शिवसेना (यूबीटी) ने सामना में दावा किया है कि 2022 में उद्धव ठाकरे सरकार हनीट्रैप और पेगासस जैसे निगरानी सिस्टम के कारण गिरी। कई विधायक और सांसद ब्लैकमेल होकर पाला बदल गए।
Maharashtra: शिवसेना (UBT) ने 2022 में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के पतन को लेकर बड़ा दावा किया है। पार्टी के मुखपत्र 'सामना' में मंगलवार, 22 जुलाई को प्रकाशित संपादकीय में लिखा गया है कि विधायकों और सांसदों को हनीट्रैप में फंसाने के लिए पेगासस जैसी निगरानी प्रणाली और गुप्त कैमरों का इस्तेमाल किया गया। इसी के चलते एमवीए सरकार का पतन हुआ।
हनीट्रैप में फंसे 18 विधायक और 4 सांसद: सामना
सामना में प्रकाशित लेख में कहा गया है कि अविभाजित शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के कुल 18 विधायक और चार सांसद इस तरह के जाल में फंस गए थे। इन जनप्रतिनिधियों को कथित रूप से उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने वाले वीडियो या फोटो के माध्यम से ब्लैकमेल किया गया, जिसके चलते उन्हें मजबूरी में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ जाने का निर्णय लेना पड़ा।
कांग्रेस नेता वडेट्टीवार के बयान का हवाला
सामना ने कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार के बयान का भी हवाला दिया, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि सांसदों और विधायकों को ब्लैकमेल किया गया। सामना का कहना है कि विपक्ष के नेता के रूप में वडेट्टीवार की टिप्पणी को गंभीरता से लेना चाहिए।
इजराइल से लाए गए गुप्त कैमरों और पेगासस का प्रयोग
संपादकीय में यह भी आरोप लगाया गया है कि इजराइल से लाए गए उच्च तकनीक वाले गुप्त कैमरों और पेगासस जैसी निगरानी प्रणाली का इस्तेमाल विधायकों और सांसदों की जासूसी के लिए किया गया। इन उपकरणों के जरिये जनप्रतिनिधियों के निजी पलों को रिकॉर्ड किया गया और फिर उन्हें ब्लैकमेल किया गया।
एकनाथ शिंदे को सौंपी गई पेन ड्राइव
सामना के अनुसार, हनीट्रैप से जुड़े प्रमाणों की एक पेन ड्राइव तत्कालीन शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे को सौंपी गई थी। इसके बाद शिंदे सूरत, गुवाहाटी और गोवा की यात्रा पर निकल पड़े थे। उस समय उनके साथ केवल 9 या 10 विधायक ही थे, लेकिन बाद में संख्या बढ़ी और उन्होंने भाजपा के समर्थन से सरकार बना ली।
फडणवीस और गृह विभाग पर दबाव डालने का आरोप
सामना में यह भी आरोप लगाया गया है कि तत्कालीन विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस और गृह विभाग के अधिकारियों ने विधायकों और सांसदों को धमकाया और ब्लैकमेल किया। इससे एमवीए सरकार का बहुमत कमजोर हुआ और अंततः उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।