Success Story: प्रियंका भलावी का संघर्षपूर्ण सफर, सरकारी स्कूल से शिक्षा प्राप्त प्रियंका बनीं SDM, स्कॉलरशिप ने निभाई अहम भूमिका

Success Story: प्रियंका भलावी का संघर्षपूर्ण सफर, सरकारी स्कूल से शिक्षा प्राप्त प्रियंका बनीं SDM, स्कॉलरशिप ने निभाई अहम भूमिका
Last Updated: 4 घंटा पहले

Success Story: प्रियंका भलावी, मध्य प्रदेश के बैतूल जिले की रहने वाली, अपनी कड़ी मेहनत, समर्पण और स्मार्ट रणनीतियों के साथ आज मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) की राज्य सेवा परीक्षा में 23वीं रैंक प्राप्त करके डिप्टी कलेक्टर बनीं। उनकी सफलता की कहानी न केवल उनके परिवार के सपनों को पूरा करने की है, बल्कि यह उन सभी के लिए एक प्रेरणा भी है जो कठिनाईयों के बावजूद अपने सपनों को हासिल करने के लिए संघर्ष करते हैं।

प्रियंका की शुरुआती शिक्षा और प्रेरणा

प्रियंका का जन्म बैतूल जिले के गंज क्षेत्र में हुआ था। उनके पिता सरकारी शिक्षक और मां गृहिणी हैं। प्रियंका ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सरकारी कन्या विद्यालय से प्राप्त की, जहां से उनका शैक्षिक सफर शुरू हुआ। इसके बाद, उन्होंने जेएच कॉलेज से कंप्यूटर साइंस में BSc और फिजिक्स में MSc की डिग्री हासिल की। कॉलेज के बाद प्रियंका को दिल्ली में सरकारी योजना के तहत परीक्षा की तैयारी करने का अवसर मिला, जो उनके जीवन का एक अहम मोड़ साबित हुआ।

प्रियंका को अफसर बनने की प्रेरणा उनकी बुआ के बच्चों से मिली, जो सभी ग्रेड-B के अधिकारी हैं। उनकी बुआ के बच्चे हमेशा प्रियंका से कहते थे कि उनके परिवार में केवल डिप्टी कलेक्टर की कमी है, और वह यह कमी प्रियंका ही पूरी कर सकती हैं। इस प्रेरणा से प्रियंका को अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने की शक्ति मिली।

स्कॉलरशिप से MPPSC की तैयारी

प्रियंका की सफलता में स्कॉलरशिप का महत्वपूर्ण योगदान रहा। सरकारी योजना के तहत मिली स्कॉलरशिप ने उन्हें अपनी तैयारी के लिए जरूरी संसाधन मुहैया कराए। 2020 में प्रियंका ने MPPSC की मुख्य परीक्षा की तैयारी के लिए इंदौर में कदम रखा। उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण से यह सुनिश्चित किया कि वह अपनी पढ़ाई के हर पहलू को समझें और सही दिशा में मेहनत करें।

प्रियंका का संघर्ष और सफलता की यात्रा

प्रियंका के लिए यह सफर आसान नहीं था। उन्होंने 2017 में पहली बार राज्य सेवा परीक्षा दी थी, जिसमें उन्होंने प्रारंभिक परीक्षा पास की, लेकिन मुख्य परीक्षा में सफलता प्राप्त नहीं कर पाईं। 2018 में वह प्रारंभिक परीक्षा भी पास नहीं कर पाईं, लेकिन हार मानने की बजाय उन्होंने खुद को और बेहतर करने की ठानी।

प्रियंका ने 2019 में तीसरे प्रयास में इंटरव्यू तक पहुंची, हालांकि उसका परिणाम अभी घोषित नहीं हुआ था। फिर 2020 में प्रियंका ने चौथे प्रयास में 23वीं रैंक प्राप्त की और डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयनित हो गईं। यह उनकी मेहनत, संकल्प और निरंतर प्रयास का नतीजा था।

प्रियंका की पढ़ाई की दिनचर्या

प्रियंका ने अपनी पढ़ाई को एक नियमित दिनचर्या में ढाला। वह रोजाना 8 से 10 घंटे की पढ़ाई करती थीं। प्रियंका ने बताया कि वह अपने दिनभर के अध्ययन का लक्ष्य सुबह ही लिखकर अपनी स्टडी टेबल के पास चिपका देती थीं और दिनभर उस पर काम करती थीं। रात को वह अपने कार्यों का अवलोकन करती थीं और यह देखती थीं कि वह कितने लक्ष्यों को पूरा कर पाई हैं। इस प्रकार उनकी तैयारी पूरी तरह से संगठित और उद्देश्यपूर्ण थी।

सोशल मीडिया और तैयारी का संतुलन

प्रियंका ने सोशल मीडिया के बारे में भी अपनी राय साझा की। उन्होंने बताया कि वह सोशल मीडिया का उपयोग पूरी तरह से बंद नहीं करती थीं, बल्कि उनका मानना था कि सोशल मीडिया का सही उपयोग हमें नई जानकारियां देने में मदद करता है। हालांकि, जब यह पढ़ाई में रुकावट डालने लगता था, तो वह इसका उपयोग नियंत्रित कर देती थीं। प्रियंका का मानना है कि हर चीज का संतुलन बनाना जरूरी है, और सोशल मीडिया को एक सकारात्मक तरीके से इस्तेमाल करना चाहिए।

प्रियंका की सफलता से मिलने वाली सीख

प्रियंका भलावी की सफलता की कहानी यह बताती है कि अगर आप सही दिशा में मेहनत करें, तो कोई भी सपना मुश्किल नहीं होता। उनके संघर्ष और समर्पण ने यह साबित कर दिया कि सफलता उन्हीं को मिलती है जो न केवल मेहनत करते हैं, बल्कि सही रास्ते का चयन भी करते हैं। प्रियंका का मानना है कि कड़ी मेहनत और एकाग्रता से किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता हैं।

प्रियंका की सफलता न केवल उनके परिवार के लिए खुशी का पल है, बल्कि यह उन सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो अपनी मेहनत और लगन से अपने लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते हैं। उनका संदेश साफ है - "अगर आप सच्चे दिल से किसी काम में लगे हैं, तो कोई भी मुश्किल रास्ता आपकी सफलता में रुकावट नहीं डाल सकती।" प्रियंका का यह सफर हमें यह सिखाता है कि संघर्ष, समर्पण और सही मार्गदर्शन से हर व्यक्ति अपनी मंजिल तक पहुंच सकता हैं।

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