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महोबा जेल में रेप आरोपी ने किया आत्महत्या का प्रयास, उत्पीड़न का लगाया आरोप

महोबा जेल में रेप आरोपी ने किया आत्महत्या का प्रयास, उत्पीड़न का लगाया आरोप

उत्तर प्रदेश के महोबा जेल में एक रेप आरोपी, विजय, ने साथी कैदियों द्वारा लगातार उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए कांच के टुकड़े खाकर आत्महत्या की कोशिश की। शिकायत के बावजूद प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। हालत बिगड़ने पर उसे तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया।

Uttar pradesh: महोबा जेल में रेप के आरोपी विजय ने लगातार उत्पीड़न का सामना करने के बाद आत्महत्या की कोशिश की। वह पानी के साथ कांच के टुकड़े खा गया, जिससे उसकी हालत गंभीर हो गई। शिकायत के बावजूद जेल प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। घटना तब हुई जब उसे गुरुवार को अतर्रा कोर्ट में पेशी के लिए ले जाया गया। आनन-फानन में उसे नजदीकी अस्पताल और फिर रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया।

आरोपी की पहचान और गिरफ्तारी

रेप आरोप में सजा काट रहे आरोपी की पहचान महोबा के अतर्रा थाना क्षेत्र के गोखिया गांव निवासी विजय के रूप में हुई है। विजय की उम्र लगभग 37 साल है। वर्ष 2023 में पुलिस ने उसे रेप के आरोप में गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद से विजय महोबा जिला जेल की बैरक नंबर सात में बंद था। उसने बताया कि जिस बैरक में वह रहता है, वहां सात और कैदी हैं जो लगातार उसका उत्पीड़न करते हैं।

जेल में उत्पीड़न और शिकायत

विजय ने बताया कि लगातार प्रताड़ित किए जाने से वह मानसिक रूप से काफी परेशान था। कई बार उसने जेल प्रशासन को इस उत्पीड़न की शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। शिकायत के बावजूद कार्रवाई न होने के कारण अन्य कैदी और अधिक हिम्मत महसूस करने लगे। लगातार प्रताड़ना और मनोवैज्ञानिक दबाव बढ़ने के बाद विजय ने खुद को नुकसान पहुंचाने का फैसला किया।

पेशी के दौरान आत्महत्या का प्रयास

गुरुवार को जब विजय को सीजेएम कोर्ट अतर्रा में पेशी के लिए लाया गया, तो उसने पानी के साथ कांच के टुकड़े निगल लिए। इस दौरान उसकी तबीयत अचानक बिगड़ गई। पुलिसकर्मी और अन्य लोग हैरान रह गए। आनन-फानन में उसे नजदीकी अस्पताल ले जाया गया। प्राथमिक इलाज के बाद डॉक्टरों ने उसे रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया।

जेल प्रशासन की प्रतिक्रिया

सीओ अतर्रा प्रवीण यादव ने घटना की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि कैदी को पेशी के दौरान अचानक तबीयत बिगड़ने पर तुरंत अस्पताल ले जाया गया। जेल प्रशासन फिलहाल इस मामले की जांच कर रहा है और यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि जेल में उत्पीड़न की घटनाओं का विवरण क्या है और इस घटना को कैसे रोका जा सकता था।

पिछले अनुभव और मानसिक दबाव

विजय के अनुसार, लगातार प्रताड़ित किए जाने के कारण उसका मानसिक दबाव काफी बढ़ गया था। शिकायत करने के बावजूद कार्रवाई न होने से उसे ऐसा कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा। जेल में बंद अन्य कैदियों का व्यवहार भी उसकी परेशानी को और बढ़ा रहा था। यह घटना जेल में कैदियों के मनोवैज्ञानिक स्थिति और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

आरोपी की हालत और इलाज

अस्पताल में प्राथमिक उपचार के दौरान डॉक्टरों ने उसकी हालत को गंभीर बताया। उसे निगरानी में रखा गया और आवश्यक उपचार शुरू किया गया। मेडिकल टीम ने कहा कि समय रहते इलाज मिलने से उसकी जान बच गई। अब उसकी हालत स्थिर है, लेकिन मानसिक स्वास्थ्य की भी जांच की जा रही है।

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