Delhi: केंद्र सरकार ने बुलाई आपात बैठक, शीतकालीन सत्र से पहले राजनीतिक दलों से अहम फैसलों पर होगी चर्चा

Delhi: केंद्र सरकार ने बुलाई आपात बैठक, शीतकालीन सत्र से पहले राजनीतिक दलों से अहम फैसलों पर होगी चर्चा
Last Updated: 3 घंटा पहले

केंद्र सरकार सोमवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र से पहले आज रविवार को राजनीतिक दलों के नेताओं से बैठक करेगी। इस बैठक में सत्र के दौरान उठाए जाने वाले प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।

New Delhi: केंद्र सरकार संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार, 25 नवंबर से शुरू करने जा रही है। सत्र से पहले रविवार को सरकार ने राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ एक अहम बैठक बुलाई है। इस बैठक में सरकार और विपक्षी दलों के बीच संसद के सुचारू संचालन को लेकर चर्चा होगी। खासतौर पर महाराष्ट्र में भाजपा की और झारखंड में विपक्षी गठबंधन की हालिया जीत के संदर्भ में यह बैठक अहम मानी जा रही है।

संसद सत्र में प्रमुख विधेयकों पर चर्चा

संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई में होने वाली इस बैठक में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (DMK), शिवसेना, बीजू जनता दल (BJD) और अन्य प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं के शामिल होने की संभावना है। इस सत्र में कुल 16 विधेयकों को पेश किया जाएगा, जिनमें वक्फ (संशोधन) विधेयक और तटीय नौवहन विधेयक जैसे महत्वपूर्ण विधेयक शामिल हैं। इसके अलावा, विपक्ष मणिपुर में चल रही जातीय हिंसा और गौतम अडानी पर लगे आरोपों को लेकर भी संसद में चर्चा करना चाहता है। राहुल गांधी समेत कई विपक्षी नेताओं ने इन मुद्दों की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति गठित करने की मांग की है।

संविधान अंगीकार की 75वीं वर्षगांठ पर विशेष कार्यक्रम

26 नवंबर को संविधान को अंगीकार करने की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर संसद में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इस मौके पर संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में कार्यक्रम होगा, जिसमें संविधान की अहमियत और इसकी प्रासंगिकता पर चर्चा की जाएगी।

विपक्षी दलों का आरोप और समिति की रिपोर्ट

विपक्षी दलों का कहना है कि समिति की रिपोर्ट प्रस्तुत करने की समयसीमा बढ़ाए जाने की आवश्यकता है, क्योंकि समिति के अध्यक्ष और भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की ओर से बैठकों में बाधाएं डाली जा रही हैं। इसके अलावा, विपक्ष ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है।

सांसदों के लिए महत्वपूर्ण विधेयक

इस शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में कई महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा होगी, जिनमें पंजाब न्यायालय (संशोधन) विधेयक और भारतीय बंदरगाह विधेयक प्रमुख हैं। इसके अलावा, वक्फ संशोधन विधेयक और मुसलमान वक्फ निरसन विधेयक समेत अन्य विधेयकों पर भी विचार किया जाएगा।

संसदीय सत्र में विपक्ष का रणनीतिक दबाव

शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्षी दलों के लिए यह अवसर अहम होगा, जहां वे न केवल सरकार के खिलाफ आरोप उठा सकते हैं, बल्कि विधायी प्रक्रिया को प्रभावित करने का भी प्रयास करेंगे। इस सत्र में उनके सामने सरकार की ओर से पेश किए गए विधेयकों पर कड़ी बहस होने की संभावना है।

संसद में चलने वाली चर्चा का प्रभाव

केंद्र सरकार और विपक्ष के बीच इस शीतकालीन सत्र में होने वाली चर्चा आने वाले महीनों में भारतीय राजनीति की दिशा तय कर सकती है। विशेष रूप से आर्थिक और सामाजिक मुद्दों पर विधेयकों की स्वीकृति से भारतीय जनता की जीवनशैली और विकास की दिशा पर प्रभाव पड़ेगा।

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