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अमेरिका में कानून-व्यवस्था को लेकर ट्रंप का बड़ा कदम, पोर्टलैंड में सैन्य तैनाती का दिया आदेश

अमेरिका में कानून-व्यवस्था को लेकर ट्रंप का बड़ा कदम, पोर्टलैंड में सैन्य तैनाती का दिया आदेश

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने पोर्टलैंड में घरेलू आतंकवादियों और रैडिकल लेफ्ट से निपटने के लिए सेना तैनात करने का आदेश दिया। ICE केंद्र और नागरिक सुरक्षा की रक्षा के लिए यह कदम उठाया गया।

US Update: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपने विवादित फैसलों के माध्यम से सुर्खियां बटोरी हैं। उन्होंने शनिवार को घोषणा की कि ओरेगॉन के पोर्टलैंड शहर में जरूरत पड़ने पर सेना तैनात की जाएगी। इसका उद्देश्य शहर में ‘‘घरेलू आतंकवादियों’’ और ‘‘रैडिकल लेफ्ट’’ के खतरों से निपटना है। ट्रंप ने सोशल मीडिया पर स्पष्ट किया कि रक्षा विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि वह ‘‘युद्धग्रस्त पोर्टलैंड की सुरक्षा के लिए आवश्यकतानुसार सैनिक उपलब्ध कराए।’’

ट्रंप प्रशासन और ‘रैडिकल लेफ्ट’

राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि यह कदम अमेरिकी आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन (ICE) संस्थानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जरूरी था। उनके अनुसार, ‘‘एंटीफा और अन्य घरेलू आतंकवादियों’’ इन संस्थानों को निशाना बना रहे हैं। चार्ली किर्क की हत्या के बाद से ट्रंप ने अपने प्रशासन के तहत ‘‘रैडिकल लेफ्ट’’ का सामना करने के प्रयास तेज कर दिए हैं। ट्रंप का मानना है कि देश में राजनीतिक हिंसा की समस्या के पीछे यही समूह जिम्मेदार है।

पहले भी तैनाती का अनुभव

ट्रंप ने गर्मियों में लॉस एंजिलिस में नेशनल गार्ड और सक्रिय-ड्यूटी मरीन को तैनात कर चुके हैं। पोर्टलैंड स्थित ICE केंद्र लगातार प्रदर्शनों और हिंसक झड़पों का केंद्र बना हुआ है। इस दौरान कई संघीय एजेंट घायल हुए और प्रदर्शनकारियों पर हमले की घटनाएं सामने आईं। इसके अलावा, टेनेसी के मेमफिस में नेशनल गार्ड सैनिकों की संख्या बढ़ाने की तैयारी की जा रही है। रिपब्लिकन गवर्नर बिल ली ने कहा कि यह कदम शहर में अपराध पर काबू पाने में मदद करेगा।

जन्मजात नागरिकता पर विवाद

ट्रंप प्रशासन सुप्रीम कोर्ट से आग्रह कर रहा है कि वह उनके जन्मजात नागरिकता संबंधी आदेश को बरकरार रखे। इसके तहत उन बच्चों को अमेरिकी नागरिक नहीं माना जाएगा, जिनके माता-पिता अवैध या अस्थायी रूप से अमेरिका में रह रहे हैं। उच्च न्यायालय में इस मामले की सुनवाई चल रही है, और न्यायाधीश जल्द ही यह तय करेंगे कि यह आदेश संवैधानिक है या नहीं।

निचली अदालतों ने फिलहाल इस आदेश को लागू होने से रोका हुआ है। रिपब्लिकन प्रशासन चाहता है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर जल्द निर्णय करे। सॉलीसीटर जनरल डी. जॉन सॉयर ने कहा कि निचली अदालत का फैसला राष्ट्रपति और उनके प्रशासन के लिए महत्वपूर्ण नीति को कमजोर करता है और इससे सीमा सुरक्षा प्रभावित हुई है। उनका मानना है कि बिना वैध औचित्य के लाखों लोग अमेरिकी नागरिकता का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

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