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वक्फ संशोधन कानून: सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने दायर की कैविएट, बोली- 'हमें सुने बिना न हो कोई आदेश'

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वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को लेकर बढ़ते विवाद और अदालत में लगातार दायर हो रही याचिकाओं के बीच केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए मंगलवार को एक अहम कदम उठाया। 

Waqf Amendment Law: केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में वक़्फ (संशोधन) कानून, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के संबंध में कैविएट दाखिल की है। सरकार ने अदालत से आग्रह किया है कि इस कानून से जुड़ी किसी भी याचिका पर कोई आदेश पारित करने से पहले उसे भी सुना जाए। कैविएट एक कानूनी प्रक्रिया है, जिसके तहत कोई भी पक्ष यह सुनिश्चित करने के लिए अदालत में आवेदन करता है कि उसके खिलाफ कोई आदेश बिना उसकी बात सुने पारित न किया जाए। 

केंद्र सरकार के इस कदम का उद्देश्य यह है कि वह वक़्फ कानून से जुड़े मुद्दों पर अपनी तरफ से अदालत में उचित पक्ष रख सके, ताकि किसी भी एकतरफा निर्णय की संभावना न रहे।

क्या है कैविएट और क्यों डाली गई?

कैविएट एक कानूनी प्रक्रिया है, जिसके तहत कोई पक्ष अदालत से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध करता है कि उसके खिलाफ कोई आदेश पारित करने से पहले उसे सुनने का अवसर दिया जाए। केंद्र सरकार ने इसी प्रक्रिया का सहारा लेते हुए कोर्ट से आग्रह किया है कि वक्फ कानून से जुड़े सभी मामलों में सरकार का पक्ष सुने बिना कोई अंतरिम या अंतिम फैसला न लिया जाए।

अब तक दर्ज हो चुकी हैं एक दर्जन से अधिक याचिकाएं

वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के खिलाफ अब तक 12 से अधिक याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की जा चुकी हैं। इन याचिकाओं में देश की प्रमुख मुस्लिम संस्थाएं, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमीयत उलेमा-ए-हिंद, समस्त केरल जमीयतुल उलेमा के साथ-साथ कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी शामिल हैं। याचिकाकर्ताओं ने इस संशोधन को मुसलमानों की धार्मिक, सामाजिक और कानूनी स्वतंत्रता के खिलाफ बताया है।

सुनवाई की तारीख पर सस्पेंस बरकरार

सूत्रों के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट में इन याचिकाओं को 15 अप्रैल 2025 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जा सकता है। हालांकि, मंगलवार रात तक यह जानकारी सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर दिखाई नहीं दी थी। वकीलों का कहना है कि अंतिम सूची बुधवार को अपडेट की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने सोमवार को इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए कहा था कि याचिकाकर्ताओं की ओर से भेजे गए ईमेल और अनुरोधों को देखा जाएगा और मामले की प्राथमिकता तय की जाएगी। यह बयान ऐसे समय में आया है, जब पूरे देश में वक्फ संशोधन कानून को लेकर बहस छिड़ी हुई है।

क्या है वक्फ संशोधन अधिनियम 2025?

हाल ही में पारित वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 में वक्फ संपत्तियों की निगरानी, अधिग्रहण और प्रशासन को लेकर कई नए प्रावधान जोड़े गए हैं। आलोचकों का कहना है कि ये प्रावधान न केवल वक्फ बोर्डों की स्वायत्तता को कमजोर करते हैं, बल्कि धार्मिक संस्थानों के अधिकारों में भी कटौती करते हैं। वहीं, केंद्र का दावा है कि यह संशोधन पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है। अब सबकी निगाहें 15 अप्रैल पर टिकी हैं, जब इस विवादित अधिनियम को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पहली बड़ी सुनवाई हो सकती है। 

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