Eran vs Israel: ईरान में भयंकर तबाही मचाने वाला है इजरायल, नेतन्याहू ने बनाया बड़ा प्लान; अमेरिका ने कहा - हम इस युद्ध का समर्थन नहीं करेंगे

Eran vs Israel: ईरान में भयंकर तबाही मचाने वाला है इजरायल, नेतन्याहू ने बनाया बड़ा प्लान; अमेरिका ने कहा - हम इस युद्ध का समर्थन नहीं करेंगे
Last Updated: 03 अक्टूबर 2024

इजरायल और ईरान के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है, और दोनों देशों के बीच गंभीर सैन्य टकराव की आशंका भी बनी हुई है। यदि ईरान द्वारा मिसाइल हमले की खबरें सही साबित होती हैं, तो इजरायल जवाबी कार्रवाई की तैयारी में जुट गया हैं।

World: इजरायल और ईरान के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है, और इजरायल ने स्पष्ट रूप से यह संदेश दिया है कि वह किसी भी मिसाइल हमले का बेहद सख्त जवाब देने के लिए तैयार है। हालिया रिपोर्टों के अनुसार, इजरायल ईरान के एयर डिफेंस सिस्टम, तेल और परमाणु संयंत्रों, पावर प्लांट्स, और अन्य महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे पर हमले की योजना बना सकता है। इजरायल का इरादा केवल ईरान के सैन्य ठिकानों को कमजोर करना है, बल्कि उसकी अर्थव्यवस्था को भी भारी नुकसान पहुंचाने का हैं।

इजरायल के अधिकारियों का कहना है कि इस बार ईरान को प्रतिक्रिया देने या बचाव का मौका नहीं मिलेगा। इससे स्पष्ट होता है कि इजरायल की रणनीति तेज और निर्णायक हमले की होगी, जिससे ईरान का सैन्य और आर्थिक ढांचा बुरी तरह प्रभावित हो सकता हैं।

इस स्थिति में, ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े संयंत्रों पर हमले की संभावना भी गंभीर हो जाती है, क्योंकि इजरायल पहले से ही ईरान के परमाणु हथियार कार्यक्रम को एक बड़े खतरे के रूप में देखता है। इसके अलावा, इजरायल द्वारा हमास नेता इस्माइल हानिया जैसे ईरान के बड़े नेताओं को निशाना बनाए जाने की संभावना भी सामने रही हैं।

इजरायल देगा इरान को करारा जवाब

इजरायल और ईरान के बीच चल रहे तनाव में स्थिति और भी गंभीर हो रही है, खासकर एक्सियोस की रिपोर्ट के अनुसार, जिसमें इजरायली अधिकारियों ने संकेत दिया है कि ईरान के बड़े मिसाइल हमले का जवाब जल्द ही दिया जाएगा। इजरायल के अधिकारियों ने यह स्पष्ट किया है कि उनकी प्रतिक्रिया निर्णायक और कठोर होगी, जिसमें ईरान के तेल उत्पादन सुविधाओं और अन्य महत्वपूर्ण रणनीतिक स्थलों पर हमले की योजना शामिल है। इजरायल की इस प्रतिक्रिया में ईरान की अर्थव्यवस्था और सैन्य क्षमता को गंभीर नुकसान पहुंचाने की योजना हो सकती हैं।

इजरायल के उन्नत लड़ाकू विमानों और तकनीकी क्षमताओं का उपयोग करके यह हमला किया जा सकता है। साथ ही, इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद की ओर से भी हमास के नेता इस्माइल हानिया की तरह ईरान के बड़े नेताओं को निशाना बनाने का प्रयास हो सकता है। इस संभावित जवाबी कार्रवाई का मकसद ईरान को इतना बड़ा नुकसान पहुंचाना है कि वह अपने हमले पर पछताए। हालांकि, ईरान ने भी चेतावनी दी है कि अगर इजरायल ने उस पर हमला किया, तो वह इसका जवाब देगा, जिससे एक बड़ा सैन्य टकराव हो सकता है। ऐसे में इजरायल के लिए यह भी चुनौती है कि ईरान किस तरह और किस हद तक प्रतिक्रिया देगा।

