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पाकिस्तान-सऊदी अरब रणनीतिक समझौता, ख्वाजा आसिफ ने परमाणु हथियार पर दिया साफ जवाब

पाकिस्तान-सऊदी अरब रणनीतिक समझौता, ख्वाजा आसिफ ने परमाणु हथियार पर दिया साफ जवाब

पाकिस्तान और सऊदी अरब ने नया रक्षा समझौता किया। ख्वाजा आसिफ ने कहा यह समझौता पुराने सहयोग पर आधारित है। परमाणु हथियार शामिल नहीं हैं और सऊदी अरब को हथियार उपलब्ध कराने का कोई एजेंडा नहीं है।

इस्लामाबाद: पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच हाल ही में हस्ताक्षरित रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौते को लेकर पाकिस्तान ने नया बयान दिया है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि यह समझौता दोनों देशों के बीच अब तक "कुछ हद तक लेन-देन आधारित" रहे संबंधों को औपचारिक रूप दे देता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह समझौता पहले से चल रही बातचीत का परिणाम है और किसी हालिया घटना पर आधारित नहीं है।

समझौते की पृष्ठभूमि

इससे पहले 1982 में दोनों देशों ने एक द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। उस समय पाकिस्तानी सेना ने सऊदी अरब को प्रशिक्षण, सलाह और तैनाती जैसी सेवाएं प्रदान की थीं। नए समझौते के तहत दोनों देशों ने यह तय किया है कि यदि किसी एक देश पर हमला होता है तो इसे दोनों पर हमला माना जाएगा।

परमाणु हथियारों पर ख्वाजा आसिफ का बयान

पाकिस्तानी पत्रकार हसन ने ख्वाजा आसिफ से पूछा कि क्या इस समझौते के तहत सऊदी अरब पाकिस्तान की परमाणु सुरक्षा छतरी के अंतर्गत आता है। इस पर उन्होंने सीधे जवाब देने से इनकार किया और कहा, "मैं इस पर टिप्पणी नहीं करूंगा, क्योंकि रक्षा समझौते आम तौर पर सार्वजनिक रूप से नहीं बताए जाते।"

ख्वाजा आसिफ ने अमेरिकी पत्रकार बॉब वुडवर्ड की किताब ‘War’ (2024) का भी हवाला दिया गया जिसमें कहा गया था कि सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने अमेरिकी सीनेटर से कहा था कि वह पाकिस्तान से बम खरीद सकते हैं। ख्वाजा आसिफ ने इसे सनसनी फैलाने वाली बात बताया और कहा, “मैं उस कथन पर विश्वास नहीं करता।”

पाकिस्तान ने किया साफ: हम परमाणु हथियार बेचने के धंधे में नहीं

आखिर में जब ख्वाजा आसिफ से पूछा गया कि क्या पाकिस्तान सऊदी अरब को परमाणु हथियार उपलब्ध कराएगा, तो उन्होंने साफ कहा, “बिल्कुल नहीं। हम बहुत ज़िम्मेदार लोग हैं।” उन्होंने स्पष्ट किया कि परमाणु हथियार इस नए समझौते का हिस्सा नहीं हैं और यह "एजेंडे में नहीं हैं।"

कतर पर इजरायली हमले का नहीं है असर

ख्वाजा आसिफ ने यह भी कहा कि सऊदी अरब के साथ यह समझौता कतर पर हालिया इजरायली हमले की प्रतिक्रिया में नहीं हुआ है। उन्होंने बताया, "यह समझौता पहले से ही काफी समय से बातचीत में था। हाल की घटनाओं ने शायद प्रक्रिया को तेज किया, लेकिन यह इसका कारण नहीं है।"

ऐतिहासिक सहयोग पर आधारित समझौता

समझौते के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि यह रक्षा समझौता दोनों देशों के लगभग आठ दशकों पुराने सहयोग पर आधारित है। यह सहयोग इस्लामी एकता, भाईचारे, साझा रणनीतिक हितों और गहरे रक्षा सहयोग पर टिका हुआ है।

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