल रहा। 

नियमों के अनुसार, प्रत्येक थोक विक्रेता को भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के अनुसार टेस्ट रिपोर्ट जमा करनी होती है, लेकिन 51% मामलों में विदेशी शराब की टेस्ट रिपोर्ट या तो एक साल से अधिक पुरानी थी या उपलब्ध ही नहीं थी। कई रिपोर्टें ऐसी लैब्स से जारी की गई थीं, जिन्हें राष्ट्रीय मान्यता बोर्ड (NABL) से मान्यता प्राप्त नहीं थी।

आधुनिक तकनीकों का अभाव

शराब तस्करी रोकने के लिए आबकारी खुफिया ब्यूरो (EIB) की भूमिका कमजोर पाई गई। जब्त की गई शराब में से 65% देसी शराब थी, जो दर्शाता है कि अवैध शराब व्यापार बड़े पैमाने पर जारी था। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया कि डेटा एनालिटिक्स और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाए ताकि अवैध आपूर्ति पर नजर रखी जा सके।

CAG ने पाया कि दिल्ली सरकार ने आबकारी नीति 2021-22 में कैबिनेट की मंजूरी के बिना बदलाव किए। नई नीति के तहत निजी कंपनियों को थोक व्यापार का लाइसेंस दिया गया, जिससे सरकारी कंपनियों को बाहर कर दिया गया। इस कदम से सरकार को ₹2,002 करोड़ का नुकसान हुआ।

CAG ने क्या सुझाव दिए?

* लाइसेंस प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए और सभी आवेदनों की उचित जांच की जाए।
* शराब की कीमत तय करने में पारदर्शिता लाई जाए ताकि मुनाफाखोरी और कर चोरी रोकी जा सके।
* गुणवत्ता नियंत्रण को सख्त किया जाए ताकि नकली और मिलावटी शराब की बिक्री पर रोक लगाई जा सके।
* आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाए ताकि शराब तस्करी को रोका जा सके।
* आर्थिक नुकसान की जिम्मेदारी तय की जाए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो।

Leave a comment
 

Latest Columbus News