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Gen-Z विरोध प्रदर्शनों की जांच में केपी ओली पर आयोग की सिफारिश, पासपोर्ट जब्त करने का प्रस्ताव

Gen-Z विरोध प्रदर्शनों की जांच में केपी ओली पर आयोग की सिफारिश, पासपोर्ट जब्त करने का प्रस्ताव

नेपाल में Gen-Z विरोध प्रदर्शनों की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग ने केपी ओली और चार अन्य के पासपोर्ट जब्त करने की सिफारिश की। 75 मौतों और हिंसा के बीच आयोग ने वरिष्ठ अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की।

Nepal News: नेपाल में इस महीने की शुरुआत में हुए Gen-Z विरोध प्रदर्शनों के दमन की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग ने रविवार को अपदस्थ प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और चार अन्य के पासपोर्ट जब्त करने की सिफारिश की। आयोग ने ओली, पूर्व गृह मंत्री रमेश लेखक और अन्य को निर्देश दिया कि अगर वे काठमांडू छोड़ना चाहते हैं तो अनुमति लें ताकि जांच की प्रक्रिया में उनकी जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके।

Gen-Z विरोध प्रदर्शनों का दमन

8 सितंबर को हुए Gen-Z विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुलिस फायरिंग में कम से कम 19 लोगों की मौत हुई थी। यह विरोध प्रदर्शन आंदोलन का पहला दिन था और इसी के बाद ओली को पद से हटाया गया। हिंसा और प्रदर्शनों की तीव्रता के चलते 75 लोगों की मौत हुई। इन मौतों और हिंसा के बीच भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध जैसे मुद्दे भी सामने आए।

न्यायिक आयोग का गठन

ओली के हटाए जाने के कुछ दिनों बाद सुशीला कार्की के अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री बनने के बाद 21 सितंबर को कैबिनेट ने Gen-Z विरोध प्रदर्शन के दौरान सुरक्षा बलों के अत्यधिक बल प्रयोग और मौतों की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया। आयोग का मकसद यह सुनिश्चित करना था कि जांच स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से हो और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ जवाबदेही तय हो।

वरिष्ठ अधिकारियों पर कार्रवाई की सिफारिश

आयोग ने ओली और पूर्व गृह मंत्री रमेश लेखक के अलावा पूर्व गृह सचिव गोकर्ण मणि दुवादी, राष्ट्रीय जांच विभाग के पूर्व प्रमुख हुतराज थापा और काठमांडू के पूर्व मुख्य ज़िला अधिकारी छवि रिजाल के खिलाफ भी कार्रवाई की सिफारिश की। आयोग के अनुसार, यह कदम जांच की प्रगति के दौरान वरिष्ठ अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया।

ओली का बयान

सामाजिक और राजनीतिक दबाव के बीच, नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के अध्यक्ष ओली ने भक्तपुर जिले में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि उन्होंने Gen-Z के प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का आदेश नहीं दिया। अपने पहले बयान में उन्होंने बताया कि प्रदर्शनकारियों पर स्वचालित बंदूकों से गोलियां चलीं, जो पुलिस के पास नहीं थीं। उन्होंने मामले की स्वतंत्र जांच की मांग की।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का आरोप

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने ओली सरकार पर आरोप लगाया कि उसने Gen-Z विरोध प्रदर्शनों की तीव्रता का सही अंदाजा नहीं लगाया और सुरक्षा बलों द्वारा प्रदर्शनकारियों पर अत्यधिक बल प्रयोग किया गया। सुरक्षा सूत्रों के अनुसार, 8 सितंबर को विरोध प्रदर्शन को नियंत्रित करने के प्रयास में पुलिस और सुरक्षा बलों ने एसएलआर राइफलों, इंसास राइफलों और पिस्तौलों से हज़ारों गोलियां चलाईं।

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