हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार चैत्र माह की कालाष्टमी 22 मार्च 2025 को मनाई जाएगी। कालाष्टमी का दिन भगवान कालभैरव को समर्पित होता है, जो शिव जी के उग्र रूप माने जाते हैं। यह दिन विशेष रूप से उनके भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दिन उनकी पूजा करने से जीवन के सभी कष्ट और बाधाएं दूर हो जाती हैं।
कालाष्टमी का महत्व और शुभ मुहूर्त
चैत्र माह की कालाष्टमी की अष्टमी तिथि की शुरुआत 22 मार्च को सुबह 4:23 बजे होगी और इसका समापन 23 मार्च को सुबह 5:23 बजे होगा। इस दिन निशा काल में पूजा का विशेष महत्व है, जिसका शुभ मुहूर्त देर रात 12:04 बजे से 12:51 बजे तक रहेगा। माना जाता है कि इस समय में की गई पूजा भगवान कालभैरव को अत्यधिक प्रसन्न करती है और भक्तों के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
भगवान कालभैरव को प्रसन्न करने के उपाय
अगर आप भी भगवान कालभैरव को प्रसन्न करना चाहते हैं और अपने जीवन से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करना चाहते हैं, तो कालाष्टमी के दिन इन चीजों का अर्पण करें:
1. काले वस्त्र और नारियल
भगवान कालभैरव को काले वस्त्र और नारियल चढ़ाने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं और परिवार की रक्षा करते हैं। इससे कार्यों में सफलता मिलती है और जीवन में स्थायित्व आता है।
2. सुपारी
सुपारी को हिंदू धर्म में शुभता का प्रतीक माना गया है। पूजा के समय भगवान कालभैरव को सुपारी चढ़ाने से जीवन की सभी कठिनाइयां समाप्त हो जाती हैं।
3. पान और काले तिल
भगवान कालभैरव को पान चढ़ाने से शुभ फल प्राप्त होते हैं और दुख दूर होते हैं। वहीं, काले तिल चढ़ाने से ग्रह दोष और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है। रुके हुए कार्य भी पूर्ण होने लगते हैं।
अन्य पूजन सामग्री
भगवान कालभैरव को प्रसन्न करने के लिए गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी, कुमकुम, रोली, चंदन, फूल, धूप, दीपक, नैवेद्य, सरसों का तेल और लौंग भी अर्पित किए जा सकते हैं। इनसे भगवान का आशीर्वाद शीघ्र प्राप्त होता है और जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है।
इस कालाष्टमी पर भगवान कालभैरव की विधिपूर्वक पूजा करें और इन उपायों से उन्हें प्रसन्न करें। भगवान कालभैरव का आशीर्वाद आपके जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और सफलता लेकर आए।