Pune

मेरठ कमिश्नर ऋषिकेश भास्कर यशोद का ट्रांसफर, सुप्रीम कोर्ट आदेश से जुड़ा विवाद

मेरठ कमिश्नर ऋषिकेश भास्कर यशोद का ट्रांसफर, सुप्रीम कोर्ट आदेश से जुड़ा विवाद

मेरठ सेंट्रल मार्केट में बुलडोजर रोकने के आदेश देने वाले कमिश्नर ऋषिकेश भास्कर यशोद का तबादला कर दिया गया है। माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना के बाद शासन ने यह कार्रवाई की है।

मेरठ: सेंट्रल मार्केट ध्वस्तीकरण प्रकरण को लेकर बड़ा प्रशासनिक उलटफेर हुआ है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद बाजार में ध्वस्तीकरण पर रोक लगाने और उसे अस्थायी स्ट्रीट मार्केट घोषित करने के फैसले के बाद शासन ने मेरठ के कमिश्नर ऋषिकेश भास्कर यशोद को उनके पद से हटा दिया है। केवल दस माह के कार्यकाल में हुआ यह ट्रांसफर चर्चा का विषय बना हुआ है। जहां अधिकारी इसे “रूटीन प्रक्रिया” बता रहे हैं, वहीं जानकार इसे न्यायालय की अवहेलना से जुड़ा मान रहे हैं।

अवैध निर्माण पर कार्रवाई से भड़का विवाद

दरअसल, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने मेरठ सेंट्रल मार्केट में बने अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने का आदेश दिया था। कोर्ट के निर्देश के बाद आवास विकास परिषद ने बाजार में बुलडोजर चलाकर कई दुकानों को गिरा दिया। इस कार्रवाई के विरोध में व्यापारी संगठन सड़कों पर उतर आए और बाजार बंद कर दिया गया।

बढ़ते तनाव को देखते हुए कमिश्नर ऋषिकेश भास्कर यशोद ने हस्तक्षेप करते हुए ध्वस्तीकरण पर रोक लगाने का आदेश दिया। साथ ही, प्रभावित दुकानदारों को अस्थायी रूप से वहीं स्ट्रीट मार्केट के रूप में व्यापार जारी रखने की अनुमति दी। यहीं से विवाद ने नया मोड़ लिया।

कोर्ट आदेश की अनदेखी पर शासन सख्त

सूत्रों के अनुसार, शासन ने कमिश्नर के इस कदम को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना माना। कहा जा रहा है कि यह फैसला न केवल प्रशासनिक सीमाओं से परे था, बल्कि इससे सरकार की साख पर भी असर पड़ा। यही कारण रहा कि मंगलवार देर शाम कमिश्नर का ट्रांसफर आदेश जारी कर दिया गया।

सरकारी सूत्रों का कहना है कि शासन ने नए कमिश्नर को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि अदालत के आदेशों का सख्ती से पालन कराया जाए और किसी भी अवैध निर्माण को लेकर नरमी न बरती जाए।

राजनीतिक हलकों में मची हलचल

इस पूरे प्रकरण का राजनीतिक असर भी देखने को मिला है। सूत्रों के मुताबिक, भाजपा सांसद अरुण गोविल और कैंट विधायक अमित अग्रवाल ने व्यापारियों से मुलाकात कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से समाधान निकालने की बात की थी। माना जा रहा है कि बाजार खुलवाने का फैसला इन्हीं चर्चाओं के बाद लिया गया।

हालांकि उसी शाम शासन की ओर से कमिश्नर का तबादला आदेश जारी होने पर राजनीतिक गलियारों में अटकलें तेज हो गईं कि यह कदम कोर्ट की अवमानना से बचने के लिए उठाया गया है।

व्यापारी समुदाय ने जताया समर्थन

जहां एक ओर व्यापारी समुदाय कमिश्नर के समर्थन में उतर आया है और उनके फैसले को "जनहित में लिया गया कदम" बता रहा है, वहीं अधिकारी वर्ग इसे नियमों से परे निर्णय मान रहा है। कई वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि किसी भी परिस्थिति में न्यायालय के आदेशों को बदला नहीं जा सकता।

मेरठ में यह घटनाक्रम न केवल प्रशासनिक जगत में हलचल पैदा कर रहा है, बल्कि इससे शासन और न्यायपालिका के संबंधों को लेकर भी नए सवाल खड़े हो गए हैं।

Leave a comment