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ईरान ने E3 देशों के राजदूतों को बुलाया, स्नैपबैक फैसलों पर जताया विरोध

ईरान ने E3 देशों के राजदूतों को बुलाया, स्नैपबैक फैसलों पर जताया विरोध

ईरान ने फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी के राजदूतों को उनके स्नैपबैक फैसलों के विरोध में तेहरान बुलाया। JCPOA समझौते और सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों पर विवाद बढ़ा। ईरान ने बातचीत के जरिए समाधान की संभावना जताई।

World News: ईरान ने शनिवार, 27 सितंबर, 2025 को फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी से अपने राजदूतों को वापस बुला लिया। इन तीनों देशों को E3 के नाम से भी जाना जाता है। ईरान ने यह कदम उनके द्वारा लिए गए उकसावे वाले फैसलों के विरोध में उठाया। ईरानी विदेश मंत्रालय ने इस बारे में बयान जारी किया और बताया कि तीनों देशों के राजदूतों को बातचीत के लिए तेहरान बुलाया गया है।

E3 देशों का स्नैपबैक निर्णय

ईरान के विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि ई3 देशों ने स्नैपबैक व्यवस्था को पुनः लागू करने का निर्णय लिया, जिससे ईरान नाराज हो गया। यह व्यवस्था 2015 के परमाणु समझौते, जिसे JCPOA के नाम से भी जाना जाता है, के तहत बनाई गई थी। इसके अनुसार, अगर ईरान समझौते का उल्लंघन करता है, तो 30 दिनों के भीतर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को फिर से लागू किया जा सकता है।

ईरान ने यह कदम उठाकर अपने गुस्से को व्यक्त किया कि उन्हें उन फैसलों से नुकसान और दबाव का सामना करना पड़ रहा है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि राजदूतों को बातचीत के लिए बुलाया गया ताकि स्थिति का समाधान ढूंढा जा सके।

संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव पारित नहीं होने से बढ़ा दबाव

समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, 19 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में ईरान के लिए प्रतिबंधों में राहत बढ़ाने वाले प्रस्ताव को पारित नहीं किया जा सका। इसके बाद 26 सितंबर को एक और प्रस्ताव भी पारित नहीं हुआ, जिसमें जेसीपीओए और समझौते का समर्थन करने वाले प्रस्ताव दोनों को छह महीने का विस्तार देने की मांग थी।

इस अस्वीकृति का मतलब है कि समझौते के तहत हटाए गए प्रतिबंध 27 सितंबर की शाम से फिर से लागू हो जाएंगे। यह ईरान के लिए एक गंभीर राजनीतिक और आर्थिक चुनौती बन गया है।

JCPOA और ईरान की प्रतिबद्धताएं

जुलाई 2015 में ईरान और छह विश्व शक्तियों- ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, जर्मनी, रूस और अमेरिका ने JCPOA पर हस्ताक्षर किए थे। इसके तहत ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित किया और अंतरराष्ट्रीय निगरानी की अनुमति दी।

हालांकि, 2018 में अमेरिका ने इस समझौते से हाथ खींच लिया। इसके बाद ईरान ने धीरे-धीरे अपनी प्रतिबद्धताओं को कम करना शुरू किया। इस कदम से यूरोपीय देशों और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ गया।

यूरोपीय देशों की भूमिका

ई3 देशों- फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी ने 28 अगस्त को सुरक्षा परिषद को तेहरान के महत्वपूर्ण गैर-निष्पादन की सूचना दी और स्नैपबैक तंत्र को सक्रिय कर दिया। इसका उद्देश्य ईरान को समझौते का पालन करने के लिए दबाव में रखना था।

हालांकि, चीन और रूस ने इस प्रक्रिया में ईरान का समर्थन किया। अल्जीरिया, पाकिस्तान और चीन ने 26 सितंबर के प्रस्ताव का पक्ष लिया। जबकि सुरक्षा परिषद के नौ सदस्य प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किए। प्रस्ताव पारित करने के लिए नौ सकारात्मक मतों की आवश्यकता थी।

क्या है प्रस्ताव संख्या 2231

संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव संख्या 2231 के तहत, अगर सुरक्षा परिषद किसी अन्य निर्णय के लिए प्रस्ताव पारित नहीं करती, तो प्रतिबंधों की अधिसूचना 30 दिन बाद फिर से लागू हो जाती है। इस प्रक्रिया के कारण ईरान के लिए प्रतिबंधों की पुनः सक्रियता अनिवार्य हो गई।

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