Rajasthan: सीएम भजनलाल सरकार का बड़ा फैसला, सुप्रीम कोर्ट में CAA के खिलाफ दाखिल याचिका वापस लेने के लिए अर्जी की दायर

Rajasthan: सीएम भजनलाल सरकार का बड़ा फैसला, सुप्रीम कोर्ट में CAA के खिलाफ दाखिल याचिका वापस लेने के लिए अर्जी की दायर
Last Updated: 22 मार्च 2024

राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार के एक और निर्णय को पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट में CAA के खिलाफ दायर याचिका को वापस लेने का फैसला किया है।

नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून अधिनियम (CAA) के खिलाफ राजस्थान सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका को वापस ले लिया है। बताया जा रह है कि सीएए (CAA) के खिलाफ SC में कई याचिकाएं दायर की गई हैं। उन्हीं में से एक याचिका Rajasthan सरकार ने भी दर्ज की थी लेकिन, उन्होंने अब इसे वापस लेने के लिए कोर्ट में अर्जी दी है। सीएए मामले मे राजस्थान सरकार का यह बड़ा फैसला है। राजस्थान सरकार के एडिशनल एडवोकेट जनरल शिवमंगल शर्मा की ओर से सीएए (CAA) के खिलाफ दायर याचिका को न्यूटर्न लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी है।

 देश में CAA अधिनियम लागू

subkuz.com को मिली जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार ने 11 मार्च को नागरिकता संशोधन कानून अधिनियम (CAA: Citizenship Amendment Act 2019) का नोटिफिकेशन जारी किया था। अब यह कानून या अधिकार देशभर में लागू हो गया है। इस अधिनियम द्वारा देश में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर- मुस्लिम शरणार्थियों (रिफ्यूज़ी) को आसानी से भारत की नागरिकता मिल सकेगी।

सूत्रों के मुताबिक, जरूरी संशोधन के बाद गृहमंत्री अमित शाह ने इस बिल को 9 दिसंबर 2019 को लोकसभा में पेश किया था। 11 दिसंबर 2019 को राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 (CAB) के पक्ष में 125 और विपक्ष में 99 वोट पड़े थे। वहीं, 12 दिसंबर 2019 को इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई थी। लेकिन देशभर में भारी विरोध के चलते इसे उस समय लागू नहीं किया जा सका। बता दें कि संसद ने CAA पर 11 दिसंबर, 2019 को मुहर लगाई थी और करीब 4 साल बाद इसे पूरे देश में लागू हुआ है।

क्या है सीएए अधिनियम ?

नागरिकता संसोधन कानून (CAA) पड़ोसी देशों यानी पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता का अधिकार देने का एक कानून है। ये गैर मुस्लिम तीनों ही देशों में अल्पसंख्यक हैं और धर्म के नाम पर प्रताड़ित होते रहे हैं। इनको नागरिकता का अधिकार नहीं मिला था, इस वजह से देश में सीएए कानून लागू करने का फैसला लिया।

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