भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तिमाही बैठक 4 अगस्त 2025 से शुरू हो चुकी है। इस बैठक को लेकर बाजार, निवेशक और अर्थशास्त्री सभी काफी उत्साहित हैं। वजह साफ है इस बार की मीटिंग ऐसे समय हो रही है जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हालात कुछ ठीक नहीं हैं। भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता टूट चुका है और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने का एलान कर चुके हैं।
गवर्नर का बयान 6 अगस्त को
इस अहम बैठक में लिए गए निर्णयों की जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा 6 अगस्त 2025 को सुबह 10 बजे देंगे। उनका बयान आरबीआई के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर लाइव देखा जा सकता है। यह बयान न सिर्फ रेपो रेट के संदर्भ में बल्कि महंगाई, जीडीपी ग्रोथ और मौद्रिक नीति के रुख को लेकर भी अहम होगा।
भारत में इस समय कई आर्थिक चुनौतियां हैं। एक तरफ वैश्विक स्तर पर अमेरिका और चीन के बीच तनाव है, वहीं दूसरी ओर भारत पर अमेरिकी टैरिफ और रूस से तेल खरीद को लेकर दबाव बनाया जा रहा है। इन सबके बीच भारतीय रिजर्व बैंक के निर्णय से बाजार की दिशा तय हो सकती है। ऐसे में रेपो रेट को लेकर गवर्नर का रुख काफी मायने रखता है।
रेपो रेट में बदलाव की उम्मीद नहीं
विशेषज्ञों की मानें तो इस बार रिजर्व बैंक रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं करेगा। मौजूदा दरों को यथावत रखा जा सकता है। साल की शुरुआत में आरबीआई ने पहले ही 100 बेसिस प्वाइंट की कटौती की थी। ऐसे में अब तक कोई बड़ा संकेत नहीं मिल रहा है कि मौजूदा समय में कोई और कटौती की जाए।
खुदरा महंगाई दर यानी सीपीआई फिलहाल सामान्य स्थिति में है। यह भारतीय रिजर्व बैंक के लक्ष्य के भीतर बनी हुई है। इसलिए जब तक अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक विवाद स्पष्ट नहीं होता, आरबीआई की ओर से कोई बड़ा कदम उठाए जाने की संभावना नहीं है।
एमपीसी में कौन-कौन होता है शामिल
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति में कुल 6 सदस्य होते हैं। इसमें आरबीआई गवर्नर के साथ-साथ केंद्रीय बैंक के दो वरिष्ठ अधिकारी और सरकार द्वारा नियुक्त तीन बाहरी सदस्य शामिल होते हैं। ये सभी सदस्य व्यापक आर्थिक संकेतकों के आधार पर दरों में बदलाव का फैसला करते हैं।
पिछले कुछ महीनों में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं हुआ है। इसका मुख्य कारण यह है कि महंगाई नियंत्रण में है और अर्थव्यवस्था स्थिर दिखाई दे रही है। हालांकि कुछ क्षेत्रों में मांग में गिरावट और वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता को देखते हुए अगर जरूरत पड़ी, तो आरबीआई कुछ महीनों बाद कोई और फैसला ले सकता है। फिलहाल, संभावना यही है कि मौजूदा दरें बनी रहेंगी।
लिक्विडिटी पर भी रहेगा ध्यान
बैठक में यह भी चर्चा होगी कि बाजार में नकदी यानी लिक्विडिटी की क्या स्थिति है। हाल के हफ्तों में बैंकों में जमा राशि में गिरावट आई है, जबकि कर्ज लेने की प्रवृत्ति बढ़ी है। आरबीआई इस पर भी नजर रखेगा कि बाजार में कितनी तरलता बनी हुई है और आगे उसे किस तरह संतुलित किया जा सकता है।
देश की आर्थिक वृद्धि दर यानी जीडीपी ग्रोथ को लेकर भी इस बैठक में चर्चा की जाएगी। पिछले तिमाही आंकड़ों में ग्रोथ रेट थोड़ा कमजोर रहा है। हालांकि, सरकार ने कई क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा देने के संकेत दिए हैं, लेकिन वैश्विक मंदी और टैरिफ जैसे मुद्दे इस ग्रोथ पर असर डाल सकते हैं।
बाजार में अस्थिरता, निवेशकों की चिंता
अमेरिका की तरफ से टैरिफ की धमकियों और व्यापारिक संबंधों में आई दरार का सीधा असर भारतीय बाजारों पर देखा गया है। शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव जारी है और विदेशी निवेशक फिलहाल सतर्क नजर आ रहे हैं। ऐसे में आरबीआई की तरफ से आने वाले बयान को निवेशक बड़े ध्यान से देखेंगे।
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा प्रेस कॉन्फ्रेंस के ज़रिए एमपीसी बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देंगे। यह प्रेस कॉन्फ्रेंस आरबीआई के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर लाइव देखी जा सकती है। साथ ही, प्रमुख बिजनेस न्यूज चैनल और वेबसाइट्स पर भी इसका लाइव प्रसारण होगा।
देश-दुनिया की नजर इस मीटिंग पर
इस बार की एमपीसी मीटिंग सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के निवेशकों और नीति निर्माताओं के लिए भी अहम है। अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक संबंधों में खटास के कारण भारतीय मौद्रिक नीति के फैसलों पर अंतरराष्ट्रीय बाजार की भी नजर बनी हुई है।