बेंजामिन नेतन्याहू ने सुरक्षा प्रमुखों के साथ की एक बड़ी बैठक

इजरायल और ईरान के बीच चल रहे संघर्ष में स्थिति बेहद गंभीर होती जा रही है। बुधवार को इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने तेल अवीव में आईडीएफ (इजरायल डिफेंस फोर्स) मुख्यालय में सुरक्षा प्रमुखों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की, जिसमें ईरान को जवाब देने की रणनीति पर चर्चा की गई। इसके साथ ही यरुशलम में एक बंकर में इजरायली सुरक्षा कैबिनेट की घंटों तक चली बैठक में यह फैसला किया गया कि इजरायल पर ईरान के हमले का सैन्य तरीके से जवाब दिया जाएगा।

प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने स्पष्ट रूप से कहा कि ईरान ने "एक बड़ी गलती" की है और उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। उनके बयान से यह संकेत मिलता है कि इजरायल ईरान पर कठोर कार्रवाई करने की तैयारी में है। नेतन्याहू ने अपने बयान में यह भी कहा, "जो कोई भी हम पर हमला करेगा, हम उन पर हमला करेंगे," जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि इजरायल पूरी तरह से जवाबी हमले के लिए तैयार हैं।

यह घटनाक्रम दिखाता है कि इजरायल ईरान के मिसाइल हमले को एक गंभीर चुनौती के रूप में देख रहा है और इसका जवाब देने के लिए निर्णायक कदम उठाने जा रहा है। इजरायल की सेना और खुफिया एजेंसियां पहले से ही कई संभावित लक्ष्यों को चिन्हित कर सकती हैं, जिसमें ईरान के सैन्य ठिकाने, परमाणु सुविधाएं और अन्य रणनीतिक स्थल शामिल हो सकते हैं।

नेतन्याहू ने बनाया बड़ा प्लान

इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के बीच, अमेरिका की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो गई है। राष्ट्रपति जो बाइडन ने स्पष्ट किया है कि वह ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर हमले का समर्थन नहीं करते हैं, लेकिन इजरायल के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं। बाइडन ने यह भी कहा है कि ईरान पर और प्रतिबंध लगाने पर विचार किया जाएगा, जो अमेरिकी प्रशासन की प्राथमिकता को प्रतिबिंबित करता हैमिलिट्री स्ट्राइक के बजाय कूटनीतिक और आर्थिक दबाव। हालांकि, इजरायल इस बात को समझता है कि अगर उसने ईरान पर हमला किया, तो ईरान की तरफ से पलटवार की संभावना भी बहुत ज्यादा है। ऐसे में इजरायल अमेरिकी सेंट्रल कमांड से रक्षात्मक सहयोग चाहता है ताकि ईरानी हमले से बचाव किया जा सके। इसके अलावा, इजरायली वायुसेना को हमले की स्थिति में अधिक गोला-बारूद और अन्य सैन्य साजो-सामान की आवश्यकता होगी, जिसमें अमेरिका की मदद महत्वपूर्ण साबित हो सकती हैं।

अमेरिका भी इस क्षेत्र में बढ़ते खतरे को देखते हुए अपनी सैन्य तैयारी को बढ़ा रहा है। उसने मध्य पूर्व में अपनी वायुसेना और नौसेना को अलर्ट पर रखा है, जिससे किसी भी आपात स्थिति में तुरंत प्रतिक्रिया दी जा सके। इसके साथ ही, अमेरिका ने जी-7 देशों के साथ भी चर्चा की है, जिससे यह संकेत मिलता है कि यह संकट केवल इजरायल और ईरान तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसका प्रभाव वैश्विक स्तर पर हो सकता है। यदि स्थिति और बिगड़ती है, तो अमेरिका और उसके सहयोगी देशों द्वारा इजरायल को सैन्य सहायता प्रदान की जा सकती है। इससे स्पष्ट है कि अमेरिका भले ही ईरान पर सीधा हमला करने की सलाह दे रहा हो, लेकिन वह अपनी साझेदारियों को मजबूत कर रहा है और आपातकालीन स्थिति के लिए तैयार हो रहा हैं।

 

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