दशहरे पर सिर्फ रावण दहन ही नहीं, बल्कि शमी वृक्ष की पूजा भी महत्वपूर्ण होती है। शमी पूजन शक्ति, विजय और धन-संपत्ति का प्रतीक माना जाता है। महाभारत से जुड़ी कथा, पत्तों का शुभ महत्व और ज्योतिषीय लाभ इसे धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत फलदायी बनाते हैं। यह परंपरा घर में सौभाग्य और सफलता लाती है।
Dussehra Shami Puja: दशहरे यानी विजयादशमी के अवसर पर शमी वृक्ष की पूजा विशेष रूप से महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में प्रचलित है। इस दिन पांडवों की महाभारत काल की कथा के अनुसार शस्त्र सुरक्षित रखने के लिए शमी का प्रयोग किया गया था। शमी के पत्ते सोने के समान शुभ माने जाते हैं और इन्हें घर में रखने से लक्ष्मी का वास होता है। शमी पूजन से शनि दोष शांत होता है, शत्रु बाधाएं दूर होती हैं और व्यापार व कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है। यह परंपरा शक्ति, विजय और समृद्धि को आमंत्रित करती है।
महाभारत से जुड़ी शमी की कथा
महाभारत काल में पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान अपने सभी शस्त्र एक शमी वृक्ष में छिपा दिए थे। बारह वर्षों के बाद जब वे लौटे, तो शस्त्र बिल्कुल सुरक्षित पाए। इसी वजह से शमी को शक्ति और विजय का प्रतीक माना जाता है। आज भी दशहरे के दिन शस्त्र पूजन और शमी पूजन की परंपरा निभाई जाती है।
शमी के पत्तों का महत्व
दशहरे पर शमी के पत्ते बांटने की परंपरा महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में विशेष रूप से प्रचलित है। इन पत्तों को सोने के समान शुभ माना जाता है और घर में रखने से लक्ष्मी का वास होता है, धन और समृद्धि बढ़ती है। पत्तों को पूजा स्थल या तिजोरी में रखना शुभ लाभ प्रदान करता है।
ज्योतिषीय और आध्यात्मिक महत्व
ज्योतिष के अनुसार शमी वृक्ष शनि ग्रह को प्रिय है। दशहरे पर शमी की पूजा करने से शनि दोष शांत होता है और जीवन में स्थिरता आती है। यह पूजा शत्रुओं पर विजय दिलाने, करियर और व्यापार में रुकावटों को दूर करने में सहायक मानी जाती है।
शमी पूजन से मिलने वाले लाभ
- शत्रु बाधाओं और संकटों से मुक्ति
- शनि दोष का नाश
- घर में सुख-शांति और सौभाग्य की वृद्धि
- धन और समृद्धि की प्राप्ति
- कार्यक्षेत्र और व्यापार में सफलता
- हर क्षेत्र में विजय और न्याय की प्राप्ति
रावण और शमी का संबंध
कहा जाता है कि लंका में रावण भी शमी वृक्ष की पूजा किया करता था। इसी कारण इसे युद्ध और विजय से जोड़ा जाता है। दक्षिण भारत में आज भी दशहरे के अवसर पर लोग शमी वृक्ष के नीचे पूजा कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
दशहरा सिर्फ बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व नहीं है, बल्कि यह शक्ति, समृद्धि और सौभाग्य को आमंत्रित करने का अवसर भी है। शमी पूजन करने से शत्रु पर विजय, शनि दोष का नाश और धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि दशहरे पर शमी की पूजा करना न सिर्फ शुभ, बल्कि आवश्यक भी माना जाता है।